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Atal Bihari Vajpayee: स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता, कवि... शख्सियत एक और रूप अनेक, हर एक में माहिर, जानें वाजपेयी के जीवन के अहम चरण

Atal Bihari Vajpayee: वाजपेयी का नेतृत्व कौशल कमाल का था और वह एक अच्छे वक्ता भी थे, जिसके चलते वह जन संघ का प्रमुख चेहरा बन गए। 1968 में दीन दयाल उपाध्याय के निधन के ठीक बाद वाजपेयी भारतीय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए।

Written By: Shilpa
Published : Aug 16, 2022 15:57 IST, Updated : Aug 16, 2022 16:05 IST
Atal Bihari Vajpayee
Image Source : INDIA TV Atal Bihari Vajpayee

Highlights

  • आजादी की लड़ाई में जेल गए थे वाजपेयी
  • पूर्व पीएम ने 20 से अधिक किताबें लिखी हैं
  • वाजपेयी की कविताओं के दीवाने हैं लोग

Atal Bihari Vajpayee: बीजेपी के दिग्गज नेता और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी की आज चौथी पुण्यतिथि है और पूरा देश दिल से उन्हें याद कर रहा है। उनका जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर में 25 दिसंबर, 1924 को एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। उनकी मां का नाम कृष्णा देवी और पिता का नाम कृष्ण बिहारी वाजपेयी था। वाजपेयी ने अपनी स्कूली पढ़ाई ग्वालियर के सरस्वती शिशु मंदिर से की। उन्होंने ग्वालियर के ही विक्टोरिया कॉलेज से अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की, जिसे आज लक्ष्मी बाई कॉलेज के नाम से जाना जाता है। इसके बाद उन्होंने कानपुर के दयानंद एंग्लो-वेदिक कॉलेज से राजनीतिक विज्ञान में पोस्ट-ग्रेजुएशन किया।

एक स्वतंत्रता सैनानी और राजनीति में एंट्री

वाजपेयी 1939 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुडे़ थे। आरएसएस के साथ काम करना राजनीति में उनका पहला अनुभव था। 1942 में वह और उनके बड़े भाई 23 दिनों तक गिरफ्तार रहे। ये वो समय था, जब भारत छोड़ो आंदोलन अपने चरम पर था। 1947 में वाजपेयी प्रचारक के तौर पर फुल टाइम आरएसएस कार्यकर्ता बने लेकिन सालभर के भीतर ही महात्मा गांधी की हत्या में कथित भूमिका के आरोप में इस संगठन को बैन कर दिया गया।

1951 में वाजपेयी राजनीतिक पार्टी भारतीय जनसंघ से जुड़े। यह श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नेतृत्व में आरएसएस से जुड़ा एक राजनीतिक दल था। वाजपेयी इसके राष्ट्रीय सचिव और उत्तरी क्षेत्र के प्रभारी बने। वाजपेयी का नेतृत्व कौशल कमाल का था और वह एक अच्छे वक्ता भी थे, जिसके चलते वह जनसंघ का प्रमुख चेहरा बन गए। 1968 में दीन दयाल उपाध्याय के निधन के ठीक बाद वाजपेयी भारतीय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए। 

जब संसद के सदस्य थे अटल बिहारी वाजपेयी

 
वाजपेयी करीब पांच दशक तक संसद के सदस्य रहे हैं। वह 1957 से छह अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हुए 10 बार लोकसभा के लिए चुने गए। वाजपेयी ने अपना पहला चुनाव 1957 में लड़ा था, जिसमें वह मथुरा में राजा महेंद्र प्रताप से हार गए लेकिन उत्तर प्रदेश के बलरामपुर निर्वाचन क्षेत्र से जीते, और दूसरी लोकसभा के लिए चुने गए। इसके बाद वह 1984 तक चार और कार्यकाल पूरे करते हुए संसद के सदस्य रहे। हालांकि वाजपेयी 1984 में लोकसभा चुनाव में ग्वालियर से माधवराव सिंधिया से हार गए थे। 

Atal Bihari Vajpayee

Image Source : INDIA TV
Atal Bihari Vajpayee

फिर 1986 में वह राज्यसभा के सदस्य बने और 1991 में लखनऊ निर्वाचन क्षेत्र से दोबारा 10वीं लोकसभा के लिए चुने गए। उन्होंने 2009 तक इसी निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व भी किया।

