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Agnipath Scheme: 'अग्निपथ' पर भारत में मचा बवाल, जानें विकसित देशों में कैसे होती है सैनिकों की भर्ती

Agnipath Scheme: ऐसा नहीं है कि भारतीय सेना में ही कॉन्ट्रैक्ट पर बहाली शुरू हो रही है। दुनिया के अन्य देशों में भी कमोबेश ऐसी ही प्रक्रिया अपनाई जाती है।

Written By: Niraj Kumar
Updated on: December 16, 2022 9:19 IST
Air Officer Commanding in Chief, HQ Training Command, Air Marshal Manavendra Singh - India TV Hindi
Image Source : PTI Air Officer Commanding in Chief, HQ Training Command, Air Marshal Manavendra Singh   

Highlights

  • अग्निपथ योजना के तहत कॉन्ट्रैक्ट पर होगी सैनिकों की बहाली
  • दुनिया के अन्य मुल्कों में भी कॉन्ट्रैक्ट पर बहाल होते हैं सैनिक

Agnipath Scheme :केंद्र सरकार ने सेना में सैनिकों की बहाली के लिए अग्निपथ योजना लॉन्च की है।  इस नयी योजना के तहत कॉन्ट्रैक्ट पर चार साल के लिए रंगरूटों की बहाली होगी। चार साल के बाद करीब 75 फीसदी सैनिक रिटायर हो जाएंगे और इन्हें सेवा निधि पैकेज के तहत करीब 11.71 लाख रुपये मिलेंगे। जबकि 25 फीसदी सैनिकों को नियमित किया जाएगा। इस बहाली के लिए उम्र सीमा 17.5 साल से 21 साल के बीच रखी गई है। इस योजना को लेकर जहां एक तरफ विरोध शुरू हो गया है वहीं इसके समर्थन में तर्क भी दिए जा रहे हैं। हालांकि ऐसा नहीं है कि भारतीय सेना में ही कॉन्ट्रैक्ट पर बहाली शुरू हो रही है। दुनिया के अन्य देशों में भी कमोबेश ऐसी ही प्रक्रिया अपनाई जाती है।  आइये एक नजर डालते हैं दुनिया के कुछ ताकतवर मुल्कों में सेना की बहाली की प्रक्रिया से जुड़े तथ्यों पर।

अमेरिका

America

Image Source : INDIA TV
America

अमेरिका की सेना में सैनिकों की संख्या करीब 14 लाख है और यहां भर्ती स्वैच्छिक आधार पर होती है। ज्यादातर सैनिक चार साल के लिए इनरोल होते हैं। इसके बाच चार साल की रिजर्व ड्यूटी की अवधि होती है। इस अवधि में जरूरत पड़ने पर उन्हें वापस बुलाया भी जाता है। सैनिक पूर्ण सेवा का विकल्प चुन सकते हैं। इसके तहत 20 वर्षों की सेवा दे सकते हैं। इस सेवा अवधि के बाद वे पेंशन और अन्य लाभ मिलता है। जो सैनिक पहले रिटायरमेंट ले लेते हैं उन्हें उनकी सेवा अवधि के आधार पर भत्ते दिए जाते हैं। 

चीन

China

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China

चीन में सेना में भर्ती का एक अलग मॉडल है। यहां हर साल ट्रेनिंग के लिए 4.5 लाख रंगरूटों की अनिवार्य तौर पर भर्ती की जाती है। इन्हे दो साल तक अपनी सेवा देना अनिवार्य है। इसके लिए उन्हें 40 दिनों की बुनियादी ट्रेनिंग दी जाती है। इसके बाद व्यक्तिगत आधार पर या यूनिट की जरूरतों को देखते हुए इन्हें  विशेष ट्रेनिंग दी जाती है। यहां सेलेक्शन के आधार पर सैनिकों को फुल टाइम सर्विस में रखा जाता है। सेना की सर्विस से रिटायर होने के बाद सैनिकों को अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने के लिए रियायती लोन दिया जाता है और उन्हें रोजगार देनेवाली कंपनियों को टैक्स का लाभ दिया जाता है। 

फ्रांस

France

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France

फ्रांस में सैनिकों की बहाली कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर होती है। इस भर्ती के लिए कई मॉडल हैं।  एक साल के रिन्यूएबल कॉन्ट्रैक्ट से लेकर पांच साल के रिन्यूएबल कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर भर्तियां होती हैं। सैनिकों को तीन महीने की ट्रेनिंग दी जाती है। जो सैनिक 19 साल से ज्यादा समय तक सेवा देते हैं उन्हें सरकार की ओर से पेंशन दी जाती है। 

