Highlights
- विपक्ष ने अग्निपथ योजना को लेकर केंद्र सरकार पर अपना हमला तेज कर दिया है।
- राहुल गांधी ने कहा कि पीएम युवाओं को अग्निपथ पर चलाकर उनके धैर्य की ‘अग्निपरीक्षा’ न लें।
- लेफ्ट पार्टियों ने कहा कि यह योजना भारत के राष्ट्रीय हितों के लिए ‘नुकसानदायक’ है।
Agnipath: सेना में भर्ती के लिए नई योजना ‘अग्निपथ’ पर देश के कई हिस्सों में बवाल मचा हुआ है। विपक्ष ने गुरुवार को इस योजना को लेकर केंद्र सरकार पर अपना हमला तेज कर दिया और इसे वापस लेने की मांग की। वहीं, सरकार ने एक स्पष्टीकरण जारी करके कहा कि नया ‘मॉडल’ न सिर्फ सेना के के लिए नयी क्षमताएं लाएगा, बल्कि निजी क्षेत्र में युवाओं के लिए अवसर के द्वार भी खोलेगा। गुरुवार के हरियाणा, यूपी और बिहार समेत देश के अलग-अलग हिस्सो में अग्निपथ योजना के विरोध में प्रदर्शन हुए।
‘युवाओं के धैर्य की अग्निपरीक्षा न लें’
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया कि वह बेरोजगार युवाओं की आवाज सुनें और युवाओं को अग्निपथ पर चलाकर उनके धैर्य की ‘अग्निपरीक्षा’ नहीं लें। वहीं, समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव ने इस कदम को देश के भविष्य के लिए ‘लापरवाह’ और संभावित रूप से ‘घातक’ बताया। इस बीच बिहार, उत्तर प्रदेश और हरियाणा समेत कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है। विरोध कर रहे युवाओं ने ट्रेनों में आग लगा दी, बसों की खिड़कियों के शीशे तोड़ दिए। बिहार में बीजेपी के एक विधायक और राहगीरों पर पथराव तक किया गया।
PIB ने सोशल मीडिया पर किए कई पोस्ट
योजना को लेकर जताई जा रही चिंताओं को दूर करने के लिए सरकार की सूचना प्रसार शाखा ने 'मिथक बनाम सच' दस्तावेज जारी किया। इसके साथ ही इसने सोशल मीडिया पर भी कई पोस्ट किये, जिनमें कहा गया कि आने वाले वर्षों में अग्निवीरों की भर्ती सशस्त्र बलों में वर्तमान भर्ती से लगभग तिगुनी होगी और रेजिमेंट प्रणाली में भी कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। PIB ने कहा कि चार साल के कार्यकाल के अंत में प्रत्येक रंगरूट को मिलने वाले लगभग 11.71 लाख रुपये के ‘सेवा निधि पैकेज’ से युवाओं को वित्तीय स्वतंत्रता मिलेगी और यह उन्हें उद्यमी बनने में भी मदद करेगा।
राहुल गांधी ने ट्वीट कर सरकार पर साधा निशाना
इस बीच कांग्रेस ने सरकार से इस योजना पर रोक लगाने की मांग की है। राहुल गांधी ने ट्वीट के जरिए सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, ‘न कोई रैंक, न कोई पेंशन, न 2 साल से कोई सीधी भर्ती, न 4 साल के बाद स्थिर भविष्य, न सरकार का सेना के प्रति सम्मान। देश के बेरोज़गार युवाओं की आवाज़ सुनिए, इन्हें 'अग्निपथ' पर चला कर इनके संयम की 'अग्निपरीक्षा' मत लीजिए, प्रधानमंत्री जी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बेरोजगार युवाओं की आवाज सुननी चाहिए और उनके संयम की ‘अग्निपरीक्षा’ नहीं लेनी चाहिए।’
केजरीवाल और मायावती ने भी दिए बयान
लेफ्ट पार्टियों ने कहा कि यह योजना भारत के राष्ट्रीय हितों के लिए ‘नुकसानदायक’ है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सरकार युवाओं को सिर्फ 4 साल नहीं बल्कि जीवन भर देश की सेवा करने का मौका दे। बसपा सुप्रीमो मायावती ने इस योजना को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए इसे ‘ग्रामीण युवाओं के प्रति अनुचित’ करार दिया। उन्होंने केंद्र से अपने फैसले पर तुरंत पुनर्विचार करने का आग्रह किया।