Friday, November 22, 2024
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बद्रीनाथ धाम के कपाट हुए बंद, इस दौरान रावल ने धारण किया स्त्री का रूप, जानिए इसके पीछे की वजह

बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के दौरान एक अखंड दीपक जलाया जाता है और कपाट बंद कर दिए जाते हैं। 6 महीने बाद जब कपाट खिओए जाते हैं तो यह दीपक जलता हुआ मिलता है।

Written By: Sudhanshu Gaur @SudhanshuGaur24
Published on: November 18, 2023 18:10 IST
बद्रीनाथ धाम के कपाट हुए बंद - India TV Hindi
Image Source : PTI/FILE बद्रीनाथ धाम के कपाट हुए बंद

Badrinath Dham: चार धामों में से एक बद्रीनाथ धाम के कपाट आज शनिवार को विधिवत पूजा के बाद बंद हो गए हैं। भू-वैकुंठधाम के रूप में प्रसिद्ध बद्रीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। बद्री विशाल की जय के घोष और वैदिक ऋचाओं के गुंजन के साथ मुर्हतानुसार अपराह्न ठीक 3:33 बजे विधि-विधान से कपाट बंद किए गए। इस दौरान हजारों श्रद्धालु मौजूद रहे। इसके साथ ही इस वर्ष की चारधाम यात्रा पूर्ण हो गई है।

कपाट बंद करने से पहले पंच दिवसीय विशेष पूजा हुई 

बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद करने से पहले पंच दिवसीय विशेष पूजा-अर्चना की गई। पिछले पांच दिनों के आखिरी पड़ाव में शुक्रवार को कढाई भोग और पूजा-अर्चना के बाद माता लक्ष्मी को गर्भगृह में विराजमान होने का न्योता दिया गया। रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने परिसर स्थित लक्ष्मी मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की। कपाट बंद होने के मौके पर बद्रीनाथ मंदिर को कई क्विंटल फूलों से भव्य रूप से सजाया गया था। अब शीतकाल में शंकराचार्य के गद्दी स्थल जोशीमठ में भगवान बद्री विशाल की पूजा-अर्चना होगी।

पार्वती का रूप धारण करते हैं रावल 

बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद करने के दौरान मंदिर के रावल ने एक स्त्री का रूप धारण किया था। यहां हिंदू धर्म के हिसाब से पराई स्त्री को ना छूने की परंपरा को निभाया जाता है। मूर्ति को उठाना मुख्य पुजारी को ही है और इसलिए रावल जी को लक्ष्मी की सखी पार्वती का रूप धरकर लक्ष्मी मंदिर में प्रवेश करना होता है। 

घृत कंबल ओढ़ाकर कपाट बंद किए जाते हैं

इसके साथ ही माता लक्ष्मी को भगवान बद्री विशाल के गर्भगृह में विराजमान करने के बाद मंदिर के मुख्य पुजारी रावल भावुक हो जाते हैं, इसलिए उन्हें मंदिर से बाहर तक उल्टे पैर ही लाया जाता है। कपाट बंद होने के दौरान भगवान बद्री विशाल को माणा गांव की कुंवारी कन्याओं द्वारा निर्मित घृत कंबल ओढ़ाकर कपाट बंद किए जाते हैं। यह कंबल गाय के घी और कच्चे सूत से निर्मित होता है।

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