Highlights
- बांग्लादेशी हैकरों का ग्रुप भारत सरकार की वेबसाइटों को निशाना बना रहे हैं।
- हैकरों के इस हमले में कई राज्य सरकारों की वेबसाइटें भी प्रभावित हुई हैं।
- बांग्लादेशी हैकर्स के पोस्ट फेसबुक और टेलीग्राम सहित कई प्लेटफॉर्म पर देखे गए।
Mysterious Team Bangladesh: साइबर सिक्यॉरिटी के बारे में रिसर्च करने वाले कुछ लोगों ने गुरुवार को बताया कि बांग्लादेश के कुछ हैकरों का एक ग्रुप भारत सरकार की वेबसाइटों और सर्वरों को निशाना बना रहा है। साइबर सिक्यॉरिटी फर्म क्लाउडसेक की टीम के मुताबिक, मिस्टीरियस टीम बांग्लादेश (MT) नाम का यह ग्रुप कई राज्य सरकारों के डोमेन और सबडोमेन के साथ-साथ भारत सरकार द्वारा होस्ट किए गए वेब सर्वर के खिलाफ DDOS (डिस्ट्रिब्यूटेड डेनियल ऑफ सर्विस) हमलों का इस्तेमाल कर रहा है।
कई राज्य सरकारों की वेबसाइटें हुईं प्रभावित
बांग्लादेशी साइबर अटैक को लेकर रिसर्च करने वाली टीम ने कहा कि इन हमलों से असम, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब और तमिलनाडु की सरकारों की वेबसाइटें प्रभावित हुईं। पूरा मामला तब सामने आया जब समूह के एक सदस्य ने सरकारी वेबसाइटों पर हमले शुरू करने का दावा करते हुए एक पोस्ट किया। इसी तरह के पोस्ट फेसबुक और टेलीग्राम सहित कई प्लेटफॉर्म पर देखे गए। इस ग्रुप के सदस्य मुख्य रूप से बांग्लादेश के चटगांव क्षेत्र में रहते हैं और माना जा रहा है कि वे या तो कॉलेज में पढ़ते हैं या हाल ही में ग्रैजुएशन किया है।
एक दूसरे की मदद करते हैं हैक्टिविस्ट ग्रुप
टीम ने कहा कि इस ग्रुप का असली मकसद ही सिर्फ वेबसाइटों को हैक करना है। इस ग्रुप के लोग फेसबुक, टेलीग्राम और ट्विटर के माध्यम से एक-दूसरे के संपर्क में रहते हैं। क्लाउडसेक के साइबर थ्रेट रिसर्चर अभिनव पांडे ने कहा कि कई ग्रुप के सावधानीपूर्वक विश्लेषण और प्रोफाइलिंग के माध्यम से निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि ऐसे हैक्टिविस्ट समूह नापाक हमलों को अंजाम देने के लिए एक-दूसरे के बीच मदद करते हैं। पांडे ने बताया, इस तरह के हैक्टिविस्ट समूहों द्वारा इस तरह के प्रभावशाली DDOS हमलों के लिए 'रेवेन स्टॉर्म' सबसे प्रचलित उपकरण है।
ज्यादातर हैक्टिविस्टों की उम्र 20-25 साल के बीच
मिस्टीरियस टीम बांग्लादेश के सह-संस्थापकों में से एक का नाम तस्कीन अहमद बताया जा रहा है। ग्रुप के लोग ज्यादातर 20-25 साल के बीच की उम्र के हैं और वे इंडोनेशिया स्थित हैक्टिविस्ट ग्रुप गरुड़ से जुड़े हैं। DDOS हमले वेबसाइटों को असुरक्षित बनाते हैं क्योंकि हमले के कारण कुछ सुरक्षा सुविधाएं ऑफलाइन हो जाती है। शोधकर्ताओं ने कहा कि क्षतिग्रस्त आधारभूत संरचना वेबसाइट द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं में गड़बड़ी पैदा करती है और यह आगे के हमलों की चपेट में आ जाती है। ऐसे में डेटा लॉस का भी खतरा पैदा हो जाता है। (IANS)