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'मैं इसे भगवान पर छोड़ता हूं', इंजीनियर बेटी के हत्यारे को बरी किए जाने पर छलका पिता का दर्द

23 वर्षीय एस्तेर अनुह्या कांजुर मार्ग के पास 16 जनवरी 2014 को मृत पाई गई थी। ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे के पास झाड़ियों में उसका जला हुआ और सड़ा शव मिला था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को चंद्रभान सुदाम सनप को बरी कर दिया।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Jan 29, 2025 22:20 IST, Updated : Jan 29, 2025 22:20 IST
supreme court
Image Source : FILE PHOTO सुप्रीम कोर्ट

मछलीपटनम: आंध्र प्रदेश की 23 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर की हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा हत्यारे को बरी किए जाने पर मृतका के पिता ने बुधवार को कहा कि वह इसे "ईश्वर पर छोड़ देंगे।" सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अभियोजन पक्ष के मामले में "बड़ी खामियों" का हवाला देते हुए चंद्रभान सुदाम सनप को बरी कर दिया और कहा कि अभियोजन पक्ष अपने मामले को ठोस तरीके से साबित करने में विफल रहा।

ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे के पास मिला था जला-सड़ा शव

23 वर्षीय एस्तेर अनुह्या कांजुर मार्ग के पास 16 जनवरी 2014 को मृत पाई गई थी। ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे के पास झाड़ियों में उसका जला हुआ और सड़ा शव मिला था। वह दो सप्ताह की क्रिसमस और नए साल की छुट्टियों के बाद मुंबई लौटी थी। वह मुंबई में TCS में कार्यरत थी और उसे आखिरी बार लोकमान्य तिलक टर्मिनस रेलवे स्टेशन से बाहर निकलते देखा गया था। बाद में मुंबई पुलिस ने अनुह्या के साथ कथित बलात्कार और हत्या के आरोप में सनप को गिरफ्तार कर लिया। अदालती सुनवाई और दोषसिद्धि के बाद उसे मौत की सजा सुनाई गई जिसे बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखा। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अभियोजन पक्ष के साक्ष्यों में "बड़ी खामियों" का हवाला देते हुए सनप को बरी कर दिया।

'कुछ भी हो जाए, मुझे मेरी बेटी वापस नहीं मिलेगी'

अनुह्या के पिता एस जोनाथन प्रसाद ने कहा, "हम क्या कर सकते हैं? दरअसल, हमें पता भी नहीं था कि क्या हो रहा है। हमें यह भी नहीं पता कि उसने (सनप) सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। लेकिन हम क्या करें? मैं इसे भगवान पर छोड़ता हूं और कुछ भी हो जाए, मुझे मेरी बेटी वापस नहीं मिलेगी।"

जीवन के आखिरी दिन शांति से बिताना चाहते हैं बुजुर्ग पिता

प्रसाद के अनुसार जिला अदालत, विशेष अदालत और महिला अदालत ने सनप को दोषी ठहराया, जिसे बॉम्बे हाईकोर्ट ने बरकरार रखा, लेकिन मुझे नहीं पता कि सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ। उन्होंने कहा, "यह 10 साल पहले की बात है। क्या कहूं? 10 साल पहले हमें लगा था कि कुछ न्याय होगा। अब यह पूरी तरह बदल गया है। मुझे कारण नहीं पता। मुझे फिर से 10 साल पहले के अपने दुख भरे दिन याद आ गए कि कैसे मैंने मुंबई में कष्ट झेला था।" उन्होंने कहा कि वह अब इस मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहते क्योंकि वह अपने आखिरी दिन शांति से बिताना चाहते हैं।

उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका की संभावना पर कहा, "नहीं सर, मैं ऐसा नहीं कर सकता। समस्या यह है कि मेरी उम्र 70 से अधिक है। मेरे लिए अपनी जगह से हिलना-डुलना मुश्किल है। मैं सेवानिवृत्त व्यक्ति हूं और मेरी पत्नी की तबीयत ठीक नहीं है, वह मधुमेह की रोगी हैं। इसलिए, मुझे नहीं लगता कि मैं इस उम्र में याचिका दायर कर सकता हूं।" (भाषा इनपुट्स के साथ)

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