Friday, December 27, 2024
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बेंगलुरू में खुले में नहीं दे सकेंगे कुर्बानी, बकरीद पर BBMC ने जारी की अधिसूचना

बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका ने एक अधिसूचना जारी कर कहा है कि बकरीद के मौके पर शहर में खुले में कुर्बानी देने पर प्रतिबंध लगा हुआ है, और नियमों का उल्लंघन करने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

Edited By: Vineet Kumar Singh @JournoVineet
Published : Jun 27, 2023 20:43 IST, Updated : Jun 27, 2023 21:10 IST
Bengaluru
Image Source : PIXABAY REPRESENTATIONAL बेंगलुरू में खुले में कुर्बानी देना पड़ सकता है महंगा।

बेंगलुरु: मुसलमानों के सबसे बड़े त्यौहारों में से एक ईद-अल-अदहा (बकरीद) से पहले बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (BBMP) ने सोमवार को नई अधिसूचना जारी की। इस अधिसूचना के मुताबिक, सार्वजनिक स्थानों जैसे सड़कों, अस्पतालों, स्कूलों, कॉलेजों, पार्कों और पूजास्थलों के परिसर के अंदर या बाहर जानवरों की कुर्बानी पर प्रतिबंध लगा दिया गया। अधिसूचना में कहा गया है कि सिर्फ अधिकृत बूचड़खानों को पशु वध की अनुमति है।

नियमों के उल्लंघन पर जा सकते हैं जेल

BBMP की अधिसूचना के मुताबिक, 'यदि कोई व्यक्ति या संगठन दिशा निर्देशों का उल्लंघन करते हुए पाया गया तो उन पर कर्नाटक राज्य पशु बलि अधिनियम 1959 धारा 3 के तहत मुकदमा चलाया जाएगा। इसके तहत 6 महीने तक की कैद अथवा जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। नियमों का उल्लंघन करने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 429 के तहत 5 साल तक की जेल भी हो सकती है।'

जमीयन ने कही थी यह बात
मुसलमानों के प्रमुख संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सोमवार को मुस्लिम समुदाय से ईद-उल-अजहा पर जानवरों की कुर्बानी करते समय सरकारी दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन करने और कुर्बानी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा नहीं करने का अनुरोध किया। ईद-उल-अजहा को कुर्बानी का त्योहार भी कहा जाता है। जमीयत ने कहा कि जब कोई जायज कुर्बानी को रोकने की कोशिश करे तो प्रशासन को इसकी जानकारी दें। 

इसलिए मनाई जाती है बकरीद
बता दें कि बकरीद का त्योहार गुरुवार को मनाया जाएगा। दुनिया भर के मुसलमान अल्लाह की रजा और उसके आदेश का पालन करते हुए अपने-अपने देशों के कानूनों के अनुसार जानवरों की बलि देते हैं। इस्लामी मान्यता के अनुसार, पैगंबर इब्राहिम अपने पुत्र इस्माइल को इसी दिन अल्लाह के हुक्म पर अल्लाह की राह में कुर्बान करने जा रहे थे, तो अल्लाह ने उनके बेटे को जीवनदान दे दिया और वहां एक पशु की कुर्बानी दी गई थी जिसकी याद में यह पर्व मनाया जाता है। 

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