Highlights
- बकरीद में लाखों तक पहुंच जाता है एक बकरे का दाम
- हट्टे-कट्टे बकरों की रहती है खूब मांग
- पुणे के शख्स ने ख़रीदे हैं लाखों के बकरे
Bakrid: मुस्लिम समाज के आने वाले त्यौहार बकरीद को लेकर बाजार गुलजार हैं। बकरी पालन करने वालों की चांदी है। यह वह त्यौहार जब बाजारों में बकरों के दाम लाखों में पहुंच जाते हैं। बकरी पालन करने वाले किसान साल भर बकरों की खूब सेवा करते हैं, जिससे इस त्यौहार से पहले उन्हें बकरों के ऊंचे दाम मिल सकें। और हर बार होता भी ऐसा ही है। एक-एक बकरा लाखों में बिकता है। इस बार भी ऐसा ही हुआ।
बकरीद पर कुर्बानी देने के लिए भोपाल में एक बकरा 7 लाख रुपए का बिका है। कोटा प्रजाति के इस बकरे का नाम टाइटन है। इस बकरे का रखरखाव करने वाले सैयद शाहेब अली ने दावा किया है कि यह देश का सबसे महंगा बकरा है जो घी, मक्खन और जड़ी-बूटियां खाकर तैयार हुआ है।
इसके साथ ही भोपाल में ही एक 'गुंडा' नामक बकरा 2.5 लाख और 'तैमूर' नाम का बकरा 2 लाख रुपए में बिका है। इन दोनों बकरों का भी रखरखाव शाहेब अली ने ही किया है। वहीं इन तीनो बकरों को खरीदने वाले पुणे के रहने वाले माज खान हैं। उन्होंने बताया कि आगामी बकरीद के लिए उन्होंने हैदराबाद से लेकर कश्मीर तक अच्छी नस्ल के महंगे बकरे देखे, लेकिन उन्हें पसंद नहीं आये। उन्हें किसी ने बताया कि भोपाल में भी अच्छी नस्ल के बकरे मिलते हैं और उनकी तलाश यहां आकर खत्म हो गई।
बकरे को खिलाते हैं घी और मक्खन
बकरी पालन करने वाले शाहेब अली ने बताया कि वे 3 साल पहले वे कोटा से 15 बकरे लेकर आए थे। जिनका वो पालन-पोषण कर रहे हैं। वो इन बकरों को चना, बाजरा के अलावा दूध, घी, मक्खन और जड़ी बूटियां आदि खिलाते हैं। कोटा नस्ल के 15 बकरों में से तीन बकरों टाइटन, भोपाल का गुंडा और तैमूर में इंडियन ब्रीड निखरकर आई। जब वे बड़े हुए तो मजबूत शरीर, लंबे कान, गजब की ऊंचाई और शानदार वजन निकला।
बकरे ढूंढने में हर साल खर्च करते हैं लाखों खर्च
इन तीनों बकरों को लाखों खर्च करने के बाद खरीदने वाले पुणे निवासी माज खान बताते हैं कि उनके पास खुद का गोट फार्म है। इस साल वे कश्मीर, हैदराबाद और सूरत तक हो आए, लेकिन इंडियन प्रजाति के बकरे नहीं मिले। भोपाल आए तो कोटा प्रजाति के 3 बकरे मिले। बकरीद पर सबसे बेहतरीन बकरे की कुर्बानी दी जाती है। इसकी तलाश हम पूरे साल करते हैं। इस पर 8 से 10 लाख रुपए खर्च हो जाते हैं। कोरोना के बाद बकरों की इंडियन ब्रीड किसान तैयार नहीं कर रहे, इसलिए कीमत बढ़ गई है।