AI इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या के मामला अब एक नया मोड़ ले रहा है। AI इंजीनियर अतुल सुभाष मां अंजू देवी ने अतुल के साढ़े चार साल के बेटे की कस्टडी दिए जाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी.वी नागरत्ना और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच ने मामले की सुनवाई कर तीनों राज्यों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका में कहा गया कि बच्चा कहां है इसकी कोई जानकारी नहीं है। बच्चे की मां उसका पता नहीं बता रही है।
की गई बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल
याचिकाकर्ता अतुल की मां अंजू देवी ने अपने पोते यानी अतुल के साढ़े चार साल के बेटे की कस्टडी के लिए अर्जी लगाते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की है। जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक सरकार को इस हेवियस कारपस यानी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
मां नहीं बता रही पता
याचिका में कहा गया है कि वो बच्चा कहां है ये किसी को भी पता नहीं है क्योंकि हिरासत में मौजूद अतुल की पत्नी निकिता उस बच्चे का अता-पता नहीं बता रही है। पत्नी के भाई अनुराग सिंघानिया और मां निशा सिंघानिया भी फिलहाल हिरासत में हैं। लिहाजा उनसे पूछताछ कर मासूम बच्चे की कस्टडी उनको यानी दादा-दादी को सौंपी जाए।
हालांकि निकिता ने पुलिस की बताया कि बेटा फरीदाबाद के बोर्डिंग स्कूल में पढ़ रहा है। उसकी कस्टडी निकिता के ताऊ सुशील सिंघानिया के पास है जबकि निकिता के ताऊ सुशील ने पुलिस को बच्चे की कस्टडी या उसके बारे में कोई भी जानकारी होने से सिरे से इनकार किया है।
7 जनवरी को होगी सुनवाई
इस याचिका में कहा गया है कि इस मामले का उत्तर प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक तीनों राज्यों से संबंध है इसलिए सुप्रीम कोर्ट इसमें दखल दे और बच्च को बरामद कर कोर्ट के समक्ष लाया जाए। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर अगली सुनवाई 7 जनवरी को होगी।