देश में बीते कुछ समय से साइबर अपराध की घटनाओं में बड़ी संख्या में इजाफा हुआ है। इसमें 'डिजिटल अरेस्ट' की घटनाएं बड़ी संख्या में बढ़ती जा रही है। अब भोपाल ने पुलिस ने एक कारोबारी को डिजिटल अरेस्ट से बचाया है और उसका करोड़ों रुपये का नुकसान होने से बचा लिया है। पुलिस अधिकारियों ने इस पूरी घटना के बारे में जानकारी साझा की है। साइबर अपराधियों ने शनिवार को कारोबारी को फोन कर के खुद को भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) का अधिकारी बताया था।
कैसे किया डिजिटल अरेस्ट?
दरअसल, भोपाल के अरेरा कॉलोनी निवासी विवेक ओबेरॉय को शनिवार को एक फोन आया। फोन करने वाले ने खुद को ट्राई का अधिकारी बताया। शख्स ने कारोबारी से कहा कि उनके आधार कार्ड की मदद से कई बैंक अकाउंट खोले गए हैं और उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल संदिग्ध गतिविधियों के लिए सिम कार्ड खरीदने के वास्ते भी किया गया है। साइबर अपराधियों ने ओबेरॉय को स्काइप वीडियो कॉलिंग ऐप डाउनलोड कर उन्हें एक कमरे में रहने को कहा।
पुलिस ने ऐसे बचाया
जब कारोबारी को डिजिटल अरेस्ट किया गया उसी वक्त उसने मध्यप्रदेश साइबर पुलिस को सूचित कर दिया। डिजिटल अरेस्ट के दौरान ही पुलिस वहां पहुंच गई। पुलिस ने जब फर्जी कानून प्रवर्तन अधिकारियों को अपनी पहचान बताने के लिए कहा तो अपराधियों ने वीडियो कॉल काट दी। पुलिस के मुताबिक, अपराधियों को कारोबारी के बैंक खातों की जानकारी मिल गई थी, लेकिन उन्होंने कोई रकम ट्रांसफर नहीं की।
क्या होता है डिजिटल अरेस्ट?
डिजिटल अरेस्ट साइबर अपराधियों की ओर से ठगी के लिए लाया गया नया तरीका है। इस मामले में ठग खुद को कानूनी एजेंसी का अधिकारी बताते हैं। फिर लोगों को ऑडियो या वीडियो कॉल करके डराते हैं और उन्हें उनके घर में डिजिटल तौर पर बंधक बना लेते हैं। इसके बाद पीड़ित से उनके बैंक अकाउंट आदि की जानकारी लेकर उनसे ठगी की जाती है। (इनपुट: भाषा)
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