राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक 2023 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2023 पर बहस देखने को मिली। इस दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर खूब निशाना साधा। इस दौरान विपक्षी दलों ने सदन का बायकॉट किया और सदन से बाहर निकल आए। इस बाबत जेएमएम की सांसद महुआ मांझी ने कहा कि अमित शाह के कुछ शब्द आपत्तिजनक थे। वे बहुत अपमानजनक थे। इसलिए हमने बाहर जाने का निर्णय लिया। गृहमंत्री का संबोधन बिल्कुल ही एकतरफा था। वर्तमान सरकार द्वारा सारा श्रेय लेने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसा लग रहा था मानों पिछली सरकारों ने इतने सालों में कुछ किया ही नहीं है।
विपक्षी सांसदों ने किया वॉकआउट
राजद सांसद मनोझ झा ने इस बाबत कहा, 'मैंने सिर्फ इतना कहा था कि कश्मीर से कोई निर्वाचित सांसद नहीं है, लेकिन वह (अमित शाह) इसे कहीं और ले गए। गृहमंत्री अमित शाह ने आज जिस तरह का भाषण दिया, उसमें गरिमा की कमी दिखी। इसलिए हमारे लीडर ऑफ अपोजिशन मल्लिकार्जुन खड़गे ने फैसला किया कि हमें संसद से बाहर चले जाना चाहिए।' इसपर कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला ने कहा कि विपक्षी सांसद इसलिए बाहर चले गए क्योंकि जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर जब चर्चा चल रही थी, तो अमित शाह लगातर 'घमंडिया गठबंधन' कहते रहे। हमारे नेता प्रतिपक्ष खड़े हुए और उन्हें
क्या बोले विपक्षी नेता?
कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला का कहना है, "विपक्षी सांसद इसलिए बाहर चले गए क्योंकि जब जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर चर्चा चल रही थी, तो वह (अमित शाह) लगातार 'घमंडिया गठबंधन' कहते रहे।।। हमारे नेता प्रतिपक्ष खड़े हुए और उन्हें कश्मीर के मुद्दे पर बोलने के लिए कहा। न जाने क्यों उन्हें INDI गठबंधन से इतनी दिक्कत क्यों है। कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने इसपर कहा कि यह गालियों की बौछार थी। जो दुनिया में नहीं है, उन्हें साथ ही दुर्व्यवहार किया गया। जब पूरे सदन ने इसपर आपत्ति जताई तब भी 'घमंडिया' शब्द का इस्तेमाल होता रहा। इसलिए हमने बाहर चले जाना बेहतर समझा। लेकिन अहंकार में चूर होने के कारण उन्होंने (अमित शाह) ने अपनी टिप्पणी वापस नहीं ली।