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Aurangzeb & Kashi Vishwanath: ...जब औरंगजेब से काशी विश्वनाथ मंदिर को बचाने के लिए भिड़ गए थे 40 हजार नागा साधु, जानें फिर क्या हुआ

काशी विश्वनाथ को तोड़ने की पहली कोशिश में औरंगजेब सफल नहीं हो पाया था। अपनी मुगल सेना के साथ उसने पहली बार साल 1664 में मंदिर पर हमला किया था। लेकिन नागा साधुओं ने मंदिर का बचाव किया और औरंगजेब की सेना को बुरी तरह हराया।

Written By: Rituraj Tripathi @riturajfbd
Updated on: December 16, 2022 7:20 IST
Aurangzeb & Kashi Vishwanath- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Aurangzeb & Kashi Vishwanath

Highlights

  • काशी विश्वनाथ पर पहली बार साल 1664 में औरंगजेब ने किया था हमला
  • वाराणसी के महानिर्वाणी अखाड़े के नागा साधुओं ने औरंगजेब को हराया था
  • औरंगजेब ने 4 साल बाद यानी 1669 में वाराणसी पर फिर से हमला किया

Aurangzeb & Kashi Vishwanath: देश में ज्ञानवापी मस्जिद और ताजमहल को लेकर विवाद चल रहा है। जहां एक तरफ वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग निकलने का दावा किया जा रहा है, वहीं आगरा के ताजमहल के बंद 22 दरवाजे खुलवाने की भी मांग की जा रही है। इन तमाम दावों के बीच एक बात ये भी सामने निकलकर आ रही है कि मुगल बादशाह औरंगजेब (Aurangzeb) ने अपने शासनकाल में कई मंदिरों को तोड़ा और उनकी जगह मस्जिदों का निर्माण करवाया। हालांकि इंडिया टीवी इन दावों की सच्चाई की पुष्टि नहीं करता। फिर भी इन तमाम खबरों के बीच औरंगजेब भी चर्चा का विषय बन गया है।

काशी विश्वनाथ पर औरंगजेब का पहला हमला और नागा साधुओं से भिड़ंत

काशी विश्वनाथ (Kashi Vishwanath) को तोड़ने की पहली कोशिश में औरंगजेब (Aurangzeb) सफल नहीं हो पाया था। अपनी मुगल सेना के साथ उसने पहली बार साल 1664 में मंदिर पर हमला किया था। लेकिन नागा साधुओं ने मंदिर का बचाव किया और औरंगजेब की सेना को बुरी तरह हराया। मुगलों की इस हार का वर्णन जेम्स जी. लोचटेफेल्ड की किताब 'द इलस्ट्रेटेड इनसाइक्लोपीडिया ऑफ हिंदूइज्म, वॉल्यूम 1' में मिलता है। 

इस किताब के मुताबिक, वाराणसी के महानिर्वाणी अखाड़े के नागा साधुओं ने औरंगजेब के खिलाफ कड़ा विरोध किया था और मुगलों की हार हुई थी। लेखक ने इस ऐतिहासिक घटना को वाराणसी में महानिर्वाणी अखाड़े के अभिलेखागार (आर्काइव) में एक हाथ से लिखी किताब में देखा। उन्होंने इस घटना को अपनी किताब में 'ज्ञान वापी की लड़ाई' के रूप में बताया।

40 हजार नागाओं ने काशी विश्वनाथ के सम्मान के लिए दी जान

साल 1664 में काशी विश्वनाथ (Kashi Vishwanath) की रक्षा करने वाले नागा साधुओं का वर्णन जदुनाथ सरकार की किताब 'ए हिस्ट्री ऑफ दशनामी नागा संन्यासियों' में भी मिलता है। जदुनाथ सरकार के मुताबिक, नागा साधुओं ने महान गौरव प्राप्त किया था। सूर्योदय से सूर्यास्त तक युद्ध छिड़ गया था और दशनामी नागाओं ने खुद को नायक साबित कर दिया। उन्होंने विश्वनाथ के सम्मान की रक्षा की।

औरंगजेब (Aurangzeb) ने 4 साल बाद यानी 1669 में वाराणसी पर फिर से हमला किया और मंदिर में तोड़फोड़ की। औरंगजेब जानता था कि मंदिर हिंदुओं की आस्था और भावनाओं से जुड़ा है, इसलिए उसने ये सुनिश्चित किया कि इसे फिर से नहीं बनाया जाएगा और इसकी जगह ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण किया गया। ये मस्जिद आज भी मंदिर परिसर में मौजूद है। स्थानीय लोककथाओं और मौखिक कथाओं के अनुसार, लगभग 40,000 नागा साधुओं ने काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी।