रूस

Russia

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Russia

रूस में सशस्त्र बलों में भर्ती का हाईब्रिड मॉडल है। एक कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर अनिवार्य भर्ती है तो दूसरा नियमित भर्ती की प्रक्रिया है।  कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर बहाल रंगरूट को एक साल की ट्रेनिंग दी जाती है। इसके बाद उसे एक साल सेना में सेवा का मौक दिया जाता है और फिर रिजर्व रखा जाता है। नियमित सैनिकों की भर्ती इसी रिजर्व सैनिकों से की जाती है। सैनिकों को यूनिवर्सिटीज में नामांकन में प्राथमिकता मिलती है साथ ही सैन्य संस्थानों में शिक्षा ग्रहण करने का विकल्प भी होता है। 

इजराइल

Israel

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Israel

इजराइल में एक सैनिकों की भर्ती का एक अलग सिस्टम है। यहां सभी व्यस्कों को आर्म्ड फोर्सेज में सर्विस करना जरूरी होता है। पुरुषों को 32 महीने और महिलाओं को 24 महीने तक सेवा करनी होती है। इस सेवा के बाद, उन्हें एक रिजर्व लिस्ट में डाल दिया जाता है और किसी भी समय ड्यूटी के लिए वापस बुलाया जा सकता है। सैनिकों को हथियारों और उपकरणों को संभालने की बुनियादी ट्रेनिंग दी जाती है। ब्रिगेड लेवल पर ट्रेनिंग के बाद उन्हें ऑपरेशनल ड्यूटी पर रखा जाता है। इन सैनिकों में से 10% तक को आर्म्ड फोर्सेज में बनाए रखा जाता है। उन्हें सात साल के कॉन्ट्रैक्ट पर रखा जाता है और कम से कम 12 साल की सेवा के बाद पेंशन दी जाती है।

ये दुनिया के कुछ ताकतवर मुल्कों की सेना की बहाली से जुड़े तथ्य थे। अब अग्निपथ योजना को लेकर जो सवाल लोगों के मन में उमड़ रहे हैं जरा उस पर गौर करते हैं। 

  • सबसे पहला सवाल जो लोगों के मन में उमड़ रहा है  वो यह है कि चार साल के लिए सैनिकों की बहाली होगी लेकिन चार साल के बाद उनकी सामाजिक सुरक्षा के लिए सरकार क्या करेगी। क्योंकि सेवा निधि देकर सरकार छुटकारा नहीं पा सकती है। इन सैनिकों की सामाजिक सुरक्षा की योजनाएं को लेकर भी सरकार को सोचना होगा। 
  • वहीं दूसरा सवाल इस बात को लेकर है कि सरकार यह कहती है कि चार साल की नौकरी के दौरान सैनिकों को स्किल ट्रेनिंग दी जाएगी। सैनिकों के लिए तीन साल का स्किल आधारित ग्रैजुएशन कोर्स शुरू किया जाएगा और इसी आधार पर वह सेना की नौकरी से रिटायरमेंट के बाद नौकरी पा सकेंगे। लेकिन अहम सवाल यह है कि नौकरी है कहां ? 
  • तीसरा सवाल यह है कि मोदी सरकार हर सेक्टर में सरकारी नौकरियों को कम करने की बात कह रही है तो फिर सेना से रिटायर होनेवाले ये अग्निवीर कैसे नौकरी का अवसर पा सकेंगे।
  • चौथा और अहम सवाल यह है कि सरकार की ओर से जिस एकमुश्त सेवा निधि पैकेज की बात कही जा रही है वह रिटायरमेंट के समय पर्याप्त होगी ? क्योंकि जो अग्निवीर वर्ष 2027 में रिटायर होंगे उनके सेवा निधि पैकेज के 11.71 लाख रुपये की वैल्यू उस वक्त क्या रहेगी। जानकारों की मानों इन्फ्लेशन के चलते वर्ष 2027 में 11.71 लाख रुपये की वैल्यू महज 8 लाख के बराबर रहेगी। उपर्युक्त बातों से लगता है कि कहीं यही वजह तो नहीं है कि युवा बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरकर अपना विरोध जता रहे हैं।

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