FIFA World Cup 2022: भारत में भगोड़ा घोषित जाकिर नाइक को कतर सरकार द्वारा फीफा वर्ल्ड कप में आमंत्रित किए जाने पर देश में गुस्से का उबाल है। कतर सरकार की सोशल मीडिया पर भी जमकर आलोचना हो रही है। इसी बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की गोवा इकाई के प्रवक्ता सैवियो रोड्रिग्स ने केंद्र सरकार और भारतीय फुटबॉल संघ से फीफा विश्व कप का बहिष्कार करने की अपील की है। रोड्रिग्स ने कतर द्वारा भारत की ओर से भगोड़ा घोषित विवादित इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक को फीफा विश्व कप में आमंत्रित किए जाने की खबरों के बीच यह आग्रह किया है।
छह वर्ष से भगोड़ा है जाकिर नाइक
नाइक कथित तौर पर 2016 में भारत छोड़कर मलेशिया चला गया था, जहां उसे स्थायी निवास प्रदान किया गया। भारत ने मलेशिया सरकार से उसके प्रत्यार्पण का अनुरोध किया है। रोड्रिग्स ने मंगलवार को एक बयान में कहा, “जाकिर नाइक भारतीय कानून के तहत एक वांछित व्यक्ति है। उस पर धन शोधन गतिविधियों में शामिल होने और घृणा भाषण देने जैसे गंभीर आरोप हैं।” उन्होंने कहा, “जाकिर नाइक आतंकवादियों का हमदर्द है। वास्तव में वह खुद किसी आतंकवादी से कम नहीं है। उसने खुले तौर पर आतंकवादी ओसामा बिन लादेन का समर्थन किया है और भारत में इस्लामी कट्टरपंथ और नफरत फैलाने में अहम भूमिका निभाई है।” भाजपा प्रवक्ता ने केंद्र सरकार, भारतीय फुटबॉल संघ, कतर में रह रहे भारतीयों और फीफा विश्व कप के लिए अरब देश की यात्रा की योजना बना रहे फुटबॉल प्रेमियों से इस खेल स्पर्धा का बहिष्कार करने का आग्रह किया।
आतंकी है जाकिर नाइक
उन्होंने कहा कि फीफा विश्व कप एक वैश्विक स्पर्धा है और दुनियाभर से बड़ी संख्या में लोग इस शानदार खेल स्पर्धा का लुत्फ उठाने पहुंचते हैं, जबकि करोड़ों दर्शक टेलीविजन और इंटरनेट पर मैच देखते हैं। रोड्रिग्स ने दावा किया कि ऐसे समय में जब दुनिया वैश्विक आतंकवाद से लड़ रही है, तब नाइक को एक मंच देना एक आतंकवादी को कट्टरपंथ और नफरत फैलाने के लिए एक मंच देने के समान है, क्योंकि जाकिर आतंकियों का मददगार है और खुद भी उसी प्रवृत्ति का है। उन्होंने कहा, “न सिर्फ भारत के लोगों को, बल्कि आतंकवाद से पीड़ित अन्य देशों के लोगों को भी आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए फीफा विश्वकप का बहिष्कार करना चाहिए।” अन्य धर्मों के खिलाफ नफरत भरे भाषण देने के लिए ब्रिटेन और कनाडा ने भी नाइक पर प्रतिबंध लगा रखा है। वह मलेशिया के 16 प्रतिबंधित इस्लामी विद्वानों में शामिल है।