Highlights
- कांग्रेस की स्ट्रेटजी क्या है?
- जिन राज्यों से भारत जोड़ो यात्रा गुजर रही है उन राज्यों में बीजेपी, कांग्रेस और अन्य को लोकसभा 2019 में किसको कितनी सीटें?
- इस यात्रा से राहुल गांधी को क्या मिलेगा?
खेल चाहे जो हो, कामयाबी और असफलता का सफर कोशिशों के मोड़ से होकर गुजरता है. सियासी कामयाबी की कोशिश में कांग्रेस के आलाकमान ने पदयात्रा का रास्ता चुना. इस कोशिश से जीत मिलेगी या हार, यह तथ्य 2024 के भविष्य के गर्भ में है, लेकिन इस यात्रा को टटोलने से कांग्रेस के सियासी संभावनाओं की उम्मीद का खाका दिखेगा. यह समझना जरूरी है कि भारत जोड़ो यात्रा के जरिए कांग्रेस की 2024 की असली रणनीति क्या है?
टेबल ग्राफिक्स से चंद सेकेंड में समझिए-
1. भारत जोड़ो यात्रा किन राज्यों से गुजर रही है?
2. किस राज्य में कितने दिन भारत जोड़ो यात्रा चलेगी ?
3. जिन राज्यों से यात्रा गुजर रही है उन राज्यों में लोकसभा की कितनी सीटें हैं?
4. जिन राज्यों से भारत जोड़ो यात्रा गुजर रही है उन राज्यों में बीजेपी, कांग्रेस और अन्य को लोकसभा 2019 में किसको कितनी सीटें मिलीं?
महत्वपूर्ण तथ्य
कुल 347 लोकसभा सीट से यह यात्रा गुजरेगी. इन 347 सीटों में कांग्रेस लोकसभा 2019 के चुनाव में 39 सीटें जीती थीं. 189 बीजेपी और 119 सीट अन्य दलों को हासिल हुई थी.
कांग्रेस की स्ट्रेटजी क्या है?
1. बीजेपी दक्षिण के जिन राज्यों में कमजोर है वहां अपनी बढ़त बनाने के लिए जोरदार प्लानिंग कर रही है. इसी रणनीति के तहत हैदराबाद में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक हुई. इसके बाद केरल, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु की 4 महत्वपूर्ण हस्तियों पी.टी. उषा, वीरेंद्र हेगड़े, इलैयाराजा और वी. विजयेंद्र प्रसाद को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया. बीजेपी के इसी रणनीतिक बढ़त को रोकने के लिए यह यात्रा कांग्रेस का काउंटर प्लान है.
2. राजस्थान और मध्य प्रदेश में बीजेपी लगातार दो बार लोकसभा चुनाव में सेचुरेशन लेवल तक सीटें हासिल कर चुकी हैं. कर्नाटक में भी बीजेपी कुल 28 में 25 सीटें जीती है. ऐसे में राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा का सर्वाधिक समय इसीलिए दे रहे हैं कि उन्हें अब इन राज्यों से उम्मीद है.
3. कांग्रेस की महज दो राज्यों में अकेले सरकार है. ऐसे में कर्नाटक और राजस्थान विधानसभा चुनाव में इस यात्रा के जरिए जीत की इबारत लिखने की उम्मीद.
4. कांग्रेस को उम्मीद है कि एमपी, यूपी, गुजरात, हरियाणा जैसे राज्यों यदि एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर काम करता है तो कांग्रेस इसमें सर्वाधिक सियासी शेयर टेक होल्डर बने.
5. दिल्ली के बाद पंजाब में आम आदमी ने जिस तरह बीजेपी का विकल्प आम आदमी पार्टी में देखा इससे कांग्रेस के खेमे में बेचैनी स्पष्ट है. इस तरह कांग्रेस इस यात्रा के जरिए देश में बीजेपी के खिलाफ विकल्प खुद को बनाए रखना चाहती है.
