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चंद्रयान-3 से अमेरिका को भी मिलेगी बहुत बड़ी मदद, NASA के चांद अभियान में होगा सहायक

चांद पर लैंडिंग के बाद लैंडर ने चंद्रमा की पहली तस्वीर भी भेज दी है। वहीं, प्रज्ञान रोवर लैंडर विक्रम से बाहर आकर चंद्रमा की जमीन पर पहुंच गया है। अब 14 दिनों तक लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान चांद की सतह पर अलग-अलग लेवल पर रिसर्च करेंगे।

Written By: Sudhanshu Gaur @SudhanshuGaur24
Updated on: August 24, 2023 9:19 IST
Chandrayaan-3, ISRO, NASA- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV चंद्रयान-3 से अमेरिका को भी मिलेगी बहुत बड़ी मदद

नई दिल्ली: चंद्रयान-3 की चांद पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग ने दुनियाभर के लिए नए दरवाजे खोल दिए हैं। पूरी दुनिया भारत के इस अभियान की सफलता की राह देख रही थी। चांद के दक्षिणी हिस्से पर पहुंचने वाला भारत पहला देश है। इस लिहाज से इसरो का यह अभियान कई मायनों में ख़ास था। विक्रम लैंडर के चांद की सतह पर सफ़ल लैंडिंग के बाद अमेरिका भी उतना ही खुश था, जितना हर एक भारतीय खुश था। भारत के इस मिशन पर अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA भी इस मिशन से काफी उम्मीदें लगाए बैठा है।

2025-26 में मिशन लॉन्च करेगा NASA 

जानकारी के अनुसार, NASA 2025-26 में चांद के दक्षिणी हिस्से पर पहुंचने के लिए अपना मिशन लॉन्च करेगा। भारत के अलावा अभी तक यहां कोई भी नहीं पहुंचा है, इसलिए पूरी दुनिया के लिए यह एक गहरा और अंधा कुंआ है। लेकिन अब जब भारत का चंद्रयान यहां पहुंच गया है तो यहां से मिलने वाली जानकारी और रिसर्च पूरी दुनिया के लिए लाभकारी होंगी। NASA चंद्रयान से मिलने वाली जानकारियों के हिसाब से अपना मिशन आगे बढ़ाएगा। बताया जा रहा है कि नासा पने इस अभियान में इंसान भी भेज सकता है। हालांकि अभी इस बात के केवल कयास लगाए जा रहे हैं।

लैंडर से बाहर आया प्रज्ञान रोवर 

वहीं इससे पहले प्रज्ञान रोवर लैंडर विक्रम से बाहर आकर चंद्रमा की जमीन पर पहुंच गया है। अब 14 दिनों तक लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान चांद की सतह पर अलग-अलग लेवल पर रिसर्च करेंगे जो भविष्य में चंद्रमा पर जीवन की खोज में मददगार होंगे। प्रज्ञान के पहिए चांद की मिट्टी पर भारत के राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तंभ और इसरो के लोगो की छाप छोड़ रहे हैं। फिलहाल आधा किमी. यानी 500 मीटर के एरिया में प्रज्ञान रोवर रिसर्च करेगा। वहीं इस दौरान लैंडर विक्रम में लगे चार पेलोड्स भी चांद पर रिसर्च करेंगे।

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