Highlights
- कर्मचारी यूरोपीय देशों से संबंध रखते थे
- सिर्फ पश्चिम बंगाल में 9 एंग्लो इंडियन के सदस्य हैं
- उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में एंग्लो इंडियन के एक भी सदस्य नहीं है
Anglo Indian: भारत में लोकसभा चुनाव जब भी होते हैं क्षेत्रों से चुनकर सांसद सदन में पहुंचते हैं। दो ऐसे सदस्य होते हैं जो किसी क्षेत्र से चुनकर नहीं आते हैं। यह किसी खास समुदाय से संबंध रखते हैं जिन्हें राष्ट्रपति के द्वारा सीधे चयनित किया जाता है। अगर आप एंग्लो इंडियन के बारे में सोच रहे होंगे तो बिल्कुल सही सोच रहे हैं। आज हम एंग्लो इंडियन के बारे में चर्चा करेंगे। क्या है एंग्लो इंडियन का इतिहास और लोकसभा में 2 सीटें क्यों आरक्षित रहती थी।
एंग्लो इंडियन कौन होते हैं?
एंग्लो इंडियन यानी वह भारतीय जिसके पिता के वंशज यूरोपियन देशों से संबंध रखते हो। ऐसा कहा जाता है कि एंग्लो इंडियन शब्द ब्रिटिश नागरिकों के द्वारा दी गई थी। जब हमारे देश पर अंग्रेजों का हुकूमत था उसी दौरान भारत में रेल की पटरिया बिछाई जा रही थी और इनमें काम करने वाले अधिक कर्मचारी यूरोपीय देशों से संबंध रखते थे। इसके बाद में भारत में बस गए और यहीं शादी की। अब इनसे होने वाले जो भी संतान हुए उन्हें एंग्लो इंडियन कहा गया।
भारत में कितने एंग्लो इंडियन है?
जनगणना 2011 के मुताबिक, एंग्लो इंडियन के 296 सदस्य हैं। वहीं दूसरी ओर ऑल इंडिया एंग्लो इंडियन एसोसिएशन ने तत्कालीन कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद से पत्र लिखकर आपत्ति जताई थी। इस संगठन के अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखा था। उन्होंने पत्र लिखते हुए बताया कि सिर्फ पश्चिम बंगाल में 9 एंग्लो इंडियन के सदस्य हैं। अध्यक्ष बैरी ओ'ब्रायन ने बताया कि जनगणना के मुताबिक उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में एंग्लो इंडियन के एक भी सदस्य नहीं है जबकि कई विधानसभा क्षेत्रों में एंग्लो इंडियन है। बैरी ओब्रायन ने बताया कि हमारी संख्या लाखों में है। बैरी ओब्रायान बीजेपी के नेता है और इनके बड़े भाई टीएमसी के नेता है।
दोनों सदनों में 2 सीटें आरक्षित रहती थी।
लोकसभा में 2 सीटें आरक्षित रहती थी। आपको पता था कि लोकसभा में कुल 545 सीटें हैं इनमें से 2 सीटों पर एंग्लो इंडियन सांसद राष्ट्रपति के द्वारा चुने जाते थे। वही जिओ में भी राज्यपाल के पास यह अधिकार है कि वह विधानसभा में एंगलो इंडियंस सदस्य बना सकते हैं हालांकि यह देखना होगा कि विधानसभा चुनाव में क्या कोई एक एंग्लो इंडियन चुनाव जीता है या नहीं। वही आपको बता दें कि अगर यह राष्ट्रपति के द्वारा मनोनीत किए जाते हैं तो राष्ट्रपति चुनाव में इनके पास अधिकार नहीं होता है कि यह चुनाव कर सकें। वही आपको बता दें कि 2019 में मोदी सरकार ने इन दोनों आरक्षित सीटों को खत्म कर दिया। इन सीटों का आरक्षण की अवधि समाप्त हो गई। और इनकी आगे अवधि नहीं बढ़ाई गई। जॉर्ज बेकर और रिचर्ड हे एंग्लो दोनों यह आखरी एंग्लो इंडियन सांसद रहे।