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ये आयुर्वेदिक दवा डायबिटीज ही नहीं मोटापे को भी करती है कम, AIIMS की स्टडी में दावा

AIIMS के डॉक्टरों की एक टीम ने पाया है कि आयुर्वेद की मधुमेह (डायबिटीज) रोधी दवा ‘BGR-34’ लॉन्ग टर्म रोगों से ग्रस्त मरीजों में मोटापा कम करने के साथ-साथ उपापचय (मेटाबोलिज़्म) तंत्र में सुधार करने में भी कारगर है।

Edited By: Swayam Prakash @swayamniranjan_
Published on: September 23, 2022 20:17 IST
AIIMS conducts a study on BGR-34 medicine - India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO AIIMS conducts a study on BGR-34 medicine

Highlights

  • AIIMS के डॉक्टरों की एक टीम ने किया गहन अध्ययन
  • कई तरह के हर्बल को मिलाकर बनाई गई ये दवा
  • जल्द ही शोध जर्नल में प्रकाशित होगी एम्स की स्टडी

राष्ट्रीय राजधानी स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के डॉक्टरों की एक टीम ने पाया है कि आयुर्वेद की मधुमेह (डायबिटीज) रोधी दवा ‘BGR-34’ लॉन्ग टर्म रोगों से ग्रस्त मरीजों में मोटापा कम करने के साथ-साथ उपापचय (मेटाबोलिज़्म) तंत्र में सुधार करने में भी कारगर है। एम्स के फार्माकोलॉजी विभाग के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ सुधीर चंद्र सारंगी की निगरानी में तीन साल तक चले अध्ययन के बाद टीम इस निष्कर्ष पर पहुंची है। 

यह दवा अकेले ही काफी कारगर 

BGR-34 दवा को वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के वैज्ञानिकों ने गहन शोध के बाद तैयार किया है। यह कई तरह के हर्बल को मिलाकर बनाई गई है। इस दवा का विपणनन ‘एमिल फार्मास्युटिकल्स’ द्वारा किया जाता है। अध्ययन का मकसद इस बात की पड़ताल करना था कि क्या यह दवा अपने आप में असरदार है या इसका एलोपैथ की अन्य दवाओं के साथ भी प्रयोग किया जाता है। इसके नतीजे में पता चला कि यह दवाई अकेले ही काफी कारगर है जो न सिर्फ खून में शुगर की मात्रा को कम करती है बल्कि कुछ अन्य फायदे भी पहुंचाती है, जैसे मोटापे में कमी लाना इत्य‌ादि। 

शरीर में किन चीजों को टारगेट करती है दवा 
यह दवा ‘हार्मोन प्रोफाइल’, ‘लिपिड प्रोफाइल’, ‘ट्राइग्लिसराइड्स’ का स्तर भी संतुलित करती है और ‘लेप्टिन’ में कमी लाती है ‌जो शरीर में फैट को नियंत्रित करने में सहायक होता है। इसी तरह, ‘ट्राइग्लिसराइड्स’ एक बैड कोलेस्ट्रॉल है जिसकी ज्यादा मात्रा शरीर के लिए नुकसानदायक होती है लेकिन अध्ययन में इसमें भी कमी दर्ज की गई है। अध्ययन के मुताबिक, ‘लिपिड प्रोफाइल’ नियंत्रित रहने से दिल की बीमारियों का खतरा कम होता है जबकि ‘हार्मोन प्रोफाइल’ बिगड़ने से भूख नहीं लगना, नींद नहीं आना आदि जैसी समस्याएं पैदा होती हैं। 

जल्द ही शोध जर्नल में प्रकाशित होगी स्टडी 
यह अध्ययन मार्च 2019 में शुरू किया गया था और इसके निष्कर्ष जल्द ही एक शोध जर्नल में प्रकाशित किए जाएंगे। एमिल फार्मास्युटिकल्स’ के कार्यकारी निदेशक डॉ संचित शर्मा ने कहा कि हर्बल आधारित आयुर्वेद दवाओं को उन लोगों में भारी स्वीकृति मिल रही है जो जीवनशैली में बदलाव के कारण बढ़ती गैर-संचारी बीमारियों की पृष्ठभूमि में निवारक स्वास्थ्य उपाय करने के इच्छुक हैं। उन्होंने कहा कि इसे देखते हुए सरकार ने भी इन उत्पादों की उपलब्धता बढ़ाने के उपाय किए हैं। 

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