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दिल्ली का हिमाचल भवन होगा कुर्क, बकाया नहीं चुका पाई हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने बिजली कंपनी को हिमाचल भवन की नीलामी करने की छूट दे दी है, ताकि वह अपनी 64 करोड़ रुपये की रकम वसूल कर सके।

Reported By : Puneet Pareenja Edited By : Malaika Imam Published : Nov 19, 2024 13:21 IST, Updated : Nov 19, 2024 13:31 IST
नीलाम होगा हिमाचल भवन
Image Source : PTI/FILE नीलाम होगा हिमाचल भवन

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए दिल्ली स्थित हिमाचल भवन को अटैच कर दिया है। अदालत ने बिजली कंपनी को हिमाचल भवन की नीलामी करने की छूट दे दी है, ताकि वह अपनी 64 करोड़ रुपये की रकम वसूल कर सके। यह रकम अब ब्याज सहित 150 करोड़ रुपये के करीब पहुंच चुकी है। यह आदेश न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने पारित किया, जिससे प्रदेश सरकार के हाथ-पांव फूल गए हैं और सचिवालय में हलचल मच गई है।

सरकार के लिए बड़ा झटका

हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार के लिए यह निर्णय एक गंभीर संकट का संकेत है, क्योंकि अदालत ने बिजली कंपनी को न केवल अपनी रकम वसूलने के लिए हिमाचल भवन को नीलाम करने का आदेश दिया है, बल्कि प्रारंभिक प्रीमियम के मामले में पार्षद और अधिकारियों की जिम्मेदारी पर भी सवाल उठाए हैं। अदालत ने आदेश दिया है कि प्रधान सचिव बिजली इस मामले की फैक्ट फाइंडिंग जांच करें और यह पता लगाएं कि कौन से अधिकारी जिम्मेदार थे जिन्होंने वक्त पर रकम नहीं जमा की। अदालत ने यह भी कहा कि ब्याज की रकम उन जिम्मेदार अधिकारियों से वसूली जाए।

सीएम सुक्खू का आया बयान

इस मामले पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि उन्होंने अभी तक हाई कोर्ट का आदेश नहीं पढ़ा है, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि यह अग्रिम प्रीमियम एक नीति के तहत लिया गया था, जिसे 2006 में ऊर्जा नीति के दौरान तैयार किया गया था। सुक्खू ने कहा कि इस संबंध में मध्यस्थता द्वारा निर्णय लिया गया था और उनकी सरकार ने इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। हालांकि, सरकार ने 64 करोड़ रुपये की रकम जमा नहीं की, जिसके कारण यह मामला अदालत में खड़ा हुआ है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने उठाए सवाल

प्रदेश पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस मुद्दे पर अपनी चिंता जताते हुए कहा, "हाई कोर्ट का आदेश 13 जनवरी 2023 को आ गया था, लेकिन सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। यह हिमाचल प्रदेश के लिए बेहद गंभीर मुद्दा है और यदि इस तरह की स्थितियां जारी रहीं, तो हिमाचल भवन की नीलामी हो सकती है।" उन्होंने कहा कि सेली हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट से संबंधित 64 करोड़ रुपये के प्रीमियम के भुगतान में देरी से अब यह रकम बढ़कर लगभग 150 करोड़ रुपये हो गई है। जयराम ठाकुर ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने कोर्ट के आदेशों को गंभीरता से नहीं लिया, तो न केवल हिमाचल भवन बल्कि सचिवालय की नीलामी भी हो सकती है। यह सरकार की वित्तीय नीतियों और निर्णयों पर सवाल उठाता है।

6 दिसंबर को अगली सुनवाई 

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि 15 दिनों के भीतर फैक्ट फाइंडिंग जांच पूरी की जाए और मामले की अगली सुनवाई 6 दिसंबर को होगी। अदालत ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता को चिन्हित करते हुए 64 करोड़ रुपये की रकम के भुगतान को लेकर सरकार को चेतावनी दी है।

क्या है मामला?

यह मामला सेली हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट से जुड़ा है, जिसे मोजर बीयर कंपनी को लाहुल स्पीति में चिनाब नदी पर 400 मेगावाट के हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के लिए दिया गया था। लेकिन परियोजना नहीं लग पाई और मामला आर्बिट्रेशन में चला गया, जहां कंपनी के पक्ष में फैसला आया। आर्बिट्रेटर ने 64 करोड़ रुपये के प्रीमियम के भुगतान का आदेश दिया, लेकिन सरकार ने समय पर यह रकम जमा नहीं की, जिससे ब्याज सहित रकम बढ़कर लगभग 150 करोड़ रुपये हो गई। अदालत ने पहले ही सरकार को आदेश दिया था कि वह रकम जमा करे, लेकिन सरकार ने इसे नजरअंदाज किया। इस कारण हिमाचल भवन को अटैच करने का आदेश दिया गया और अब नीलामी की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।

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