6. सहयोगी दलों में भी कांग्रेस का नेतृत्व स्वीकार करने में यह यात्रा मददगार साबित होगी, ऐसी कांग्रेस को उम्मीद है.
इस यात्रा से राहुल गांधी को क्या मिलेगा?
1. जी 23 विवाद के बाद नेतृत्व पर जोरदार सवाल उठा. 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव हार के साथ 2014 से 2022 के बीच हुए 49 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 39 विधानसभा चुनाव हार चुकी है. ऐसे में आलाकमान (प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष) पर सवाल उठना लाजिमी है. इस यात्रा के जरिए ब्रैंड राहुल गांधी को अपनी पार्टी सर्वमान्य बनाने की कोशिश.
2. राहुल गांधी पर उनकी पार्टी के साथ ही विपक्ष लगातार 24 घंटे सियासत में शामिल ना रहने और सर्वसुलभ ना होने का आरोप लगाते हैं. महत्वपूर्ण मौकों पर राहुल गांधी की अनुपस्थिति इस आरोप को लगातार मजबूती देती है. इस पद यात्रा के जरिए राहुल गांधी खुद को मेहनती, गंभीर और सर्वसुलभ दिखना चाह रहे हैं. इस यात्रा की पोस्चरिंग भी आम लोगों के साथ राहुल गांधी के मेल मिलाप को दिखा कर की जा रही है.
3. कार्यकर्ताओं में जोश भरने के साथ ही राहुल गांधी स्थानीय स्तर पर नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं. इससे इनको स्थानीय पार्टी के भीतर की सियासत और जनमानस के असली मुद्दों से भी रूबरू हो रहे हैं. यह अनुभव की थाती की तरह राहुल गांधी के लिए है.
कांग्रेस को क्या मिलेगा?
1. 2024 में तीसरे मोर्चे को विकल्प बनने से रोकने की कोशिश.
2. जिस तरह चंद्रबाबू नायडू, बिहार के सीएम नीतीश कुमार, ममता बनर्जी खुद को विकल्प के रूप में अप्रत्यक्ष रूप से आगे कर रहे हैं ऐसे में इस यात्रा से सीटों की संख्या में बढोत्तरी होती है तो कांग्रेस का नेतृत्व सभी सहयोगी दलों को स्वीकार करना होगा.
3. इस यात्रा के जरिए यूपीए के सहयोगी दलों पर कांग्रेस लोकसभा सीटों की संख्या में बारगेन की स्थिति भी मजबूत बनेगी.
राजस्थान और कर्नाटक में सबसे अधिक दिन की यात्रा, ऐसा क्यों?
1. कर्नाटक में 2014 में कांग्रेस ने 11 सीट जीतीं, जबकि 2019 आते-आते महज दो सीटों में सिमट गई. अर्थात कांग्रेस को यहां अपनी लोकसभा में बढ़त की संभावना दिख रही है.
2. 2023 में देश के कुल 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. इनमें कर्नाटक, मध्य प्रदेश और राजस्थान लोकसभा की सीटों के नजरिए से बड़े राज्य हैं. खुद के दम पर महज दो राज्यों में है कांग्रेस की सरकार.
तमिलनाडु में 39 लोकसभा सीट और यात्रा 4 दिन, उत्तर प्रदेश में 80 लोकसभा सीट होने के बावजूद राहुल गांधी की यात्रा महज दो दिन, क्यों?
1.तमिलनाडु में बीजेपी कैडर और सीट के नजरिए बेहद कमजोर है तो बीजेपी की क्रांतिकारी बढ़त की संभावन कम है. यहां डीएमके कांग्रेस की सहयोगी दल हैं. स्थानीय स्तर पर कांग्रेस खुद को मजबूत करना चाहती है लेकिन डीएमके के साथ तालमेल बनाए रखते हुए.
2. यूपी विधानसभा 2022 में कांग्रेस महज 2 सीट तक सिमट चुकी है. ऐसे में 2024 में कांग्रेस को अपनी संभावना यहां क्षीण दिख रही है.