बहराइच हिंसा के आरोपियों के घर पर बुलडोजर कार्रवाई का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। मामले में सुप्रीम कोर्ट तुरंत दखल देने की मांग की गई है। कोर्ट में दाखिल याचिका में यूपी सरकार की ओर से जारी किए गए नोटिस को रद्द करने और बुलडोजर की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की गई है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट याचिका पर गौर करते हुए कल की तारीख दे दी है। साथ ही राज्य सरकार से को एक आदेश दिया है।
याचिकाकर्ता के वकील ने ये दी दलील
याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट सी. यू. सिंह ने जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच के समक्ष मामला बताते हुए तत्काल सुनवाई की मांग की। सिंह ने पीठ से कहा, "यह तीन व्यक्तियों द्वारा दायर आवेदन है, जिन्हें ध्वस्तीकरण नोटिस प्राप्त हुए हैं। राज्य सरकार ने नोटिस का जवाब देने के लिए केवल तीन दिन का समय दिया है।"
सिंह ने दलील दी कि याचिकाकर्ता नंबर 1 के पिता और भाइयों ने आत्मसमर्पण कर दिया है और कथित तौर पर 17 अक्टूबर को नोटिस जारी किए गए और 18 की शाम को चिपकाए गए। उन्होंने कहा, "हमने रविवार को सुनवाई की मांग की थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।"
इस पर यूपी सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने अदालत को बताया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले पर विचार किया है और नोटिस का जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया है।
जोखिम उठाना चाहती है तो वो उनकी मर्जी- कोर्ट
आगे सुनवाई के दौरान जस्टिस बी आर गवई ने कहा कि अगर यूपी सरकार हमारे आदेश की अवहेलना का जोखिम उठाना चाहती है तो वो उनकी मर्जी। वैसे हमने ये कहा है कि अगर सार्वजनिक स्थल पर अतिक्रमण है तो मेरे आदेश में वो भी साफ लिखा है। बेंच ने तब कहा, "यदि वे (यूपी सरकार) हमारे आदेश का उल्लंघन करने का जोखिम उठाना चाहते हैं, तो यह उनकी पसंद है।" याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि हाई कोर्ट ने कोई सुरक्षा प्रदान नहीं की है। फिर कोर्ट ने राज्य सरकार के एसएसजी को मौखिक रूप से कहा है कि आप (राज्य सरकार) कल तक कार्रवाई नहीं करेंगे।
जानकारी दे दें कि यूपी सरकार ने 23 परिवारों को नोटिस जारी कर 3 दिन में अपना जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। इसी में से 3 लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर बुलडोजर की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की है।
हाईकोर्ट ने भी लगाई थी रोक
इससे पहले हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बहराइच में बुलडोजर एक्शन पर 15 दिनों तक रोक लगा दी है। इस मामले में भी 23 अक्टूबर यानी बुधवार को सुनवाई होगी। पीडब्लूडी विभाग ने जिन 23 परिवारों को नोटिस दिया है उनको जवाब दाखिल करने के लिए 15 दिनों का वक्त दिया गया है।