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Ujjain Mahakal Lok: काशी कॉरिडोर के बाद पीएम मोदी देंगे महाकाल लोक का तोहफा, जानें क्या है इस मंदिर की खासियत

Mahakal Lok: भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 11 अक्टूबर को 'महाकाल लोक' देशवासियों के नाम समर्पित करेंगे। इस मंदिर को बनाने में बीजेपी ने काफी दिलचस्पी दिखाई थी। वही ये मंदिर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान की ड्रीम प्रोजेक्ट भी रही है।

Edited By: Ravi Prashant @iamraviprashant
Published : Oct 09, 2022 22:24 IST, Updated : Oct 09, 2022 22:25 IST
Mahakal Lok
Image Source : INDIA TV/TWITTER Mahakal Lok

Highlights

  • ज्जैन में बना 900 मीटर से अधिक लंबा कॉरिडोर- 'महाकाल लोक'
  • भारत में अब तक निर्मित ऐसे सबसे बड़े गलियारों में से एक है
  • पुनर्विकास परियोजना के हिस्से के रूप में भी पुनर्जीवित किया गया है।

Ujjain Mahakal Lok:  भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 11 अक्टूबर को 'महाकाल लोक' देशवासियों के नाम समर्पित करेंगे। इस मंदिर को बनाने में बीजेपी ने काफी दिलचस्पी दिखाई थी। वही ये मंदिर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान की ड्रीम प्रोजेक्ट भी रही है। इस मंदिर के निर्माण में सीधे तौर मुख्यमंत्री जुड़े थे। आपको बता दें कि इस मंदिर को काफी भव्य बनाया गया है।  

देश के नाम करेंगे पीएम मोदी 

इस मंदिर में दो भव्य प्रवेश द्वार, बलुआ पत्थरों से बने जटिल नक्काशीदार 108 अलंकृत स्तंभों की एक आलीशान स्तम्भावली, फव्वारों और शिव पुराण की कहानियों को दर्शाने वाले 50 से अधिक भित्ति-चित्रों की एक श्रृंखला मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में नवनिर्मित 'महाकाल लोक' की शोभा बढ़ाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 अक्टूबर को उज्जैन में 856 करोड़ रुपये की महाकालेश्वर मंदिर कॉरिडोर विकास परियोजना के पहले चरण की शुरुआत करेंगे। 

सालों भर पूजा-अर्चना कर सकते हैं
उज्जैन में बना 900 मीटर से अधिक लंबा कॉरिडोर- 'महाकाल लोक' - भारत में अब तक निर्मित ऐसे सबसे बड़े गलियारों में से एक है। यह कॉरिडोर पुरानी रुद्रसागर झील के पास है, जिसे प्राचीन महाकालेश्वर मंदिर के आसपास पुनर्विकास परियोजना के हिस्से के रूप में भी पुनर्जीवित किया गया है। महाकालेश्वर मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है, जहां देश के विभिन्न इलाकों से लोग सालों भर दर्शन एवं पूजा-अर्चना करने आते हैं। दो राजसी प्रवेश द्वार- नंदी द्वार और पिनाकी द्वार - थोड़ी-थोड़ी दूरी पर कॉरिडोर के शुरुआती बिंदु के पास बनाए गए हैं, जो प्राचीन मंदिर के प्रवेश द्वार तक जाते हैं और रास्ते भर सौंदर्य के दृश्य प्रस्तुत करते हैं। 

2017 में शुरु हुई थी महत्वकांक्षी योजना 
इस परियोजना की शुरुआत से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राजस्थान में बंसी पहाड़पुर क्षेत्र से प्राप्त बलुआ पत्थरों का उपयोग उन संरचनाओं के निर्माण के लिए किया गया है जो इस कॉरिडोर की शोभा बढ़ाते हैं। राजस्थान, गुजरात और उड़ीसा के कलाकारों एवं शिल्पकारों ने मुख्य रूप से पत्थरों को तराशकर और उन्हें अलंकृत कर सौंदर्य स्तंभों और पैनल में तब्दील किया है। मध्य प्रदेश सरकार के सूत्रों ने कहा कि 2017 में शुरू हुई इस महत्वाकांक्षी परियोजना का उद्देश्य प्राचीन मंदिर वास्तुकला के उपयोग के माध्यम से "ऐतिहासिक शहर उज्जैन के प्राचीन गौरव पर जोर देना और इसे वापस लाना है।"

वर्तमान समय को देखते हुए किया गया निर्माण 
कॉरिडोर में आने वाले लोगों को तमाम अत्याधुनिक सुविधाएं भी मुहैया कराई जाएंगी। सूत्रों के मुताबिक नियमित अंतराल पर त्रिशूल-शैली की डिजाइन पर सजावटी तत्वों के साथ 108 स्तंभ, सीसीटीवी कैमरे और सार्वजनिक संबोधन प्रणाली को सामंजस्यपूर्ण रूप से शामिल किया गया है। उज्जैन स्मार्ट सिटी परियोजना के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आशीष कुमार पाठक ने कहा कि उज्जैन एक प्राचीन और पवित्र शहर है तथा पुराने हिंदू ग्रंथों में महाकालेश्वर मंदिर के आसपास महाकाल वन की मौजूदगी का वर्णन है।

खोया हुआ गौरव को वापस लाने का प्रयास 
उन्होंने कहा, "यह परियोजना उस प्राचीनता को दोबारा पुनर्जीवित नहीं कर सकती जो सदियों पहले थी, लेकिन हमने कॉरिडोर में स्तंभों और अन्य संरचनाओं के निर्माण में उपयोग की जाने वाली पुरानी, सौंदर्य वास्तुकला के माध्यम से उस गौरव को फिर से वापस लाने का प्रयास किया है।" कालिदास के अभिज्ञान शकुंतलम में वर्णित बागवानी प्रजातियों के पौधों को कॉरिडोर में लगाया गया है। उन्होंने बताया कि "इसलिए, धार्मिक महत्व वाली लगभग 40-45 ऐसी प्रजातियों का उपयोग किया गया है, जिनमें रुद्राक्ष, बकुल, कदम, बेलपत्र, सप्तपर्णी शामिल हैं।" उज्जैन, पुरानी क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित, एक प्राचीन शहर है जिसे पहले उज्जैनी और अवंतिका के नाम से भी जाना जाता था और यह शहर राजा विक्रमादित्य की कथा से जुड़ा हुआ है।  
  

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