रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बीते दिनों यूक्रेन के साथ शांति वार्ता को लेकर बयान दिया। उन्होंने कहा कि यूक्रेन पर शांति वार्ता में चीन, भारत और ब्राजील मध्यस्थ की भूमिका निभा सकते हैं। इसके बाद इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी का बयान आया। उन्होंने कहा कि भारत यूक्रेन युद्ध को खत्म कराने में अहम भूमिका निभा सकता है। इस बीच, खबर सामने आई है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अगले सप्ताह रूस का दौरा करेंगे, जहां वह अक्टूबर में कजान में होने वाले शिखर सम्मेलन से पहले ब्रिक्स (BRICS) एनएसए बैठक में हिस्सा लेंगे। इस दौरान अजित डोभाल रूस यूक्रेन युद्ध को सुलझाने को लेकर चर्चा कर सकते हैं।
सूत्रों के अनुसार, इस यात्रा के दौरान वह अपने चीनी समकक्ष के साथ बैठक भी कर सकते हैं। डोभाल के अपने रूसी समकक्ष और अन्य ब्रिक्स सदस्य देशों के प्रतिनिधियों संग अलग-अलग बैठक की भी संभावना है। इससे पहले उन्होंने 2023 में जोहान्सबर्ग में 13वीं ब्रिक्स एनएसए बैठक में भाग लिया था। पिछले वर्ष पांच नए सदस्य सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, ईरान, मिस्र और इथियोपिया को समूह में शामिल किया गया था। इसके बाद यह पहली ब्रिक्स एनएसए बैठक होगी।
शांति को बढ़ावा देने वाले कदम
राष्ट्रपति पुतिन के साथ प्रधानमंत्री मोदी की फोन पर बातचीत हुई। इस दौरान यह चर्चा हुई कि प्रधानमंत्री अपनी यूक्रेन यात्रा के बाद शांति से जुड़े विचारों पर चर्चा करने के लिए अपने एनएसए को रूस भेजेंगे। इसी के मद्देनजर एनएसए अजीत डोभाल रूस की यात्रा करेंगे। ब्रिक्स राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक, ब्रिक्स राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इस बैठक के तहत आतंकवाद, साइबर सुरक्षा, शांति और स्थिरता, अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध के साथ-साथ ब्रिक्स देशों की राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर चर्चा करते हैं।
ब्रिक्स देशों के एनएसए, सुरक्षा मुद्दों पर संवाद बढ़ाने और सूचनाओं का आदान-प्रदान करने के लिए 2009 से बैठक कर रहे हैं। ब्रिक्स देशों ने तेजी से आतंकवाद विरोधी रणनीति विकसित की है। इस रणनीति का उद्देश्य आतंकवाद विरोधी सहयोग के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को मजबूत करना, हिंसक आतंकवाद के खतरे को रोकने और उससे निपटने के वैश्विक प्रयासों में सार्थक योगदान देना है।
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