चीन से चुनौती के बीच भारत लगातार तैयारियों में जुटा हुआ है। फिर चाहे वो तैयारी सीमा पर सड़कें, सुरंगें बनाना हो या फिर चीन की सेना को मजा चखाने के सैन्य उपकरणों और सामानों की तैयारियां हो। इसी कड़ी में भारत ने चीन से चुनौती के बीच अचानक 2000 ड्रोन का ऑर्डर दिया है। वैसे भी ड्रोन वक्त की जरूरत बन गए हैं। हाल के समय में तुर्की के ड्रोन का इस्तेमाल भी यूक्रेन और रूस की जंग में हुआ है। यूक्रेन ने तो ड्रोन के माध्यम से रूसी सेना को क्षति भी पहुंचाई है। ड्रोन की अहमियत को देखते हुए जून 2020 में लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इसके बाद भारत की ड्रोन खरीदने की रफ्तार में तेजी आई है।
अरूणाचल और लद्दाख में झड़प के बाद महसूस हो रही थी ड्रोन की जरूरत
ड्रोन का इस्तेमाल कई रणनीतियों के तहत किया जाएगा। इनमें से कुछ का इस्तेमाल फॉर्वर्ड पोस्ट पर महत्वपूर्ण सप्लाई यानी तनातनी या जंग की स्थितियों में रसद सामग्री पहुंचाने के लिए किया जाएगा। बाकी के ड्रोन सर्विलांस के काम में लगाए जाएंगे। मीडिया रिपोर्ट्स में ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रेसीडेंट स्मित शाह के हवाले से बताया गया है कि इसके लिए कई मैन्यूफैक्चरर्स ने बोली लगाई है। इस ऑर्डर को जल्द से जल्द पूरा करना है। भारत और चीन की सेनाओं के बीच लद्दाख और हाल में अरुणाचल प्रदेश में झड़प के बाद इनकी सख्त जरूरत महसूस की जा रही है।
लद्दाख में PLA की तैनाती बढ़ा रहा चीन
लद्दाख में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने फॉरवर्ड एरिया में अपने सैनिकों की संख्या बढ़ाई है। अक्साई चिन में उसने कई हेलीपैड तैयार करने के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाया है। डेमचोक और गलवान जैसे तनावपूर्ण क्षेत्रों में भी उसकी गतिविधियां लगातार तेज हैं। इसके मद्देनजर चीन पर चौकसी जरूरी हो गई थी।
इन स्थनों पर इस्तेमाल होंगे ड्रोन
करीब 400 ड्रोनों को लॉजिस्टिकल सपोर्ट के लिए खरीदा जा रहा है। वहीं, 1,500 को अलग-अलग सर्विलांस कामों के लिए लिया जाएगा। लॉजिस्टिक्स के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ड्रोन 5 किलो से 40 किलो तक का वजन ले जा सकते हैं। मुख्य रूप से इनका काम फॉर्वर्ड पोस्ट में सैनिकों को अलग-अलग तरह की सप्लाई पहुंचाना होगा। ये ड्रोन 5 किमी से 20 किमी तक की दूरी तय करेंगे।
ड्रोन का बढ़ा है जंगों में इस्तेमाल
ड्रोन ऊंचाइयों पर उड़ सकें, यह सुनिश्चित करने के लिए टेस्ट किए जा रहे हैं। उदाहरण के लिए लद्दाख में कई प्रमुख बेसेज और फॉरवर्ड पोस्टों की ऊंचाई 12,000 फीट से 15,000 फीट है। भारतीय वायुसेना का सबसे ऊंचाई पर बना बेस दौलत बाग ओल्डी 18,000 फीट पर है। वहां लैंड होने वाले एयरक्रॉफ्ट अपना इंजन चालू रखते हैं। वे जमीन पर सिर्फ करीब 15 मिनट रह सकते हैं।