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Bhagat Singh Jayanti: फांसी के लिए ले जाते समय जब भगत सिंह ने कहा था...'इंकलाबियों को मरना ही होता है'

भगत सिंह को समय से पहले फांसी दे दी गई थी। अंग्रेज सरकार को डर था कि लोगों की भीड़ इस फांसी में बाधा पहुंचा सकती है, इसलिए उसने ऐसा कदम उठाया। भगत सिंह को जब फांसी के लिए ले जाया जा रहा था, तब उन्होंने कहा था कि इंकलाबियों को मरना ही होता है।

Written By: Rituraj Tripathi @riturajfbd
Published : Sep 27, 2023 7:55 IST, Updated : Sep 28, 2023 7:33 IST
Bhagat Singh
Image Source : INDIA TV भगत सिंह

नई दिल्ली: देश को आजादी दिलवाने में अहम भूमिका निभाने वाले महान क्रांतिकारी भगत सिंह की आज जयंती है। भगत सिंह का जन्म 27 सितंबर 1907 को ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत के लायलपुर जिले के बंगा गांव में हुआ था। वर्तमान में ये जगह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के फैसलाबाद जिले में है। 

लाहौर जेल का वो आखिरी दिन

भगत सिंह की जयंती के मौके पर हम उनसे जुड़े एक किस्से को याद कर रहे हैं। लाहौर सेंट्रल जेल में वो 23 मार्च, 1931 के दिन की शुरुआत थी लेकिन भगत सिंह के लिए वो उनकी जिंदगी का आखिरी दिन था। ये वही दिन था जब भगत सिंह को फांसी दी जाने वाली थी। 

जेल के कैदी इस बात से हैरान थे कि 4 बजे वॉर्डन चरत सिंह ने उनसे साफ कह दिया था कि अपनी कोठरियों में चले जाएं। सभी के मन में सवाल कौंध रहे थे कि ऐसा क्यों किया जा रहा है। लेकिन किसी को कुछ भी बताया नहीं गया। तभी कोई फुसफुसाया कि आज भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी जाएगी। इतना सुनते ही पूरे जेल में एक पल को मुर्दा शांति छा गई। 

नेता ने भगत से पूछा- आपने अपना बचाव क्यों नहीं किया?

सभी कैदी जेल में उस रास्ते की तरफ देख रहे थे, जहां से भगत सिंह फांसी के लिए ले जाए जाने वाले थे। कुछ ही देर में वो पल आया और भगत उसी रास्ते से गुजर रहे थे। अचानक पंजाब कांग्रेस के एक नेता भीमसेन सच्चर की आवाज सुनाई दी, वह चीखते हुए भगत से पूछ रहे थे कि आप और आपके साथियों ने लाहौर कॉन्सपिरेसी केस में अपना बचाव क्यों नहीं किया? इस पर भगत ने कहा, 'इंकलाबियों को मरना ही होता है। उनके मरने से ही उनका अभियान मजबूत होता है, अदालत में अपील से नहीं।'

जब तीनों क्रांतिकारियों को फांसी की तैयारी के लिए उनकी कोठरियों से बाहर निकाला गया तो वह आजादी का ये गीत गा रहे थे...

कभी वो दिन भी आएगा

कि जब आज़ाद हम होंगें
ये अपनी ही ज़मीं होगी
ये अपना आसमां होगा

इसके बाद तीनों क्रांतिकारियों का एक-एक करके वजन किया गया, जोकि बढ़ चुका था। फिर सबसे अपना आखिरी स्नान करने के लिए कहा गया और उनको काले कपड़े पहनाए गए। वॉर्डन चरत सिंह ने भगत के कान में फुसफुसाया और कहा कि वाहे गुरु को याद करो।

इस पर भगत ने कहा कि मैंने पूरी जिंदगी ईश्वर को याद नहीं किया। अगर अब याद करूंगा तो वो सोचेंगे कि मैं डरपोक हूं और आखिरी समय में माफी मांगने आया हूं। भगत सिंह पर लिखी गईं तमाम किताबों में इन बातों का जिक्र मिलता है। 

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