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सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भावुक होकर बोलीं बिलकिस बानो, "डेढ़ साल में पहली बार मुस्कुरा पाई हूं"

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पहली बार बिलकिस बानो ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। बिलकिस ने कहा कि डेढ़ साल में मैं पहली बार मुस्कुरा पाई हूं, न्याय ऐसा ही महसूस होता है।

Edited By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Updated on: January 09, 2024 6:28 IST
Bilkis Bano- India TV Hindi
Image Source : PTI Bilkis Bano

नई दिल्ली: 2002 में गुजरात दंगों के दौरान गैंगरेप की शिकार हुईं बिलकिस बानो ने 11 दोषियों की सजा माफ करने के राज्य सरकार के फैसले को रद्द करने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। बिलकिस बानों ने कहा न्याय ऐसा ही महसूस होता है। गुजरात सरकार के सजा में छूट देने के फैसले को खारिज करते हुए कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य सरकार ने बिना सोचे समझे आदेश जारी किया। बिलकीस बानो ने अपनी वकील शोभा गुप्ता के माध्यम से जारी ये बयान जारी किया, बानो ने फैसले के लिए सुप्रीम कोर्च को धन्यवाद दिया और कहा, "आज मेरे लिए वास्तव में नया साल है।” 

"पहली बार मुस्कुरा पाई हूं"

उन्होंने आगे कहा, "इस राहत से मेरी आंखों में खुशी के आंसू छलक आए। मैं डेढ़ साल से अधिक समय में पहली बार मुस्कुरा पाई हूं। मैंने अपने बच्चों को गले लगाया। ऐसा लगता है जैसे पहाड़ के आकार का पत्थर मेरे सीने से हटा दिया गया है, और मैं फिर से सांस ले सकती हूं।” बानो ने आगे कहा, "न्याय ऐसा ही महसूस होता है। मुझे, मेरे बच्चों और हर जगह की महिलाओं सभी को समान जस्टिस देने का वादा करके यह समर्थन और आशा देने के लिए मैं भारत के सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद देती हूं।" बता दें कि गुजरात सरकार पर अपनी शक्ति का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए आज सुप्रीम कोर्ट ने 11 दोषियों को 2 सप्ताह में जेल वापस जाने का भी निर्देश दिया है।

"संघर्ष कभी अकेले नहीं किया जा सकता"

बयान में बानो ने आगे यह भी कहा कि उनके जैसा संघर्ष कभी अकेले नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा, “मेरे साथ मेरे पति और मेरे बच्चे हैं। मेरे पास मेरे दोस्त हैं जिन्होंने मुझे इतनी नफरत के समय में बहुत प्यार दिया है, और हर मुश्किल मोड़ पर मेरा हाथ थामा है। मेरे पास एक असाधारण वकील हैं, एडवोकेट शोभा गुप्ता, जो 20 से अधिक सालों तक मेरे साथ रही हैं और जिन्होंने मुझे न्याय को लेकर कभी उम्मीद नहीं खोने दी।'' उन्होंने कहा, “डेढ़ साल पहले, 15 अगस्त, 2022 को, जब उन लोगों को, जिन्होंने मेरे परिवार को तबाह कर दिया था और मेरे अस्तित्व को आतंकित कर दिया था, जल्दी रिहाई दे दी गई, तब मैं टूट गई थी।”

लोगों को भी दिया धन्यवाद

बानो ने आगे लेटर में कहा कि उन्हें लगा कि उनका “साहस" ख़त्म हो चुका है, हालांकि इस बीच लोगों ने उनका समर्थन किया। बानो ने कहा, “भारत के हजारों आम लोग और महिलाएं आगे आईं। वे मेरे साथ खड़े हुए, मेरा साथ दिया और सुप्री कोर्ट में जनहित याचिका दायर की। पूरे देश से 6,000 लोगों और मुंबई से 8,500 लोगों ने अपीलें लिखीं, 10,000 लोगों ने एक खुला पत्र लिखा। कर्नाटक के 29 जिलों के 40,000 लोगों ने भी ऐसा ही किया।” उन्होंने कहा, “इनमें से हर व्यक्ति को, आपकी बहुमूल्य एकजुटता और समर्थन के लिए मेरा आभार। आपने मुझे न केवल मेरे लिए, बल्कि भारत की हर महिला के लिए न्याय के विचार को बचाने को लेकर संघर्ष करने की इच्छाशक्ति दी। मैं आपको धन्यवाद देती हूं।” 

(रिपोर्ट- पीटीआई)

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