Highlights
- 30 जून से शुरू हुई थी 43 दिन की यात्रा
- 52 लाख से ज्यादा श्रद्धालु कर चुके हैं दर्शन
- अमरनाथ यात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों के लिए कड़ी सुरक्षा
Amarnath Yatra: अमरनाथ में पिछले शुक्रवार को बादल फटने की घटना के बाद अमरनाथ यात्रा राक दी गई थी।, जिसे फिर शुरू कर दिया गया। इसी बीच 5,461 तीर्थयात्रियों का 16वां जत्था दक्षिण कश्मीर में 3,880 मीटर की ऊंचाई पर स्थित पवित्र अमरनाथ गुफा के दर्शन के लिए शुक्रवार को कड़ी सुरक्षा के बीच सुबह रवाना हुआ। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। इससे पहले, अमरनाथ गुफा के पास आठ जुलाई को बादल फटने पर हुई भीषण बारिश के कारण अचानक बाढ़ आने से यात्रा को रविवार को स्थगित कर दिया गया था और सोमवार को यात्रा फिर बहाल की गई। हादसे में कम से कम 15 लोगों की मौत हो गई थी।
30 जून को शुरू हुई थी यात्रा
बाबा बर्फानी के दर्शन के लिये 43 दिन की वार्षिक यात्रा दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में पारंपरिक 48 किलोमीटर लंबे नुनवान मार्ग और मध्य कश्मीर के गांदरबल में 14 किलोमीटर लंबे बालटाल मार्ग से 30 जून को शुरू हुई थी। अधिकारियों ने बताया कि केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की कड़ी सुरक्षा के बीच 220 वाहनों में कुल 5,461 तीर्थयात्री यहां भगवती नगर यात्री निवास से रवाना हुए।
उन्होंने बताया कि बालटाल आधार शिविर के लिए जाने वाले 1,975 तीर्थयात्री 86 वाहनों में तड़के साढ़े तीन बजे सबसे पहले रवाना हुए। इसके बाद कश्मीर में पहलगाम शिविर के लिए 3,486 तीर्थयात्रियों को लेकर 134 वाहनों का दूसरा काफिला सुबह चार बजकर 25 मिनट पर रवाना हुआ।
52 लाख से ज्यादा श्रद्धालु कर चुके हैं दर्शन
अधिकारियों ने बताया कि अभी तक 52 लाख से अधिक तीर्थयात्री पवित्र गुफा में बर्फ से बने शिवलिंग के दर्शन कर चुके हैं। अमरनाथ यात्रा 11 अगस्त को रक्षा बंधन के अवसर पर समाप्त होगी। उन्होंने बताया कि कश्मीर में नुनवान-चंदनवाड़ी मार्ग पर बृहस्पतिवार को दिल का दौरा पड़ने से पांच तीर्थयात्रियों की मौत हो गई। वहीं, खाई में गिरने से दो कुलियों की जान चली गई।
उधर, विशेष पूजा अर्चना के लिये पवित्र छड़ी मुबारक को बुधवार को अमरनाथ यात्रा के पारंपरिक आधार शिविर पहलगाम ले जाया गया। प्रथा के अनुसार, अमरनाथ यात्रा के बीच आषाढ़-पूर्णिमा के शुभ अवसर पर पहलगाम में भूमि-पूजन, नवग्रह पूजन और ध्वजारोहण जैसे अनुष्ठानों का आयोजन किया गया। सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार, महंत दीपेंद्र गिरि के नेतृत्व में साधुओं और भक्तों की उपस्थिति में विशेष अनुष्ठान आयोजित किए गए।