Highlights
- नौकरी नहीं मिलने पर अग्निवीर हो सकते हैं देश की सुरक्षा के लिए खतरा
- विपक्ष सांसदों की मांग, योजना को लेकर बनाई जाए स्टैंडिंग कमेटी
- बैठक में विपक्ष ने कहा, "जापान की घटना से सीख ले केंद्र सरकार"
Agniveer Scheme: अग्निपथ योजना को लेकर आज रक्षा मंत्रालय की परामर्श समिति की एक बैठक हुई। इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी शामिल हुए। उन्होंने इस बैठक की अध्यक्षता भी की। इस बैठक में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के साथ विपक्ष के सांसद भी शामिल हुए। बैठक में विपक्षी सांसदों ने इस स्कीम को लेकर गंभीर आशंकाएं जाहिर की हैं। बैठक में तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने एक संक्षिप्त प्रेजेंटेशन (brief presentation) भी दिया।
बैठक में विपक्षी सासंदो ने इस योजना को लेकर सरकार को घेरा
विपक्ष के सांसदों ने आरोप लगाया कि अग्निपथ योजना से सेना की टैक्टिकल स्ट्रैटजी (Tactical Strategy) के एक्सपोज होने का खतरा है क्योंकि अगर 4 साल के बाद बाहर आए अग्निवीरों को नौकरी नहीं मिलती है तो उनके द्वारा सेना की सामरिक रणनीति के बाहर आने का खतरा है। विपक्षी सांसदों ने मांग किया कि अग्निपथ योजना एक जल्दबाजी में लिया गया फैसला है लिहाजा इसको पहले स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा जाए और साथ ही एक एक्सपर्ट ग्रुप बनाया जाए, तब तक इस योजना पर रोक लगाई जाए। एक सांसद ने सरकार को जापान की घटना से सीख लेने का सुझाव दिया।
विपक्षी सांसदों ने जाहिर की अपनी आशंका
विपक्षी सांसद ने कहा कि 4 साल बाद बाहर आने वाले अग्निवीर नौकरी नहीं मिलने पर सुरक्षा के लिए खतरा हो सकते हैं, जब पहले से तय केंद्रीय नौकरियों में आरक्षण नहीं मिलता तो अग्निवीर को नौकरी में आरक्षण मिलेगा ही इसकी क्या गारंटी है। बैठक में शामिल विपक्ष के 6 सांसदों ने ज्ञापन देकर अपनी नाराजगी जताई। इस दौरान कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने भी इस योजना को लेकर कुछ मुद्दों पर आशंका जरूर जताई। बता दें कि कांग्रेसी सांसद मनीष तिवारी पहले अग्निपथ योजना का समर्थन कर चुके हैं, लेकिन इस बैठक में उन्होंने कई सवाल खड़े किए।
राजनीति के लिए न करें सेना के अधिकारियों का इस्तेमाल
कई विपक्ष के सांसदों ने अग्निपथ योजना को लेकर रक्षामंत्री से सवाल किया। सवाल उठाते हुए सांसदों ने कहा कि जब पहले से केंद्र सरकार की नौकरियों में पूर्व सैनिकों को रिजर्व कोटे से नौकरी नहीं मिली है तो ऐसे में PSU और दूसरे विभाग में नौकरी मिलेगी इसकी क्या गारंटी है! बता दें कि विपक्षी सांसद इस योजना को लेकर सरकार के खिलाफ एकजुट हैं। और उन्होंने इस मुद्दे को लेकर बैठक में अपनी चिंताएं जाहिर की हैं। सेना के अधिकारियों द्वारा मीडिया में ब्रीफिंग को लेकर भी विपक्ष नाराज हुआ। और कहा कि सरकार सेना के अधिकारियों का इस्तेमाल अपनी राजनीति के लिए न करे।
SC में अग्निपथ योजना को लेकर कई याचिकाएं दायर
सशस्त्र सेना में भर्ती से संबंधित केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गयी थी। ये याचिका पूर्व सरकारी कर्मचारी रवीन्द्र सिंह शेखावत ने दायर की थी और रक्षा मंत्रालय की ओर से इस बाबत जारी अधिसूचना को यह कहते हुए निरस्त करने की मांग की है कि यह गैर-कानूनी, असंवैधानिक और संविधान के तहत मिले अधिकारों का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया है, "हाल में शुरू की गई योजना के कारण पूरे देश में सशस्त्र बलों में भर्ती के इच्छुक कैंडिडेट के मन में शंका पैदा हुई है और इसके कई सवाल अनुत्तरित हैं। कुछ चिंताएं उन उम्मीदवारों से संबंधित हैं, जो अपनी भर्ती प्रक्रिया के बीच या अंतिम स्टेज में थे।" याचिका में कहा गया है, "भर्ती प्रक्रिया में अचानक किए गए बदलाव से उम्मीदवारों के सामने कई अनचाही परिस्थितियां पैदा हो गई हैं और उनका भविष्य अंधेरे में रह गया। यह योजना उन उम्मीदवारों को मौका देने में विफल रही है, जिन्होंने कई साल से तैयारी की थी। इस योजना के खिलाफ कई याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की जा चुकी हैं।