औरंगजेब ने दिल्ली में कालका मंदिर को तोड़ने का दिया था फरमान

सितंबर 1667 में, औरंगजेब (Aurangzeb) ने दिल्ली में कालका मंदिर (Kalka Ji Temple) के विध्वंस के लिए एक 'फरमान' जारी किया था। इस फरमान में मंदिर को तोड़ने का कारण ये बताया गया था कि मंदिर में बड़ी संख्या में हिंदू जमा हुए थे। मुगल तानाशाह औरंगजेब के लिए यह पर्याप्त कारण था कि वह अपने सैकड़ों सैनिकों को मंदिर को गिराने का आदेश दे। 

डेविड अयालोन द्वारा इस्लामिक इतिहास और सभ्यता के अध्ययन में इस बात का वर्णन किया गया है कि कैसे औरंगजेब ने जबरन हिंदुओं को इस्लाम में परिवर्तित किया और हिंदू मंदिरों को नष्ट कर दिया। 

सैकड़ों मंदिरों को औरंगजेब ने करवाया नष्ट

एक इतिहासकार इब्राहीम एराली ने अपनी किताब 'एम्परर्स ऑफ द पीकॉक थ्रोन: द सागा ऑफ द ग्रेट मुगल्स' में वर्णन किया है कि कैसे औरंगजेब (Aurangzeb) के दौर में उज्जैन के आसपास के सभी मंदिरों को नष्ट कर दिया गया और राजस्थान में 300 मंदिरों को नष्ट किया गया। इस किताब में औरंगजेब द्वारा नष्ट किए गए कई मंदिरों के उदाहरण मिलते हैं। 

बीजा मंडल मंदिर को इस्लामी लुटेरों द्वारा नष्ट किए जाने के बाद दोबारा बनाया गया। इसे महमूद गजनी, इल्तुतमिश, मलिक काफूर, महमूद खिलजी, गुजरात सल्तनत के बहादुर शाह और औरंगजेब द्वारा नष्ट किया गया और लूटा गया। 

नासिक के त्र्यंबक में प्राचीन त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग को औरंगजेब की मुगल सेना ने 1690 में तोड़ दिया था। उसी समय, मुगलों ने एलोरा, नरसिंहपुर, पंढरपुर, जेजुरी और यवत में मंदिरों पर भी हमला किया। इसका वर्णन जदुनाथ सरकार की पुस्तक 'हिस्ट्री ऑफ औरंगजेब' में मिलता है।

मुनि लाल की किताब 'औरंगजेब' में उसकी बर्बरता और मंदिरों के विनाश के उसके आदेशों के कई प्रसंगों का वर्णन किया गया है। बीजापुर दौरे पर राजकुमार आज़म ने 8 प्राचीन मंदिरों को ध्वस्त किया था और पवित्र वेदी पर बछड़ों की बलि देकर कई मंदिरों को अपवित्र किया था। कुछ स्थानों पर, स्थानीय राजा की छोटी सेनाओं ने उनका विरोध भी किया, लेकिन वे विशाल मुगल सेना पर कोई प्रभाव नहीं डाल सके।

हालांकि बुर्जोर अवारी ने अपनी किताब 'इस्लामिक सिविलाइजेशन इन साउथ एशिया: ए हिस्ट्री ऑफ मुस्लिम पावर एंड प्रेजेंस इन द इंडियन सबकॉन्टिनेंट' में 2000 अध्ययन के आधार पर औरंगजेब का उल्लेख केवल 15 मंदिरों को नष्ट करने के लिए किया है। 

इन मंदिरों में तानाशाह औरंगजेब ने मचाई तबाही

विजय मंदिर: बीजामंडल, जिसे विजयमंदिर मंदिर के नाम से जाना जाता है, विदिशा जिले के मुख्यालय विदिशा में स्थित है। 11वीं शताब्दी में निर्मित, इस मंदिर को 1682 में नष्ट कर दिया गया था। इसके विध्वंस के बाद, मुगल सम्राट औरंगजेब (Aurangzeb) ने इस जगह पर आलमगिरी मस्जिद का निर्माण किया था। इस मस्जिद के निर्माण में नष्ट किए गए मंदिर की सामग्री का उपयोग किया गया था।

भीमा देवी मंदिर: भीमा देवी मंदिर हरियाणा के पिंजौर में स्थित है। कहा जाता है कि इस मंदिर को समकालीन मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा बार-बार नष्ट किया गया था। उस समय औरंगजेब का शासन था।

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