कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (22 अगस्त) को दूसरी बार सुनवाई की। इस दौरान अननेचुरल डेथ और पोस्टमार्टम के समय को लेकर और केस डायरी के साथ छेड़छाड़ को लेकर कोलकाता पुलिस पर कई सवाल खड़े किए गए। देश के जाने माने वकील कपिल सिब्बल पश्चिम बंगाल सरकार का पक्ष रख रहे थे, लेकिन उन्हें भी फटकार सुननी पड़ी। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने उनसे कहा कि अगली सुनवाई के दौरान कोलकाता पुलिस के किसी जिम्मेदार अधिकारी को साथ लेकर आएं जो साफ जवाब दे सके। यहां हम बता रहे हैं कि किन सवालों पर कोलकाता पुलिस संदेह के घेरे में नजर आई।
सीबीआई के आरोप
सीजेआई ने मेडिकल एग्जामिनेशन रिपोर्ट मांगी तो सीबीआई ने कहा "हमारी समस्या ये है कि हादसे के पांच दिन बाद हमें जांच मिली है। इस दौरान घटना स्थल को नुकसान पहुंचाया गया। सबूत मिटाए गए। पीड़िता की मृत्यु के बाद FIR दर्ज हुई। डॉक्टरों के दबाव में क्राइम सीन की वीडियोग्राफी हुई।" सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि इस मामले में 2023 में एक व्यक्ति ने शिकायत दर्ज कराई थी। इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इस पर कपिल सिब्बल ने शिकायत की कॉपी मांगी। हालांकि, उनके पास इस बारे में कोई ठोस जवाब नहीं था।
12 घंटे बाद क्यों सील हुआ क्राइम सीन
सुनवाई के दौरान पूछा गया कि केस डायरी में मौत का समय सुबह 10 बजकर 10 मिनट लिखा गया है, लेकिन क्राइम सीन रात 11 बजे तक सील नहीं हुआ था। पुलिस क्या कर रही थी। कपिल सिब्बल ने जवाब में टाइमलाइन सामने रखने की बात कही। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम आपके रिकॉर्ड देख रहे हैं। यह अननेचुरल डेथ नहीं थी। अगर ऐसा था तो पोस्टमार्टम की क्या जरूरत। कोर्ट ने पोस्टमार्टम का समय पूछा तो सिब्बल ने शाम 6-7 के बीच बताया और कहा कि अन नेचुरल डेथ का मामला दोपहर 1:45 बजे दर्ज किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अन नेचुरल डेथ के रजिस्ट्रेशन से पहले पोस्टमार्टम होता है। यह आश्चर्यजनक है। अपने अधिकारियों से बात करिए अगर यह तथ्य है तो। कपिल सिब्बल से कोर्ट ने कहा कि जिम्मेदारी के साथ बोलें, कुछ भी बयानबाजी न करें। अगली सुनवाई के दौरान अपने साथ कोलकाता पुलिस के एक जिम्मेदार अधिकारी को भी लेकर आएं। क्योंकि अब तक कोर्ट को यह नहीं पता चला है कि अप्राकृतिक मौत का केस कब दर्ज किया गया था।
केस डायरी की जांच की मांग
केस डायरी में जीडी एंट्री सुबह 5:20 बजे है, सुबह 10:10 बजे अस्पताल से सूचना मिली कि महिला अर्धनग्न हालत में पड़ी थी। जब पोस्टमार्टम और अननेचुरल डेथ का समय साफ नहीं हो सका तो कोर्ट ने कहा कि सीबीआई को केस डायरी की जांच करनी चाहिए और यह पता लगाना चाहिए कि क्या इसमें कुछ पन्ने बाद में जोड़े गए हैं। इसके साथ ही कोलकाता पुलिस की तरफ से जांच करने वाली महिला एएसपी की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए। जस्टिस परदीवाला ने पूछा कि उन्होंने इस तरह से काम क्यों किया।
हंसने पर कपिल सिब्बल को फटकार
पोस्टमार्टम और अननेचुरल डेथ की एंट्री को लेकर तुषार मेहता अपनी बात रख रहे थे। उन्होंने कहा कि एफआईआर अस्पताल की तरफ से नहीं दर्ज करायी गई, बल्कि पीड़िता के पिता की मिन्नतों के बाद दर्ज की गई। सिब्बल ने हंसते हुए उनके सवाल का जवाब दिया तो एसजी ने कहा कि किसी की मौत हुई है। उस मामले की सुनवाई चल रही है। आप हंस कैसे कर सकते हैं। किसी की गरिमा का सवाल है। लंच के लिए सुनवाई रोकने से पहले कोर्ट ने कहा कि अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि अप्राकृतिक मौत का मामला कब दर्ज किया गया।
पहली सुनवाई में भी लगाई थी फटकार
इससे पहले सुनवाई में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने प्राथमिकी दर्ज करने में देरी को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार को फटकार लगाई थी। मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह घटना पूरे भारत में चिकित्सकों की सुरक्षा के संबंध में व्यवस्थागत मुद्दे को उठाती है। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि अगर महिलाएं काम पर नहीं जा पा रही हैं और काम करने की स्थितियां सुरक्षित नहीं हैं तो हम उन्हें समानता से वंचित कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि अस्पताल के अधिकारी क्या कर रहे थे ? चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था, ‘‘ऐसा लगता है कि अपराध का पता सुबह-सुबह ही चल गया था, लेकिन मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने इसे आत्महत्या बताने की कोशिश की।’’ अदालत ने कोलकाता पुलिस को भी फटकार लगायी और पूछा कि हजारों लोगों की भीड़ आरजी कर मेडिकल कॉलेज में कैसे घुसी। उसने पूछा कि जब आरजी कर अस्पताल के प्रिंसिपल का आचरण जांच के घेरे में है तो उन्हें कैसे तुरंत किसी दूसरे कॉलेज में नियुक्त कर दिया गया।
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