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Bilkis Bano case : बिल्कीस बानो मामले में दोषियों की रिहाई पर गुजरात सरकार को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

Bilkis Bano case : गुजरात सरकार की माफी नीति के तहत इस साल 15 अगस्त को गोधरा सब जेल से 11 दोषियों की रिहाई से जघन्य मामलों में इस तरह की राहत के मुद्दे पर बहस शुरू हो गयी

Reported By: Gonika Arora @AroraGonika
Published : Aug 25, 2022 13:05 IST, Updated : Aug 25, 2022 14:44 IST
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Image Source : PTI Representational Image

Highlights

  • गोधरा सब जेल से 11 दोषियों की हुई थी रिहाई
  • सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार दो दिया नोटिस
  • गोधरा कांड के बाद बिल्किस के साथ हुआ था गैंगरेप

Bilkis Bano case : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बिल्कीस बानो के गैंगरेप और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली एक याचिका पर बृहस्पतिवार को  गुजरात सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा। चीफ जस्टिस एन वी रमण की अगुवाई वाली पीठ ने याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किए और याचिकाकर्ताओं से, सजा में छूट पाने वालों को मामले में पक्षकार बनाने को कहा। मामले की सुनवाई अब दो हफ्ते के बाद होगी।

माफी नीति के तहत दोषियों की रिहाई

गुजरात सरकार की माफी नीति के तहत इस साल 15 अगस्त को गोधरा सब जेल से 11 दोषियों की रिहाई से जघन्य मामलों में इस तरह की राहत के मुद्दे पर बहस शुरू हो गयी है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता सुभाषिनी अली, पत्रकार रेवती लाल और कार्यकर्ता रूपरेखा रानी ने सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दायर की थी। 

गोधरा कांड के बाद भड़की थी हिंसा

गौरतलब है कि गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस पर हमले और 59 यात्रियों, मुख्य रूप से ‘कार सेवकों’ को जलाकर मारने के बाद गुजरात में भड़की हिंसा के दौरान तीन मार्च, 2002 को दाहोद में भीड़ ने 14 लोगों की हत्या कर दी थी। मरने वालों में बिल्कीस बानो की तीन साल की बेटी सालेहा भी शामिल थी। घटना के समय बिल्कीस बानो गर्भवती थी और वह सामूहिक बलात्कार का शिकार हुई थी। इस मामले में 11 लोगों को दोषी ठहराते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी। माफी नीति के तहत गुजरात सरकार ने इस मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे सभी 11 दोषियों को 15 अगस्त को गोधरा के उप कारागार से रिहा कर दिया गया था, जिसकी विपक्षी पार्टियों ने कड़ी निंदा की थी। 

मुंबई की विशेष सीबीआई कोर्ट ने उम्रकैद की सुनाई थी सजा

मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत ने 21 जनवरी 2008 को सभी 11 आरोपियों को बिल्कीस बानो के परिवार के सात सदस्यों की हत्या और उनके साथ सामूहिक दुष्कर्म का दोषी ठहराते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई थी। बाद में इस फैसले को बंबई उच्च न्यायालय ने भी बरकरार रखा था। इन दोषियों को उच्चतम न्यायालय के निर्देश के तहत विचार करने के बाद रिहा किया गया। शीर्ष अदालत ने सरकार से वर्ष 1992 की क्षमा नीति के तहत दोषियों को राहत देने की अर्जी पर विचार करने को कहा था। इन दोषियों ने 15 साल से अधिक कारावास की सजा काट ली थी जिसके बाद एक दोषी ने समयपूर्व रिहा करने के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। इस पर शीर्ष अदालत ने गुजरात सरकार को मामले पर विचार करने का निर्देश दिया था। 

इनपुट-भाषा

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