Highlights
- 21 मई, 1991 को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तमिलनाडु के श्रीपेरुंबुदूर में हत्या
- राजीव गांधी बलिदान दिवस' को आतंकवाद विरोधी दिवस के रूप में भी मनाया जाता है
- देश के लिए प्राण न्यौछावर करने वाले सपूतों का बलिदान हर पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत बना रहेगा
Anti Terrorism Day 2022: पूरे देश में 21 मई को आतंकवाद विरोधी दिवस (Anti Terrorism Day) मनाया जाता है। आज दुनिया जिन समस्याओं का सामना कर रही है, उनमें सबसे बड़ी समस्या है आतंकवाद। आतंकवाद की वजह से भारत समेत कई देशों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। हजारों लोगों को दुनिया में अपनी जान गंवानी पड़ी है। इस समस्या से निपटने के लिए भारत ने 21 मई को आतंकवाद विरोधी दिवस मनाने का फैसला किया। आतंकवाद विरोधी दिवस मनाने का मकसद लोगों को आतंकवाद के समाज विरोधी कृत्य से लोगों को अवगत कराना है। इसकी वजह से लोगों को जानमाल का कितना नुकसान उठाना पड़ता है, उससे भी लोगों को अवगत कराया जाता है।
क्यों मनाया जाता है आतंकवाद विरोधी दिवस?
21 मई, 1991 को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तमिलनाडु के श्रीपेरुंबुदूर में हत्या कर दी गई थी। राजीव गांधी की हत्या की साजिश लिट्टे ने रची थी। इस हत्या की जिम्मेदारी श्रीलंका में सक्रिय आतंकवादी संगठन लिट्टे ने ली थी। राजीव गांधी चुनाव प्रचार के सिलसिले में श्रीपेरुंबुदूर गए हुए थे। वे वहां एक आमसभा को संबोधित करने जा ही रहे थे कि उनका स्वागत करने के लिए रास्ते में बहुत सारे प्रशंसक उन्हें फूलों की माला पहना रहे थे। इसी मौके का उठाते हुए लिट्टे के आतंकवादियों ने इस घटना को अंजाम दिया था। हमलावर ने एक आत्मघाती विस्फोट को अंजाम दिया, जिसमें राजीव गांधी की मौत हो गई थी। 'राजीव गांधी बलिदान दिवस' को आतंकवाद विरोधी दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। तभी से स्वर्गीय राजीव गांधी के सम्मान में और उनको श्रद्धांजलि देने के लिए 21 मई का दिन आतंकवाद विरोधी दिवस के तौर पर मनाया जाता है।
आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई में कितने ही भारतीय जवान शहीद हुए हैं। आज हर कोई अपने-अपने अंदाज में वीर शहीदों को श्रद्धांजली दे रहा है। मां भारती के इन महान सपूतों का बलिदान देश की हर पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत बना रहेगा।
हमेशा याद आएंगे ये 5 शहीद जवान-
शहीद हेमंत करकरे
26/11 हमले को 13 साल से ज्यादा समय हो गया हैं लेकिन देश इस दिन को नहीं भूला पाया है। इस दिन पाकिस्तान परस्त आतंकियों ने गोलियों से देश को दहला दिया ता, जिसमें करीब 164 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। इसी खौफनाक आतंकी हमले में महाराष्ट्र के तत्कालीन एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे भी शहीद हुए, जिस घटना ने पूरे देश की आंखों को नम कर दिया था। आज देशभर में इस हमले में शहीद हुए सभी लोगों को नमन कर श्रद्धांजलि दी जा रही है।
26/11 के शहीद तुकाराम ओंबले
साल 2008 में पाकिस्तान से आए 10 आतंकियों ने मुंबई में इतना हाहाकार मचाया था कि पूरा देश उससे दहल उठा था। हर आतंकी के पास एके-47 थी। तमाम सुरक्षाबल सिर्फ इसी कोशिश में जुटे थे कि किसी तरह आतंकियों को दबोचा जाए। हालांकि आखिर में जो जिंदा पकड़ा गया वो सिर्फ अजमल कसाब था और जिसने उसे पकड़वाया वो बहादुर सिपाही तुकाराम ओंबले थे। बलिदानी तुकाराम ओंबले की बहादुरी के कारण आज उन्हें इस दिन बड़े-बड़े अधिकारी नमन करते हैं। जिस स्थान पर कसाब पकड़ा गया था वहां अब उस अमर बलिदानी की मूर्ति लगाई गई है और उनको मरणोपरांत अशोक चक्र से भी सम्मानित किया जा चुका है।
सर्जिकल स्ट्राइक के हीरो लांस नायक संदीप सिंह
सर्जिकल स्ट्राइक में अहम भूमिका निभाने वाले लांस नायक संदीप सिंह ने शहीद होने के पहले तीन आतंकियों को मार गिराया था। कुपवाड़ा के तंगधार में रविवार को कुछ आतंकियों ने घुसपैठ की कोशिश की थी। जिसके बाद हुई मुठभेड़ में सेना ने 24 घंटे में पांच आतंकी मार गिराए थे। इस दौरान एक गोली संदीप सिंह के सिर में भी लगी थी। उन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां उन्होंने आखिरी सांस ली। बताया जा रहा है कि उन्होंने अपनी टीम को बचाने के लिए अपनी जान गंवा दी।
शहीद मेजर विभूति शंकर ढौंढियाल
शहीद मेजर विभूति शंकर ढौंढियाल ने बचपन से ही सेना में जाने का सपना देख लिया था। वह कई बार असफल हुए लेकिन राह नहीं बदली। विभूति ढौंढियाल ने पुलवामा हमले के दौरान 5 आतंकवादियों को मौत के घाट उतारा था। लेकिन उन्होंने देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दे दिया। उनके इसी जुनून, देशभक्ति और सर्वोच्च बलिदान को देखते हुए मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है। उनके बाद अब उनकी पत्नी भी इसी राह पर चल पड़ी हैं।
मेजर अनुज सूद
21 राष्ट्रीय राइफल्स के मेजर अनुज सूद भी मई 2020 में जम्मू-कश्मीर के हंदवाड़ा में आतंकवादियों के खिलाफ जंग में चल बसे थे। उन्हें मरणोपरांत बीते साल 26 जनवरी को शौर्य चक्र दिया गया। पिछले साल मई की शुरुआत में हरियाणा के पंचकूला से यह तस्वीर आई थी। मेजर सूद का पार्थिव शरीर उनके घर पहुंचा था। आकृति ताबूत से लिपटे बस रोए जा रही थीं। उनकी ननद हर्षिता जो खुद सेना में ऑफिसर हैं, किसी तरह भाभी को संभाल रही थीं। कुछ तस्वीरें में आकृति एकदम गुमसुम बैठी थीं। उनकी पथराई नजरें बस मेजर सूद पर टिकी थीं।