Highlights
- 10 जुलाई 2022 को रविवार के दिन पूरे देश में मनाई जाएगी बकरीद
- LG मनोज सिन्हा ने जम्मू-कश्मीर के लोगों की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना की
- बकरीद को लेकर उपराज्यपाल ने प्रशासन से सभी ज़रूरी इंतजाम करने को भी कहा
Bakrid: जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने गुरुवार को श्रीनगर में हज़रतबल दरगाह का दौरा किया और ईद-उल-अजहा की तैयारियों की समीक्षा की। ईद रविवार को मनाई जाएगी। उपराज्यपाल के साथ जम्मू-कश्मीर के वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष दरख्शां अंद्राबी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। अधिकारियों ने बताया कि सिन्हा ने प्रसिद्ध डल झील के सामने स्थित पवित्र दरगाह में ईद की नमाज़ अदा करने वाले नमाज़ियों के लिए बिजली, साफ-सफाई और पानी की व्यवस्था सहित अन्य व्यवस्थाओं की समीक्षा की। अधिकारी ने बताया कि उपराज्यपाल ने प्रशासन से रविवार को होने वाली बारिश के पूर्वानुमान की स्थिति में सभी ज़रूरी इंतजाम करने को भी कहा।
'उम्मीद करता हूं कि ईद के दिन अच्छे से लोग नमाज अदा कर पाएंगे'
दौरे के बाद सिन्हा ने कहा, ''हमारी कोशिश है कि सभी धर्मों के जो पवित्र त्यौहार हैं उसे सब लोग मिलजुल कर अच्छे से मनाएं। यही जम्मू कश्मीर की परम्परा रही है। उन्होंने कहा, 10 तारीख को पवित्र ईद की तैयारी का जायज़ा पहले मुख्य सचिव ने आकर लिया था। आज मैं स्वयं आया हूं, हमारे वक्फ बोर्ड की चेयरपर्सन भी है, डिविजनल कमिश्नर और वरिष्ठ अधिकारी भी आज यहां मौजूद हैं। यहां सफाई, बिजली, पानी की उपलब्धता, बारिश हो जाए तो क्या प्रबंध हो सकता है सारी चीजों पर विस्तृत योजना प्रशासन द्वारा बनाई गई है। मैं उम्मीद करता हूं कि ईद के दिन अच्छे से लोग नमाज अदा कर पाएंगे।''
LG ने जम्मू-कश्मीर के लोगों की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना की
सिन्हा ने ट्विटर पर कहा कि यह त्योहार लोगों को दयालुता, परोपकार और मानवता की भलाई के लिए काम करना सिखाता है। उपराज्यपाल ने ट्विटर पर लिखा, ''हज़रतबल दरगाह में जियारत की। ईद-उल-जुहा के शुभ अवसर के लिए की जा रही व्यवस्थाओं की समीक्षा की, यह (त्योहार) लोगों को दयालु, परोपकारी बनने व मानवता की भलाई के लिए कार्य करना सिखाता है। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के लोगों की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना की।''
ईद-उल-अजहा यानी बकरीद इस साल 10 जुलाई 2022 को रविवार के दिन पूरे देश में मनाई जाएगी। ईद के तीन दिनों तक जारी रहने वाले पैगंबर इब्राहिम की परंपरा का पालन करते हुए मुस्लमान जानवरों की कुर्बानी करते हैं। कुर्बानी का उद्देश्य न केवल परंपरा के अनुसार एक जानवर की बलि देना है। बल्कि अपने आप को दान के कार्यों के लिए समर्पित करना है।