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सास-ससुर की सेवा नहीं करने पर पत्नी को 'क्रूर' बता शख्स ने मांगी तलाक, HC ने कर दी ऐसी टिप्पणी

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि इसे क्रूर व्यवहार नहीं कहा जा सकता। शख्स ने 14 साल पहले मुरादाबाद की फैमिली कोर्ट में पत्नी के खिलाफ क्रूरता के आधार पर तलाक की अर्जी दाखिल की थी।

Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Updated on: August 18, 2024 20:49 IST
प्रतीकात्मक फोटो- India TV Hindi
Image Source : REPRESENTATIVE IMAGE प्रतीकात्मक फोटो

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि सास-ससुर की सेवा नहीं करना क्रूरता की श्रेणी में नहीं आता है। कोर्ट ने कहा कि इसे क्रूर व्यवहार नहीं कहा जा सकता। दरअसल, कोर्ट ने एक शख्स की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें पति ने पत्नी को क्रूर बताते हुए तलाक की मांग की थी। शख्स ने याचिका में कहा कि उसकी पत्नी उसके बुजुर्ग मां-बाप की देखभाल करने के अपने नैतिक कर्तव्य को निभाने में नाकाम रही थी, जबकि वह पुलिस की नौकरी के दौरान बाहर रहता था।

"वह सेवा नहीं करती, इसे क्रूर व्यवहार माना जाए"

जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और जस्टिस डोनादि रमेश की खंडपीठ ने मुरादाबाद के इस पुलिसकर्मी की अपील खारिज कर दी। पुलिसकर्मी ने 14 साल पहले मुरादाबाद की फैमिली कोर्ट में पत्नी के खिलाफ क्रूरता के आधार पर तलाक की अर्जी दाखिल की थी। पति का आरोप है कि वह पुलिस की नौकरी में है। ऐसे में उसे दूसरे शहर में रहना होता है। माता-पिता की सेवा के लिए पत्नी को घर छोड़ा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, वह सेवा नहीं करती, इसे क्रूर व्यवहार माना जाए।

"क्रूरता का आरोप व्यक्तिगत अपेक्षाओं पर आधारित"

इस दलील पर फैमिली कोर्ट के चीफ जस्टिस ने पुलिसकर्मी की अर्जी खारिज कर दी। इसके बाद उसने हाई कोर्ट में गुहार लगाई थी। हाई कोर्ट ने याचिका को खारित करते हुए कहा कि क्रूरता का आरोप पति की व्यक्तिगत अपेक्षाओं पर आधारित है। इससे क्रूरता के तथ्यों को स्थापित नहीं किया जा सकता। पति ने पत्नी पर किसी तरह की अमानवीय यातना देने जैसा न तो आरोप लगाया है और न ही मामले में ऐसा कोई तथ्य उजागर हो रहा है।

अदालत ने फैमिली कोर्ट के आदेश को बताया सही

कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट की विधि व्यवस्थाओं का हवाला भी दिया और कहा कि क्रूरता का आकलन पति या पत्नी पर पड़ने वाले प्रभाव के आधार पर किया जाना चाहिए। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फैसला दिया कि मुरादाबाद की फैमिली कोर्ट का आदेश सही है। ऐसे में पति की अपील खारिज की जाती है। कोर्ट ने कहा कि सास-ससुर की सेवा से इनकार करने भर को क्रूरता नहीं माना जा सकता। ऐसा तब तक नहीं माना जा सकता, जब तक घर के हालातों की रिपोर्ट और सही आकलन न हो जाए।

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