Highlights
- लोकसभा चुनाव में बिहार में 35 सीटें जीतने का लक्ष्य
- अति पिछड़ा और दलितों को लुभाने पर होगा बल
- बिहार में कैबिनेट का हुआ विस्तार
Amit Shah: बिहार में राजनीतिक उथल-पुथल के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) अपनी राज्य इकाई में प्रमुख पदों पर बदलाव कर सकती है और नए चेहरों को प्रमुख जिम्मेदारी सौंप सकती है। ऐसे संकेतों के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा ने बिहार के प्रमुख भाजपा नेताओं के साथ मंगलवार को यहां पार्टी मुख्यालय में मंथन किया और भावी रणनीति पर चर्चा की। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक भाजपा का शीर्ष नेतृत्च विधानसभा और विधानपरिषद में पार्टी के नेताओं के साथ ही संगठन में भी प्रमुख पदों पर बदलाव की दिशा में काम कर रहा है। साथ ही भाजपा ने 2024 के लोकसभा चुनावों में बिहार में 35 सीटें जीतने का लक्ष्य भी रखा है।
'JDU और RJD के गठबंधन ने जनादेश का अपमान किया'
सूत्रों के अनुसार पार्टी उन विधानसभा क्षेत्रों में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है, जहां अभी तक वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जनता दल यूनाइटेड के छोटे सहयोगी के रूप में काम करती रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा 9 अगस्त को NDA से नाता तोड़ने के बाद भाजपा की यह पहली बड़ी बैठक है, जिसमें पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी मौजूद है। बिहार भाजपा के अध्यक्ष संजय जायसवाल ने बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि JDU और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के गठबंधन ने जनादेश का अपमान किया है और पिछले दरवाजे से ‘‘लालू राज’’ का प्रवेश कराया है।
अगले लोकसभा चुनाव में 40 में से 35 सीटें जीतेगी BJP
ज्ञात हो कि भाजपा के नेता ‘‘लालू राज’’ का उल्लेख पूर्व मुख्यमंत्री व राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के 15 वर्षों के कार्यकाल के लिए करते हैं और इस दौरान कुशासन रहने का आरोप लगाते हैं। जायसवाल ने दावा किया कि गरीब लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना ‘‘मसीहा’’ मानते हैं और भाजपा अगले लोकसभा चुनाव में बिहार में 40 में से 35 सीटें जीतेगी। ज्ञात हो कि JDU ने पिछले दिनों राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) से अलग होकर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के साथ हाथ मिला लिया था और बिहार में महागठबंधन की सरकार बनाई थी।
अति पिछड़ा और दलितों को लुभाने पर होगा बल
भाजपा सूत्रों ने बताया कि पार्टी अब उन समुदायों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए आक्रामक रुख अख्तियार करेगी, जो वह अभी तक JDU के कारण नहीं करती थी। उसका जोर खासकर अति पिछड़ा और दलितों के एक वर्ग को लुभाने पर होगा, जिन्हें मुख्यमंत्री कुमार की मजबूती का प्रमुख आधार माना जाता है। पार्टी का जोर पूरे राज्य में अपना जनाधार बढ़ाने का भी रहेगा क्योंकि JDU के साथ गठबंधन के कारण वह आधे के करीब सीटों पर ही उम्मीदवार खड़े करती थी। पार्टी मुख्यालय में हुई इस बैठक में शाह और नड्डा के अलावा भाजपा के संगठन महासचिव बी एल संतोष भी शामिल थे।
कई दिग्गज नेता हुए शामिल
बिहार से आने वाले केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे, गिरिराज सिंह और नित्यानंद राय के अलावा वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद, सुशील मोदी, नंदकिशोर यादव तथा बिहार के सह प्रभारी हरीश द्विवेदी भी इसमें उपस्थित थे। इनके अलावा संजय जायसवाल, पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी तथा पूर्व मंत्री शाहनवाज हुसैन ने भी इस बैठक में भाग लिया। पार्टी नेताओं से मिली जानकारी के मुताबिक, इस बैठक में 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी की भावी रणनीति पर भी चर्चा की गई।
बिहार में कैबिनेट का हुआ विस्तार
यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को ही अपनी मंत्रिपरिषद में विस्तार किया है। उनकी मंत्रिपरिषद में 31 विधायकों को शामिल किया गया है। इनमें ज्यादातर सदस्य राजद के हैं। नीतीश कुमार के नेतृत्व में गठित नई सरकार में राजद नेता तेजस्वी प्रसाद यादव को उपमुख्यमंत्री बनाया गया है। कुमार के दो सदस्यीय मंत्रिमंडल का विस्तार मंगलवार को हुआ।