बेंगलुरु: बाबा बागेश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री बेंगलुरु में भी अपने उसी चिर-परिचित अंदाज में दिखे। वही तेवर, वही संकल्प और वही नारा- हिंदू राष्ट्र हमारा। बाबा बागेश्वर ने हनुमंत कथा के दौरान हिंदू राष्ट्र की हुंकार भरी और एक बार फिर धर्मांतरण करने वालों को चेतावनी दी। उन्होंने कहा सनातन को छोड़कर किसी में ताकत नहीं है जो हनुमान जी की शक्तियों का सामना कर सके। पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने उन लोगों को भी जवाब दिया जो कि उन्हें किसी राजनीतिक दल से जुड़ा बताते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी एक ही पार्टी है और वो पार्टी है बजरंग बली की। धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि उनका मकसद सिर्फ यही है कि पूरा भारत राममय हो जाए।
जब बाबा बागेश्वर का दिव्य दरबार लगा तो उन्होंने इंडिया टीवी संवाददाता टी राघवन को भी मंच पर बुलाया। पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने टी राघवन को कहा कि दिव्य दरबार में पहुंची भीड़ में से किसी एक शख्स को लेकर आइए। बाबा ने दावा किया उस अनजान शख्स का पर्चा उनके पास तैयार रहेगा।
बाबा बागेश्वर और इंडिया टीवी संवाददाता के बीच क्या हुई बात?
बाबा- ये हमने भरा पर्चा.. 1 नंबर है.. ये जो है हां इसको हमने लिख लिया.. बोलिए.. अब जाइए आप पर्चा लिखा रखा है ये रख दी
आप पीछे से आगे से अपना छोड़कर, अपने परिचय का छोड़कर ईमानदारी के साथ पुरुषों में महिलाओं में वीआईपी में नॉन वीआईपी में साधारण बूढ़े, जवान, युवान, देसी-विदेशी किसी को भी ले आएं आप जिनको लाएंगे ये पर्चा उनका निकलेगा)
संवाददाता- कितना समय है बाबा जी मेरे पास
बाबा- एक बात बोलें आपकी क्षमता नहीं है जिनका हमने पर्चा लिखा तुम उसके अलावा किसी और को ले आओ
संवाददाता- जी वो हम देख लेंगे.. कितना समय है हमारे पास ? कितना समय है ?
बाबा- समय एक घंटा ले लो.. लेकिन इतना भी समय नहीं है नहीं तो दरबार रुका रहेगा . तब तक हम दूसरी अर्जी लगाएं ?
संवाददाता- आपकी मर्जी.
बाबा- क्योंकि तुम देर लगा रहे हो
संवाददाता- मैं बुला लेता हूं
बाबा- ये पर्चा हमने रख दिया इस तरफ.. अब तुम अपना समय लगाओ
संवाददाता- ठीक है
इंडिया टीवी संवाददाता टी राघवन मंच से उतरकर वापस श्रद्धालुओं की भीड़ में पहुंचे और जयपुर की एक महिला को मंच पर लेकर आने लगे। इसी दौरान बीदर से आई एक और महिला हमारे संवाददाता के साथ मंच पर जाने की जिद करने लगी तो राघवन दोनों को लेकर मंच पर लेकर आ गए लेकिन बीदर की रहने वाली महिला बाबा बागेश्वर के पास पहले पहुंच गई तो बाबा ने उनका पर्चा पढ़ दिया।
टी राघवन ने पूरे घटनाक्रम की जानकारी देते हुए बताया, ''बाबा बागेश्वर ने मुझसे कहा आपका पर्चा नहीं निकालेंगे आप इतने लोगों में से किसी को भी मंच पर लेकर आइए मैंने पहले ही उनका पर्चा लिख रहा हूं मैं चैलेंज करता हूं आप उन्हीं को ही लायेंगे जिनका पर्चा मैंने लिखकर रखा है। मैं सभागार के सबसे पिछले हिस्से में गया और वहां से जयपुर की रहने वाली एक महिला सुशीला अग्रवाल को लेकर आया। उनके पति की किडनी फेल हो गई थी उनका इलाज करवाने ये महिला जयपुर से बेंगलुरू आई थी। वह बहुत दुखी थीं और बाबा से निदान चाहती थीं। मैं उनको लेकर मंच की ओर बढ़ने लगा। इसी बीच कर्नाटक के बीदर से आई एक महिला ने भी उन्हें अपने साथ ले जाने की रिक्वेस्ट की तो मैंने उन्हें समझाया कि मैंने एक महिला का चयन पहले ही कर लिया है। बीदर वाली ये महिला वही शख्स थी, जो काफी देर से ठीक मेरे पीछे खड़ी थीं और कार्यक्रम की शुरुआत में मुझसे कह रहीं थीं कि किसी तरह उनका पर्चा लगा दिया जाए। मैंने उन्हें समझाया कि बाबा तय करते हैं कि किसका पर्चा लगेगा, आप इंतजार कीजिए अगर आपका नाम बुलाया जाएगा तो आप भी मंच पर जा पाएंगी।''
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आगे उन्होंने बताया, ''मैं जयपुर वाली महिला के साथ मंच की सीढ़ियों तक पहुंच गया। जबरदस्त भीड़ के बावजूद बीदर वाली ये महिला वहां सीढ़ियों के पास मिलीं और कहा मुझे ले चलिए। मैंने कहा कि बाबा ने सिर्फ एक ही महिला को बोला है तो उन्होंने कहा कि 2 को भी ले जा सकते हैं। उनके हाव भाव से वो भी दुखी लग रही थीं तो मैंने उन्हें भी आने को कह दिया। मंच पर चढ़ने से पहले लेदर का सारा सामान रखकर जाना पड़ता है। इस क्रम में बीदर वाली महिला जयपुर वाली महिला से पहले बाबा के पास पहुंच गई। बाबा ने पर्चा पढ़ा और उसमें बातें सही निकली। मैंने जयपुर वाली महिला का पर्चा पढ़ने को कहा तो बाबा ने कहा अभी इनके पर्चे का आदेश नहीं आया है उन्हें इंतजार करना होगा। मैंने कहा मुझे एक प्रश्न पूछने दीजिए तो उसके लिए भी उन्होंने कहा कि बाद में कभी पूछ लेना और मैं मंच से नीचे उतर गया। जिनका पर्चा पढ़ा जाता है उन्हें धाम के लोग कुछ निर्देश देने के लिए स्टेज के कोने में अपने पास रोक लेते हैं। मुझे मीडिया स्टैंड के पास जाने को कहा गया। मैं बीदर वाली महिला से ये कहकर आया था कि अपना काम पूरा होने के बाद वे मुझसे मिलें लेकिन मंच से उतरकर वो चलीं गईं। कार्यक्रम पूरा होने के बाद भी वो बीदर वाली महिला मुझे नहीं मिलीं।''
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15 जून से पांच दिन के एकांतवास में बाबा बागेश्वर
बेंगलुरु के दिव्य दरबार में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे। बाबा बागेश्वर ने कई लोगों का पर्चा पढ़ा और उनकी समस्या का समाधान बताया। बेंगलुरु में बागेश्वर धाम के सरकार का एक दिन का दिव्य दरबार संपन्न हो गया अब उनका अगला पड़ाव एकांतवास है। बाबा बागेश्वर 15 जून से पांच दिन के एकांतवास में रहने वाले हैं जहां वो सनातन धर्म पर एक किताब लिखने वाले हैं। इस किताब के जरिए वो पूरे देश में सनातन का झंडा बुलंद करेंगे और हिंदू राष्ट्र बनाने के मार्ग प्रशस्त करेंगे।