जम्मू: 1990 के दौर में जिन मंदिरों को आतंकियों ने तबाह कर दिया था, अब उनके पुनरुद्धार की मांग उठ रही है। ये मांग कोई और नहीं कश्मीरी मुस्लिम समुदाय के लोग ही कर रहे हैं। कश्मीरी मुस्लिम समुदाय के लोग चाहते हैं कि आतंकवाद के दौर में जो मंदिर तबाह हुए हैं ,उन्हें फिर से रेनोवेट किया जाए। ये मंदिर श्रीनगर के शहीदगंज इलाके में हैं। इस मंदिर का नाम पांडव मंदिर है। इस मंदिर के इतिहास के बारे में कहा जाता है कि यहाँ तीन नाग देवता वास करते थे, इसलिए इस मंदिर से कश्मीरी पंडितों की बड़ी आस्था जुड़ी हुई थी,लेकिन 1990 के दशक में कश्मीर में जैसे ही आतंक का दौर शरू हुआ,कश्मीरी पंडितों ने यहाँ से पलायन करना शुरू कर दिया,उस दौरान न सिर्फ कश्मीरी पंडितों की ज़मीन और जायदाद बिके बल्कि सुबह और शाम मंदिरों में बजने वाली भजन भी खामोश हो गए। इसके अलावा ढेरों मंदिर वीरान पड़ गये,उन्हीं मंदिरों में एक मंदिर यह हैं ,जो पूरी तरह से खँडहर में तब्दील हो चुका है।
आतंकियों तहस-नहस किया मंदिर
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि 1990 के दशक में इस मंदिर को आतंकियों तहस-नहस किया गया ,और तब से यह मंदिर वीरान पड़ा हुआ हैं, अब इस इलाके के लोग चाहतें हैं की इस एतिहासिक मंदिर को फिर से रेनोवेट किया जाए। ताकि वक्त के साथ फिर से इस मंदिर में पूजा अर्चना हो सके। लोगों का कहना हैं की यह बहुत पुराना मंदिर हैं, लेकिन इसकी हालत देख कर अफसोस हो रहा हैं, हम चाहते हैं की जिस तरह से दूसरे मंदिरों और दरगाहों को रेनोवेट किया जा रहा है, उसी तरह से इस मंदिर को भी ठीक किया जाए।
कश्मीरी पंडितों के सबसे बड़े गुनहगार का घर
एक वक्त ऐसा था जब इस इलाके में आतंक का दबदबा हुआ करता था। जानकारी के मुताबिक यह वही इलाका है,जहां कश्मीरी पंडितों का सबसे बड़ा गुनहगार बिट्टा कराटे रहता है। बिट्टा कराटे पर आरोप है कि उसने कश्मीर में खासकर इस इलाके में कई कश्मीरी पंडितों की हत्या की है। बता दें कि यह मंदिर उसके घर से महज़ कुछ सौ मीटर की दूरी पर हैं, लेकिन आज लोग चाहते हैं की न सिर्फ कश्मीरी पंडित वापस अपने घरों को लौटें बल्कि वीरान हो चुके मंदिर फिर से आबाद हों।
स्मार्ट सिटी के तहत हो रहे कार्य
आपको बता दें की श्रीनगर स्मार्ट सिटी के तहत कश्मीर के प्राचीन और ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों को जिसमें दरगाह मस्जिदें खानगाह और कश्मीर के प्राचीन मंदिर शामिल है, उन्हें दोबारा से रेनोवेट किया जा रहा है। अब तक करीब 15 ऐतिहासिक मंदिरों को रेनोवेट किया गया है जबकि घाटी में मंदिरों की संख्या 952 हैं जिनमें से कुल 212 पूरी तरह तैयार किये जा चुके हैं। सरकार की कोशिश है की 1990 के दशक से अब तक जितने भी मंदिर खंडहर में तब्दील हो चुके है उन्हें जल्द से जल्द रेनोवेट किया जाए ताकि कश्मीरी पंडित एक बार फिर से इन मंदिरों में पूजा कर सकें।
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