एक कैबिनेट मंत्री के तौर पर वाजपेयी

1977-1979 के बीच वाजपेयी तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली जनता पार्टी की सरकार में विदेश मंत्री रहे थे। अपने इस कार्यकाल के दौरान वाजपेयी ऐसे पहले शख्स बन गए थे, जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिंदी में भाषण दिया था। उनके इस कार्यकाल ने उन्हें खुद को एक सम्मानित राजनेता के तौर पर स्थापित करने में भी मदद की।

जब वाजपेयी रहे भारत के प्रधानमंत्री

अटल बिहारी वाजपेयी ने 1996 के आम चुनाव के बाद भारत के 10वें प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी, तब लोकसभा में बीजेपी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बनकर उभरी थी। लेकिन प्रधानमंत्री के तौर पर उनका पहला कार्यकाल केवल 13 दिनों तक ही रहा, क्योंकि सरकार बहुमत साबित करने के लिए अन्य पार्टियों का समर्थन हासिल नहीं कर पाई थी। इसके बाद हुए चुनाव में बीजेपी एक बार फिर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और गठबंधन सरकार बनाने में सफल रही, जिसे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए कहा जाता है। लेकिन ये गठबंधन सरकार भी महज 13 महीनों तक ही चली, क्योंकि सरकार महज एक वोट से अविश्वास प्रस्ताव हार गई थी। 

1999 में प्रधानमंत्री के अपने तीसरे कार्यकाल में वाजपेयी ऐसे पहले गैर-कांग्रेसी नेता भी बने थे, जिन्होंने प्रधानमंत्री का अपना कार्यकाल पूरा किया। तब बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए ने लोकसभा में बहुमत में सीट हासिल की थीं।  

प्रमुख नीतियां और आर्थिक सुधार 

जब वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे, तब भारत ने कई उपलब्धियां हासिल कीं और देश में आर्थिक सुधार भी किए गए। 

  • 1998 में जब वाजपेयी सरकार सत्ता में थी, तब भारत ने पोखरण में अपने परमाणु हथियारों का परीक्षण किया। भारत ने 1974 में अपना पहला परमाणु परीक्षण करने के 24 साल बाद राजस्थान के पोखरण रेगिस्तान में पांच भूमिगत परमाणु परीक्षण किए। सरकार के सत्ता में आने के एक महीने बाद ही ये परीक्षण किए गए थे।
  • उन्होंने भारत के बुनियादी ढांचे के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, खासकर सड़कों और राजमार्ग के क्षेत्र में। उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना और प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना का शुभारंभ किया।
  • वाजपेयी ने दूरसंचार उद्योग के सुधारों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1999 में वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा नई दूरसंचार नीति की घोषणा की गई थी, जिसमें निश्चित लाइसेंस शुल्क से अधिक राजस्व-साझाकरण व्यवस्था (रेवेन्यू शेयरिंग अरेंजमेंट) में बदलाव की अनुमति दी गई थी।
  • वाजपेयी ने प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान पाकिस्तान के साथ राजनयिक शांति वार्ता की शुरुआत की थी। उन्होंने 1999 में दिल्ली से लाहौर के लिए बस सेवा का उद्घाटन किया।
  • वाजपेयी ने भारत में पहली बार एक अलग विनिवेश मंत्रालय भी स्थापित किया। अरुण जेटली पहले विनिवेश मंत्री थे। भारत एल्युमिनियम कंपनी (बाल्को) और हिंदुस्तान जिंक, इंडियन पेट्रोकेमिकल्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड और वीएसएनएल उनके कार्यकाल के दौरान किए गए सबसे प्रसिद्ध विनिवेशों में शामिल थे।

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एक कवि और लेखक के रूप में अटल

अटल बिहारी वाजपेयी बहुत अच्छे कवि और लेखक भी थे। उन्होंने 20 से अधिक किताब लिखी हैं, इनमें 6 से अधिक किताब उनकी कविताओं के संग्रह पर आधारित हैं। एक संग्रह का नाम है, 'क्या खोया क्या पाया,' इसे बाद में 'संवेदना' नाम के म्यूजिक एल्बम में बदला गया। वाजपेयी की लिखी कविताओं को जगजीत सिंह ने कंपोज करके गाया है।

पुरस्कारों से भी नवाजे गए थे वाजपेयी

अटल बिहारी वाजपेयी को 1992 में पद्म विभूषण पुरस्कार से नवाजा गया था और फिर 2015 में उन्हें भारत रत्न दिया गया। यह भारत में दिए जाने वाले सर्वोच्च नागरिक सम्मान हैं।

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