Highlights
- LHC में भगत सिंह की 115वीं जयंती मनाई
- भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन का आग्रह
- सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार देने की रखी मांग
Bhagat Singh: पाकिस्तान के एक गैर-लाभकारी संगठन ने अपने देश और भारत से स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह को सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित करने का आग्रह किया है। ‘भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन’ ने बुधवार को लाहौर उच्च न्यायालय (एलएचसी) के परिसर में भगत सिंह की 115वीं जयंती मनाई। वकीलों के समुदाय ने भगत सिंह और उनके साथियों शिवराम हरि राजगुरु और सुखदेव के लिए नारे लगाए और केक काटा।
दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों से किया आग्रह
फाउंडेशन के अध्यक्ष इम्तियाज रशीद कुरैशी ने इस अवसर पर शहीद भगत सिंह को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से आग्रह किया कि उपमहाद्वीप के लोगों के लिए भगत सिंह द्वारा दिए गए बलिदान और उनकी बहादुरी को सम्मानित करते हुए स्वतंत्रता सेनानी को सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार दिया जाए। उन्होंने उनसे दोनों देशों के बीच सामाजिक और आर्थिक संबंधों को बहाल करने और आसान वीजा नीति बनाने का आग्रह किया, ताकि दोनों पड़ोसियों के बीच शांति को प्रोत्साहित किया जा सके।
ब्रिटेन के किंग चार्ल्स तृतीय मांगे माफी
फाउंडेशन ने मांग की कि ब्रिटेन के महाराज चार्ल्स तृतीय को पाकिस्तान, भारत और इन तीनों क्रांतिकारियों के परिवारों से माफी मांगनी चाहिए और उन्हें एक बड़ा मुआवजा देना चाहिए। गौरतलब है कि भगत सिंह का जन्म अविभाजित पंजाब के लायलपुर (अब पाकिस्तान) में 28 सितंबर 1907 को हुआ था। वह बहुत छोटी उम्र से ही आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए थे और उनकी लोकप्रियता से भयभीत ब्रिटिश सरकार ने उन्हें फांसी पर लटका दिया था। पिछले रविवार को प्रधानमंत्री मोदी ने ‘‘मन की बात’’ कार्यक्रम में घोषणा की थी कि चंडीगढ़ हवाई अड्डे का नाम शहीद भगत सिंह के नाम पर रखा जाएगा।
भगत सिंह के नाम पर रखा गया चंडीगढ़ हवाई अड्डे का नाम
गौरतलब है कि स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह की जयंती पर बुधवार को चंडीगढ़ स्थित अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का नाम बदलकर ‘शहीद भगत सिंह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा’ कर दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ दिन पहले इसकी घोषणा की थी। कार्यक्रम में मुख्य अतिधि के तौर पर मौजूद रहीं केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि उन्हें इस आयोजन में आकर गर्व की अनुभूति हुई।