Highlights
- अम्मावोडी' योजना के अंतर्गत मिलने वाली रकम में 2 हजार रुपए की कटौती
- अब लाभार्थियों को 15 हजार रुपए के बजाय केवल 13 हजार रुपए दिए जाएंगे
- आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा और भी योजनाओं के पैसे काटे जा रहे हैं
Andhrapradesh Government Policy: आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी ने सोमवार को श्रीकाकुलम में 'अम्मावोडी' (मां की गोद) योजना के तीसरे चरण की का शुरुआत करेंगे। योजना के अंतर्गत इस बार माताओं (लाभार्थियों) को 15 हजार रुपए के बजाय दो हजार रुपए की कटौती के साथ केवल 13 हजार रुपए दिए जाएंगे। राज्य भर में पात्र लाभार्थियों की कुल संख्या 2022-23 में 52,463 की कमी के साथ 43,96,402 रह गई, जबकि 2020-21 में यह संख्या 44,48,865 थी। योजना का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ''माता-पिता की गरीबी उनके बच्चों को शिक्षित करने के रास्ते में आड़े नहीं आए।''
2021-22 में कोविड-19 के कारण यह योजना क्रियान्वित नहीं रही। रेड्डी ने 2019 में चुनाव प्रचार के दौरान पहली से 12वीं कक्षा तक के बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रत्येक मां को 15 हजार रुपए देने का वादा किया था। वर्ष 2019-20 में, 42,33,098 माताओं को पंद्रह-पंद्रह हजार रुपए का भुगतान किया गया था, जिसमें कुल 6,349.64 करोड़ रुपए खर्च हुए थे।
आंध्र प्रदेश सरकार ने इन योजनाओं में भी की कटौती
साल 2020-21 में, सरकार ने शौचालय रखरखाव कोष (टीएमएफ) के लिए प्रत्येक लाभार्थी से एक हजार रुपए की कटौती की। हालांकि, सरकार ने टीएमएफ के लिए 444.88 करोड़ रुपए बरकरार रखे। इस साल, स्कूल रखरखाव कोष (एसएमएफ) के लिए अतिरिक्त एक हजार रुपये काटे जा रहे हैं। इस वर्ष माताओं को केवल 13,000 रुपए का भुगतान किया जाएगा। तदनुसार, माताओं को केवल 5,715.32 करोड़ रुपए की राशि मिलेगी, जबकि राज्य सरकार 879.28 करोड़ रुपए टीएमएफ और एसएमएफ के लिए बरकरार रखेगी।
जिनके बच्चे स्कूल नहीं गए उन माताओं का नाम योजना की सूची से हटाया गया
अम्मावोडी के तहत कल्याण राशि प्राप्त करने की मुख्य शर्तों में से एक के तहत बच्चे की स्कूल में 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य है। स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से जारी एक अध्ययन के मुताबिक, 51,212 विद्यार्थियों की उपस्थिति ''शून्य'' रही। हालांकि इन बच्चों की माताओं में से प्रत्येक को पिछले वर्ष 14 हजार रुपए का भुगतान किया गया था। इन माताओं का नाम अब योजना की सूची से हटा दिया गया है। विभाग ने 'छह-चरणीय सत्यापन' प्रक्रिया अपनाते हुए 1,66,353 लाभार्थियों को योजना के लिए अपात्र घोषित करने का कदम उठाया।
विभागीय सूत्रों के मुताबिक, ‘‘कुल मिलाकर 2,17,565 माताएं विभिन्न कारणों से योजना के लिए अपात्र हो गईं। अन्य 3,83,224 माताएं, जो पिछले वर्ष पात्र थीं, ‘2022 में मौजूद नहीं थीं'। साथ ही, 5,48,329 नयी माताएं, जिनके बच्चों ने इस साल पहली कक्षा में दाखिला लिया है उन्हें योजना में जोड़ा गया है।'' सूत्रों के मुताबिक, इस प्रकार अम्मावोडी योजना के तहत पात्र 52,463 लाभार्थियों की कमी हुई। इस वर्ष सरकार को 68.20 करोड़ रुपए की बचत हुई है।