आपने सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट देखे होंगे, जिनमें कहा गया होगा कि सेना एक जवान अमृतपाल शहीद हो गया और उसका सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार नहीं किया गया। तमाम राजनेताओं और राजनीतिक पार्टियों के द्वारा कहा गया कि अमृतपाल अग्निवीर योजना के तहत भर्ती हुआ था। इसलिए उसे सैनिक सम्मान नहीं मिला। अब इस मामले में सेना का आधिकारिक बयान सामने आया है। सेना ने कहा है कि अग्निवीर अमृतपाल सिंह ने संतरी ड्यूटी के दौरान खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली और उनके अंतिम संस्कार में सैन्य सम्मान नहीं दिया गया।
अमृतपाल सिंह ने संतरी ड्यूटी के दौरान की थी आत्महत्या
सेना के एक प्रवक्ता ने कहा कि अग्निवीर अमृतपाल सिंह ने संतरी ड्यूटी के दौरान खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली और उनके अंतिम संस्कार में सैन्य सम्मान नहीं दिया गया क्योंकि खुद को पहुंचाई गई चोटों से होने वाली मौतों को ऐसा सम्मान नहीं दिया जाता है। सेना ने कहा कि शहीदों को सम्मान देने के मामले में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाता है। जवान चाहे अग्निवीर योजना के तहत भर्ती हुआ हो या योजना के कार्यान्वयन से पहले सेना में शामिल हुआ हो।
बता दें कि सोशल मीडिया पर कहा जा रहा था कि अमृतपाल सिंह के अंतिम संस्कार में सैन्य सम्मान नहीं दिया गया क्योंकि वह एक अग्निवीर सैनिक थे। सेना के नगरोटा मुख्यालय वाली व्हाइट नाइट कोर ने शनिवार को कहा कि सिंह की मौत राजौरी सेक्टर में संतरी ड्यूटी के दौरान खुद को लगी गोली से हुई। सेना ने कहा कि सिंह की दुर्भाग्यपूर्ण मौत के इस मामले में कुछ गलतफहमी और गलत बयानी हुई है। सेना ने कहा, "यह परिवार और भारतीय सेना के लिए गंभीर क्षति है कि अग्निवीर अमृतपाल सिंह ने संतरी ड्यूटी के दौरान खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली।" इसमें कहा गया है कि मौजूदा नियमों के अनुसार, चिकित्सीय-कानूनी प्रक्रियाओं के संचालन के बाद, नश्वर अवशेषों को सेना की व्यवस्था के तहत एक एस्कॉर्ट पार्टी के साथ अंतिम संस्कार के लिए मूल स्थान पर ले जाया गया।" सेना ने कहा कि सशस्त्र बल हकदार लाभ और प्रोटोकॉल के संबंध में अग्निपथ योजना के कार्यान्वयन से पहले या बाद में शामिल हुए सैनिकों के बीच अंतर नहीं करते हैं।
2001 के बाद 100-140 सैनिकों की हुई ऐसे मौत- सेना
सेना की तरफ से जारी बयान के अनुसार, आत्महत्या/खुद को लगी चोट के कारण होने वाली मौत की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के मामले में सशस्त्र बलों द्वारा परिवार के साथ गहरी और स्थायी सहानुभूति के साथ-साथ उचित सम्मान दिया जाता है। हालांकि, ऐसे मामले 1967 के प्रचलित सेना आदेश के अनुसार सैन्य अंत्येष्टि के हकदार नहीं हैं। इस विषय पर नीति का बिना किसी भेदभाव के लगातार पालन किया जा रहा है। सेना ने कहा, "आंकड़ों के अनुसार, 2001 के बाद से औसतन 100-140 सैनिकों की मौत आत्महत्या या खुद के द्वारा लगी चोट के कारण हुई है और ऐसे मामलों में सैन्य अंतिम संस्कार की अनुमति नहीं दी गई।" इसमें कहा गया है कि पात्रता के अनुसार वित्तीय सहायता और राहत के वितरण को प्राथमिकता दी जाती है, जिसमें अंत्येष्टि के लिए तत्काल वित्तीय राहत भी शामिल है।