Highlights
- सहायक उपनिरीक्षक बाबू राम 29 अगस्त 2020 को श्रीनगर में चलाए गए एक आतंकवाद रोधी अभियान का हिस्सा थे।
- बाबू राम का जन्म जम्मू क्षेत्र में पुंछ जिले के सीमावर्ती मेंढर इलाके के गांव धारना में 15 मई 1972 को हुआ था।
- विभिन्न आतंकवाद रोधी अभियानों में उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें 2 बार समय से पहले पदोन्नति दी गई थी।
नयी दिल्ली: आंतकवादी रोधी अभियान में शहीद हुए जम्मू-कश्मीर पुलिस के अधिकारी बाबू राम की पत्नी को 73वें गणतंत्र दिवस पर भारत के सर्वोच्च शांतिकालीन वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित किया गया। सहायक उपनिरीक्षक बाबू राम 29 अगस्त 2020 को श्रीनगर में चलाए गए एक आतंकवाद रोधी अभियान का हिस्सा थे। 3 आतंकवादियों ने पुलिस और केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के संयुक्त दल पर हमला कर दिया था और पास ही एक स्थान पर जा छिपे थे।
SOG में बाबू राम ने 18 साल तक दी सेवाएं
पुलिस और सुरक्षा बलों ने तुरंत ही इलाके को घेर लिया। इसके बाद गोलीबारी शुरू हुई जिसमें तीनों आतंकवादी मारे गए। प्रदेश पुलिस के सहायक उपनिरीक्षक बाबू राम भी इस अभियान में शहीद हो गए थे। आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हुए बाबू राम ने जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान समूह (एसओजी) में 18 साल सेवा दीं। इस दौरान वह आतंकवाद रोधी कई अभियानों में अग्रिम मोर्चे पर रहे थे। बाबू राम का जन्म जम्मू क्षेत्र में पुंछ जिले के सीमावर्ती मेंढर इलाके के गांव धारना में 15 मई 1972 को हुआ था और वह बचपन से ही सशस्त्र बलों में शामिल होना चाहते थे।
30 जुलाई 1999 को पूरा हुआ बाबू राम का सपना
बाबू राम का बचपन का सपना तब पूरा हुआ जब वह 30 जुलाई 1999 को कांस्टेबल के तौर पर पुलिस में शामिल हुए। उन्हें प्रशिक्षण के बाद 27 जुलाई 2002 को एसओजी श्रीनगर में तैनात किया गया था। बाबू राम एक बार लाल चौक में नागरिकों को सुरक्षित रूप से निकालते समय आतंकियों से मुठभेड़ में घायल हो गये थे लेकिन स्वस्थ होने के बाद फिर सेवा में आ गये थे। एक अधिकारी के मुताबिक, श्रीनगर में विभिन्न आतंकवाद रोधी अभियानों में उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें दो बार समय से पहले पदोन्नति दी गई थी।