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समलैंगिक जोड़े साथ रह सकते हैं, माता-पिता 'हस्तक्षेप' न करें, हाईकोर्ट का अहम आदेश

यह जोड़ा पिछले एक साल से विजयवाड़ा में एक साथ रह रहा है। हाईकोर्ट ने मंगलवार को ललिता के माता-पिता को कपल के रिश्ते में हस्तक्षेप न करने का निर्देश दिया और कहा कि उनकी बेटी बालिग है और अपने निर्णय स्वयं ले सकती है।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Dec 19, 2024 14:55 IST, Updated : Dec 19, 2024 14:55 IST
प्रतीकात्मक तस्वीर
Image Source : FILE PHOTO प्रतीकात्मक तस्वीर

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने एक समलैंगिक जोड़े के साथ रहने के अधिकार को बरकरार रखा है और अपना साथी चुनने की उनकी स्वतंत्रता पर मुहर लगाई है। जस्टिस आर रघुनंदन राव और जस्टिस के महेश्वर राव की बेंच कविता (बदला हुआ नाम) की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रही थी। कविता ने आरोप लगाया है कि उसकी साथी ललिता (बदला हुआ नाम) को उसके पिता ने उसकी इच्छा के विरुद्ध हिरासत में लिया हुआ है और उसे नरसीपटनम स्थित अपने आवास पर रखा है। बेंच ने मंगलवार को ललिता के माता-पिता को कपल के रिश्ते में हस्तक्षेप न करने का निर्देश दिया और कहा कि उनकी बेटी बालिग है और अपने निर्णय स्वयं ले सकती है।

1 साल से साथ रहा रहा समलैंगिक जोड़ा

यह जोड़ा पिछले एक साल से विजयवाड़ा में ‘एक साथ रह रहा है।’ कविता की ओर से पहले दर्ज कराई गई गुमशुदगी की शिकायत के आधार पर पुलिस ने ललिता को उसके पिता के घर से बरामद किया और उसे मुक्त कराया। उसके बाद उसे 15 दिनों तक एक कल्याण गृह में रखा गया, हालांकि उसने पुलिस से गुहार लगाई कि वह बालिग है और अपने साथी के साथ रहना चाहती है। ललिता ने सितंबर में अपने पिता के खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उसके माता-पिता रिश्ते और अन्य मुद्दों को लेकर उसे परेशान कर रहे हैं। पुलिस के हस्तक्षेप के बाद ललिता विजयवाड़ा वापस आ गई और काम पर जाने लगी और अक्सर अपने साथी से मिलने लगी। हालांकि, ललिता के पिता एक बार फिर उसके घर आए और बेटी को जबरन ले गए।

अवैध तरीके से हिरासत में रखने का आरोप

कविता ने अपनी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में आरोप लगाया कि उन्होंने उसे ‘अवैध रूप से’ अपनी हिरासत में रखा है। पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि उनकी बेटी का कविता और उसके परिवार के सदस्यों ने अपहरण कर लिया है। कविता के वकील जदा श्रवण कुमार ने शीर्ष अदालत के पिछले फैसलों का हवाला देते हुए दलील दी कि बंदी ने याचिकाकर्ता के माता-पिता के साझा घर में याचिकाकर्ता के साथ रहने के लिए अपनी स्पष्ट सहमति व्यक्त की है और वह कभी भी अपने माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों के पास वापस नहीं जाना चाहेगी।

माता-पिता के खिलाफ दर्ज शिकायत वापस लेने को तैयार ललिता

कुमार ने अदालत को यह भी बताया कि ललिता ने भी अपने माता-पिता के खिलाफ दर्ज शिकायत को वापस लेने की इच्छा व्यक्त की है, अगर उसे याचिकाकर्ता के साथ रहने की अनुमति दी जाए। विजयवाड़ा पुलिस ने मंगलवार को अदालत के निर्देश के बाद ललिता को हाईकोर्ट में पेश किया। बेंच ने याचिका का निपटारा करते हुए यह भी टिप्पणी की कि ललिता के परिवार के सदस्यों के खिलाफ कोई आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं की जानी चाहिए क्योंकि वह शिकायत वापस लेने को तैयार हैं। (भाषा इनपुट्स के साथ)

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