Sunday, March 30, 2025
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फौजी पिता का अनोखा तोहफा, मृत बेटे के अंगों को किया दान, कई लोगों की बच गई जान

भारतीय सेना में कार्यरत एक पिता ने कई गंभीर रोगों से पीड़ित लोगों को अनोखा तोहफा दिया है। दरअसल उनके बेटे की मृत्यु के बाद उन्होंने अपने बेटे के अंगों को दान कर दिया, जिसकी बदौलत कई लोगों की जान बचाई जा सकी।

Reported By : Manish Prasad Edited By : Avinash Rai Published : Feb 18, 2025 22:06 IST, Updated : Feb 18, 2025 22:06 IST
Army Fathers Heartfelt Gift Donates Sons Organs to Save Lives After Tragic Accident
Image Source : INDIA TV फौजी पिता का अनोखा तोहफा

भारतीय सेना की एक से बढ़कर एक कहानियां हैं जो लोगों को प्रेरणा देने का काम करती हैं। इस बीच एक सैनिक की कहानी फिर सामने आई है, जिसने लोगों के दिलों को छू लिया है। दरअसल यह कहानी है 10वीं बटालियन महार रेजिमेंट में सेवारत एनसीओर हवलदार नरेश कुमार की। यह कहानी है उनके अदम्य साहस, निस्वार्थता और मानवता की। दरअसल 8 फरवीर 2025 को हवलदार नरेश कुमार के बेटे मास्टर अर्शदीप सिंह एक दुखद सड़क दुर्घटना में घायल हो गए और बाद में उनकी मृत्यु हो गई। एक तरफ जहां हवलदार नरेश कुमार बतौर पिता दुखी थे। वहीं दूसरी तरफ उन्होंने अपनी निजी तकलीफ को दूसरों के लिए आशा और उम्मीद में बदल दिया।

हवलदार नरेश की प्रेरणादायक कहानी

दरअसल उन्होंने अपने मृत बेटे मास्टर अर्शदीप सिंह के अंगों को दान करने का फैसला किया। इस कारण गंभीर रोगों से ग्रसित 6 लोगों को नया जीवन मिला। 16 फरवरी को उन्होंने अपने मृत बेटे के लीवर, किडनी पैनक्रियाज और कॉर्निया को दान करने की सहमति दी और यह सुनिश्चित किया कि अर्शदीप की विरासत न केवल उनकी यादों में बल्कि उनके द्वारा बचाए गए लोगों के जीवन में भी जीवित रहेगी। जिस वक्त वह अपने जीवन के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे थे, उस दौरान उन्होंने दयालुता, प्रेम और उदारता का परिचय दिया। इसी कारण 16 फरवरी 2025 को मास्टर अर्शदीप सिंह की किडनी को ग्रीन कॉरिडोर के जरिए तेजी से नई दिल्ली के आर्मी अस्पतालं रिसर्च एंड रेफरल ले जाया गया।

अंगदान से बचाई गई जान

किडनी और पैन्क्रियाज को पीजीआई में क्रोनिक किडनी डिजीज के साथ जानलेवा टाइप 1 डायबिटीज से जूझ रहे मरीज को दान किया गया। वहीं जरूरतमंद लोगों की दृष्टि बहाल करने के लिए कॉर्निया को सुरक्षित रखा गया। यह प्रयास कमांड अस्पताल, चंडीमंदिर की विशेषज्ञता के जरिए संभव हो सका, जो अंग निकालनों में अपनी उत्कृष्टता के लिए मशहूर है। हवलदार नरेश कुमार का यह त्याग और बड़ा फैसला प्रेरणादायक है। यह उनके निस्वार्थ कार्य प्रणाली को दर्शाता है। साथ ही उनके द्वारा किया गया यह काम कई लोगों को अंग दान करने के लिए प्रोत्साहित भी करेगा।

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