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Subhash Chandra Bose Jayanti 2022: अंग्रेजों को धूल चटाने के लिए बना डाली आजाद हिंद फौज, किया रेडियो प्रसारण, जर्मनी से जापान तक किया सफर

देश की आजादी के लिए नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने अथक प्रयास किए। उन्होंने ब्रिटेन के विरोधी देशों को जो विश्वयुद्ध में ब्रिटेन के विरोध में लड़ रहे थे, उन्हें साधने की कोशिश की, ताकि वे अपनी ऐसी फौज बना सकें, जिससे वे अंग्रेजों से लड़ सकें। इसके लिए वे जर्मनी गए और हिटलर से मिले, जापान भी गए। उन्हें यहां से सहयोग भी मिला।

Written by: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Updated on: January 23, 2022 8:30 IST
सुभाषचंद्र बोस- India TV Hindi
Image Source : TWITTER सुभाषचंद्र बोस

Highlights

  • दूसरे विश्वयुद्ध में ब्रिटेन के विरोध में जर्मनी, जापान लड़ रहे थे, उन्हें साधने की कोशिश की
  • सुभाष चंद्र बोस ने ब्रिटिश सरकार को अपनी योजनाओं से कई बार चकमा दिया था
  • 1941 में उन्हें एक घर में नजरबंद करके रखा गया था, जहां से वे भाग निकले

देश की आजादी के लिए नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने अथक प्रयास किए। उन्होंने ब्रिटेन के विरोधी देशों को जो विश्वयुद्ध में ब्रिटेन के विरोध में लड़ रहे थे, उन्हें साधने की कोशिश की, ताकि वे अपनी ऐसी फौज बना सकें, जिससे वे अंग्रेजों से लड़ सकें। इसके लिए वे जर्मनी गए और हिटलर से मिले, जापान भी गए। उन्हें यहां से सहयोग भी मिला।

1941 में उन्हें एक घर में नजरबंद करके रखा गया था, जहां से वे भाग निकले। सुभाष चंद्र बोस ने ब्रिटिश सरकार को अपनी योजनाओं से कई बार चकमा दिया था। एक ऐसा ही वाक्या उनके नजरबंद रहने के दौरान सामने आया। जब वह सभी को चकमा देकर काबुल के रास्ते जर्मनी पहुंच गए। वहां उन्होंने हिटलर से मुलाकात की। खास बात यह थी कि बोस ने जर्मनी तक पहुंचने के लिए कोलकाता से गोमो तक कार से यात्रा की, इसके बाद वह पेशावर तक ट्रेन से पहुंचे। फिर वह वहां से काबुल पहुंचे। वहां कुछ दिन रहने के बाद फिर वह भारत की स्वतंत्रता में सहयोग के लिए नाजी जर्मनी और जापान गए। ऐसा कहा जाता है कि बोस ने पूरी दुनिया का भ्रमण किया था।

1942 में किया आजाद हिंद फौज का गठन

 उन्होंने 1942 में जापान के सहयोग से आजाद हिंद फौज का गठन किया था। उनकी आजाद हिंद फौज में ब्रिटिश मलय, सिंगापुर और अन्य दक्षिण पूर्व एशिया के हिस्सों के युद्धबंदी और बागानों में काम करने वाले मजदूर शामिल थे। बाद में इसमें बर्मा और मलाया में स्थित भारतीय स्वयंसेवक भी भर्ती किए गए। आज हिंद फौज की स्थापना करने के बाद सुभाष चंद्र बोस ने युवाओं को अपनी सेना में शामिल करने की योजना बनाई।इसके लिए उन्हें देश के युवाओं से अनुरोध किया कि वह उनकी फौज में शामिल होकर उनका साथ दें। इसी समय उन्होंने तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा का नारा दिया था।बोस चाहते थे कि वह अपनी फौज की मदद से भारत को ब्रिटिश सरकार से आजाद कराएं।

आजाद हिंद फौज के गठन के पीछे क्या थी सोच
 सुभाष बाबू का मानना था कि आजादी हासिल करने के लिए सिर्फ अहिंसात्मक आंदोलन ही पर्याप्त नहीं होंगे। इसलिए उन्होंने सशस्त्र प्रतिरोध की वकालत की। यही कारण रहा कि उन्होंने आजाद हिंद फौज की स्थापना की। 21 अक्टूबर 1943 को आजाद हिन्द फौज का गठन किया गया। 1944 को आजाद हिंद फौज ने अंग्रेजों पर आक्रमण किया और कुछ भारतीय प्रदेशों को अंग्रेजों से मुक्त भी करा लिया। आज़ाद हिंद फौज में करीब 85 हजार सैनिक शामिल थे। इसमे एक महिला यूनिट भी थी जिसकी कप्तान लक्ष्मी स्वामीनाथन थी। 19 मार्च 1944 के दिन पहली बार आजाद हिंद फौज के लोगों ने झंडा फहराया था।

बापू से आशीर्वाद लेकर की आजाद हिंद रेडियो की स्थापना
नेताजी ने जर्मनी में आजाद हिंद रेडियो स्टेशन की भी स्थापना की। 6 जुलाई 1944 को उन्होंने रंगून रेडियो स्टेशन से महात्मा गांधी के नाम एक प्रसारण जारी करके बापू से आशीर्वाद और शुभकामनाएं मांगी। राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी भी उन्‍हें बहुत मानते थे। उन्‍होंने नेताजी को 'देशभक्‍तों के देशभक्‍त' की उपाधि से नवाजा था।

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