नई दिल्ली : केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा है कि तीन तलाक़ को रद्द करना एक बहुत बड़ा ' सुधारवादी' कदम था और '40 साल बाद आने वाली नस्लें इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी को याद करेंगी।'
इसको 40 साल बाद वालों पर छोड़ दीजिए
इंडिया टीवी के शो 'आप की अदालत' में रजत शर्मा के सवालों का जवाब देते हुए आरिफ मोहम्मद खान ने कहा - "अभी तो सिर्फ 4 साल हुए हैं। हम आज की तारीख में ईमानदारी के साथ इसका जो आकलन होना चाहिए, वो नहीं कर सकते। 40 साल गुज़र जाने दीजिये। 40 साल के बाद की जो नस्ल होगी, वो हमारे प्रधानमंत्री को इस तरह देखेगी एक हज़ार साल पहले की कुरीति, जिसके चलते महिलाओ का जीवन नारकीय हो गया था, जिसके चलते एक महीने में 500 तलाकें होती थी, कितने बच्चे थे जिनका जीवन अन्धकार में चला जाता था, ऐसे टूटे हुए परिवारों का 40 साल बाद आकलन होगा, कि ये इतना बड़ा रिफॉर्मिस्ट... सुधारवादी कदम था। क्रांति शब्द मुझे अच्छा नहीं लगता। हमारे देश में संक्रांति की कल्पना है, तो वो कितना बड़ा काम हुआ है, इसको 40 साल बाद वालों पर छोड़ दीजिए। ये लोग तो तब भी यही कहते थे कि मुसलमान लोगों का नुकसान होगा।
मुस्लिम समुदाय में तलाक की संख्या में 95% कमी
आरिफ मोहम्मद खान ने दावा किया कि तीन तलाक खत्म करने के कानून के बाद मुस्लिम समुदाय में तलाकों की संख्या में 95 प्रतिशत कमी आई है। खान ने कहा - " 2019 से आज हम जुलाई 2023 में बैठे हुए हैं। इन 4 सालो में ज़रा पता कीजिये कि तलाक़ की दरों में मुस्लिम समाज में कितनी कमी आयी। तलाक़ पर प्रतिबन्ध नहीं है। तीन तलाक़ पर प्रतिबन्ध लगा, उसके नतीजे में 95 प्रतिशत तलाक़ की दर में कमी आ गयी किसका फायदा हुआ? केवल मुस्लिम महिलाओ का नहीं, जो तलाक़ के बाद सड़कों पर आ जाती थी. वो बच्चे , तलाक़ के कारण, जिनका भविष्य अन्धकार में चला जाता था वही तो लाभान्वित हुए और कौन लाभान्वित हुआ? और कहा ये जा रहा था कि इससे मुसलमानों को बहुत नुकसान होगा।"
जब रजत शर्मा ने कहा कि एक मौलाना ने हलाला की प्रथा को ये कह कर जायज़ ठहराया है कि इससे औरतों को इज़्ज़त मिलेगी और वे अचनाक तलाक़ लेने से पहले डरेंगी, तो आरिफ मोहम्मद खान का उत्तर था - ये तो सीमा पार कर गये ये कह कर कि हलाला तो महिलाओं को इज्जत देता है कि किसी गैर मर्द से उसकी शादी करवाई जाय और उसके बाद फिर वो उसे तलाक दे और फिर उसकी पुराने पति से शादी हो। ये इज्जत देने वाली बात है ?
रजत शर्मा - उनका वाक्य सुनिए, उन्होंने कहा कि एक औरत के साथ हलाला हो तो तलाक़ देने की जुर्रत नहीं करेंगे लोग।
कुरान में तलाक का तरीका दिया गया है
आरिफ मोहम्मद खान - "मैं कह रहा हूं कि तलाक देने का अधिकार जो कुरान में है, उसमें पहला कदम है, समझाओ। दूसरा कदम है, मिसाल देकर समझाओ, तीसरा कदम है दोनों तरफ से दो-दो लोग उनके बीच मध्यस्थता करें। ये सब जब फेल हो जाएं तो तलाक दे दो। लेकिन तलाक देने के बाद तुम्हें तीन महीने साथ रहना पडे़गा. जब कुरान में ये तरीका बताया हुआ है और उस तीन महीने में अगर शारीरिक संबंध हो जाए या आदमी जुबानी तौर पर वापिस ले ले तो तलाक़ का असर खत्म हो गया। तीन महीने पूरे होने के बाद भी अगर अलग हो गये तो भी निकाह हो जाएगा दुबारा। जब कुरान में यह तरीका दिया गया है तो आप क्यों झटपट में तलाक देना चाहते हैं ? तलाक़ की जरूरत तो तभी पड़ी ना, जब आपने दाल में नमक ज्यादा हुआ तो तलाक दे दिया और उसके बाद रो रहे हैं ये कह कर कि मेरी नीयत नहीं थी, मैं तो डांटना चाहता था। कितने ऐसे सारे केसेज़ हैं। "