Highlights
- समाज में जानवरों के लिए हीन भावना बढ़ीं
- 'गुड पेरेंटिंग जरूरी, ताकि जानवरों के प्रति प्यार का भाव बच्चों में आ सके'
- राजघाट पर जाकर की गई मुहिम की शुरुआत
Animal Welfare: जानवरों की मासूमियत देख हमें याद आती है बापू की सीख की, जिसमें करुणा का भाव था और प्रेम भरपूर था। न सिर्फ इंसानों के प्रति बल्कि सभी जानवरों के प्रति भी, यही सीख आज हमें अपने अंदर जगाने की जरूरत है। ये समाज और दुनिया जितनी इंसानों की है उतनी ही बेजुबान जानवरों की भी है, पिछले कुछ समय में जो घटनाएं कुत्तों की काटने की सामने आई है उसके बाद लोग डर गए है और अपने पालतू जानवरों को भी अनदेखा कर अकेला छोड़ दे रहे है। इससे सड़कों पर आवारा कुत्तों की तादाद बढ़ रही है, लेकिन कुछ लोग इन बेजुबानों के साथी बन गए हैं। इन्हें अपना दोस्त बना रहे हैं। आज आप सभी उन्हीं से मिलिए कि कैसे ये वैक्सिनेशन कैंपेन और फीडिंग के जरिए जानवरों के साथ साथ हमारी जिंदगियां भी बदल रहे है।
जगह-जगह जाकर कर रहे जानवरों को वैक्सीनेट
#indiaunitesforanimalsrights इस मंत्र के साथ देशभर से एनिमल लवर्स एक साथ आकर जानवरों के सरोकार के लिए काम कर रहे हैं। उन्हें अलग अलग जगहों पर जाकर वैक्सीनेट कर रहे हैं। साथ ही साथ लोगों के बीच जानवरों से प्रेम की भावना का भी संचार कर रहे हैं। इस समूह में अंबिका शुक्ला जो एनिमल वेलफेयर के लिए कार्य करती रही हैं वो जुड़ी हैं, उनके साथ में और भी लोग जुड़ हुए हैं। इसमें छोटे बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्ग भी शामिल हैं। जगह जगह जाकर जानवरों को वैक्सीनेट कर रहे है, उन्हें फीड कर रहे हैं।
समाज में जानवरों के लिए हीन भावना बढ़ीं
अंबिका शुक्ला बताती है कि कैसे समाज में जानवरों और खासकर कुत्तों के लिए हीन भावना बढ़ी है, लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए। क्योंकि ये जानवर केवल प्यार के भूखे हैं। इन्हें प्यार दिया जाना चाहिए। वह तरीके भी बताती हैं कि कैसे ABC का मंत्र जिसमें कुत्तों की नसबंदी करा और पॉपुलेशन कंट्रोल कर हम कुत्तों का वेलफेयर कर सकते हैं, ताकि ओवर पॉपुलेशन ना हो और साथ ही साथ कुत्तों को एग्रेसिव होने से बचाया जा सकता है।
राजघाट पर जाकर की गई है मुहिम की शुरुआत
DU में प्रोफेसर अनु जी बताती हैं कि गुड पेरेंटिंग बेहद जरूरी है ताकि जानवरों के प्रति प्यार का भाव बचपन से बच्चों में आ सके। इस कैंपेन में सबके पास समाज को देने के लिए कड़े संदेश है जो बदलाव की नींव रखते हैं। बच्चों से लेकर बड़ों तक सब सब्र, प्यार और करुणा की बात करते हैं और थोड़ा समय सभी को निकालने की बात करते हैं ताकि प्रकृति के संतुलन को बनाने में हम भी भागीदारी निभा सकें। राजघाट पर जाकर इस मुहिम की शुरुआत हुई है और ये मुहिम लोगों के दिलों तक जाए इसकी कोशिश सभी इससे जुड़े लोगों की है।