Highlights
- पार्थ चटर्जी और उनकी सहयोगी को 5 अगस्त तक की हिरासत
- आरोपियों की चिकित्सा परीक्षा कराने का इंतजाम करने का निर्देश
- अब और ED हिरासत की जरुरत ही नहीं है: अर्पिता के वकील
Bengal SSC Scam: कोलकाता की एक विशेष अदालत ने एसएससी घोटाला मामले में पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी को तीन दिनों के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ED) की हिरासत में भेज दिया। ED ने इस विशेष अदालत से चटर्जी की चार दिनों की और मुखर्जी की भी तीन दिनों की हिरासत मांगी थी।
ED ने मुखर्जी के आवास से गहनों एवं अन्य बेशकीमती सामान के अलावा करोड़ों रुपये नकद बरामद किए थे। दोनों धनशोधन रोकथाम अधिनियम के तहत आरोपों से जूझ रहे हैं। संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद विशेष पीएमएलए न्यायाधीश जीवन कुमार साधू ने दोनों आरोपियों की तीन दिनों की ईडी हिरासत मंजूर की।
दोनों को 5 अगस्त को फिर पेश किया जाए: अदालत
अदालत ने कहा कि दोनों को 5 अगस्त को फिर पेश किया जाए। जांच अधिकारी को ईडी हिरासत में रहने के दौरान हर 48 घंटे पर आरोपियों की चिकित्सा परीक्षा कराने का इंतजाम कराने का निर्देश दिया गया। पूर्व मंत्री के वकील ने अपने मुवक्किल के लिए जमानत का अनुरोध किया, जबकि मुखर्जी के वकील ने कहा कि उनकी मुवक्किल के लिए अब और ED हिरासत की जरुरत ही नहीं है।
ED की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल एस वी राजू ने अदालत से कहा कि चटर्जी और मुखर्जी के संयुक्त स्वामित्व वाली कई कंपनियों एवं संपत्तियों का पता चला है और उन दोनों से इस संबंध में पूछताछ की जरुरत है। दोनों ही आरोपियों को आज विशेष अदालत में पेश किया गया था।
चटर्जी जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं: एस वी राजू
एस वी राजू ने दावा किया कि चटर्जी जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं, जबकि मुखर्जी का रवैया अपेक्षाकृत सहयोगपरक है। न्यायाधीश साधू ने हर आरोपी के वकीलों को पहले दिन ईडी अधिकारियों की मौजूदगी में अपने मुवक्किलों से परामर्श करने की अनुमति दी। चटर्जी को 23 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था। उससे पहले उनकी सहयोगी मुखर्जी के अपार्टमेंट से करोड़ों रुपये नकद, सोना एवं संपत्ति के दस्तावेज मिले थे। अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल ने कहा कि मुखर्जी के दो फ्लैटों से 49.80 करोड़ रुपये नकद मिला है।
उन्होंने दावा किया कि चटर्जी और मुखर्जी धनशोधन में लिप्त पाए गए, क्योंकि वे सरकारी एवं सहायता प्राप्त विद्यालयों में सहायक शिक्षकों के पदों पर अवैध रूप से भर्ती की आपराधिक साजिश में संलिप्त थे। स्कूल सेवा आयोग के भर्ती अभियान में कथित अनियमितताएं तब हुईं जब चटर्जी राज्य के शिक्षा मंत्री थे।