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African Swine Fever: अफ्रीकन स्वाइन फीवर का कहर, रांची में 100 से ज्यादा सूअरों की मौत, झारखंड में अलर्ट जारी

African Swine Fever: झारखंड राज्य में 100 से अधिक सूअरों के मरने की खबर आ रही है। डॉक्टरों की प्रारंभिक जांच में पता चला है कि यह अफ्रीकन फीवर के लक्षण हैं। बाकी टेस्टिंग के लिए सैंपल इकट्ठा कर भोपाल और कोलकाता भेजा गया है।

Written By: Pankaj Yadav
Published : Aug 06, 2022 22:45 IST, Updated : Aug 06, 2022 22:45 IST
African Swine Fever
African Swine Fever

African Swine Fever: झारखंड के रांची और उसके आस-पास के क्षेत्रों में सूअरों की मौत का आंकड़ा बढ़ते ही जा रहा है। जानकारी के अनुसार अब तक इस बीमारी से 100 से ज्यादा सूअरों की मौत हो चुकी है। सूअरों की मौत का कारण क्या है इसे लेकर पशु चिकित्सक भी असमंजस की स्थिति में हैं। शनिवार को झारखंड पशुपालन विभाग ने अलर्ट जारी करते हुए लोगों को सतर्क रहने को कहा है। इसके साथ ही विभाग ने सैंपल कलेक्ट कर टेस्ट के लिए भोपाल और कोलकता भेजा है। सूअरों के मरने की जानकारी अब तक सिर्फ रांची से ही सामने आ रही है लेकिन विभाग ने अलर्ट सभी जिलों के लिए जारी कर दिया है। सूअरपालकों को अपने पशुओं पर ध्यान रखने का निर्देश जारी किया गया है और यदि सूअरों में जैसे ही इस बीमारी के कोई लक्षण नजर आए तो तुरंत पशुपालन विभाग को सूचना दें। राज्य में विभाग द्वारा स्वाइन फीवर टीकाकरण अभियान भी चलाया जा रहा है।

सरकारी सुअर प्रजनन फार्म में 70 सूअर मरे

रांची के कांके स्थित सरकारी सुअर प्रजनन फार्म में अब तक करीब 70 सुअरों की मौत हो चुकी है। फार्म में कुल 760 पूर्ण विकसित सूअर सहित लगभग 1100 पिग हैं। रांची के कांके में लगभग दो दर्जन से ज्यादा सुअर मरे हैं वहीं खलारी के कई गांवों में भी दर्जनों भर सूअरों की जान गई है। इतने सूअरों की एकाएक मौत के बाद विभाग ने सैंपल इकट्ठा कर टेस्ट के लिए कोलकाता और भोपाल भेजा है।

बीमारी का टीका न इलाज, जल्द मर जा रहे सूअर

कांके स्थित पशु स्वास्थ्य एवं चिकित्सा संस्थान के निदेशक डा. विपिन बिहारी महथा के अनुसार अज्ञात बीमारी से सूअरों की मृत्यु हुई है। इसका न तो टीका है न ही इलाज। लक्षण के आधार पर इसका इलाज हो रहा है। बकौल महथा, सुअरों की मौत में हाल के दिनों में कमी आई है। संस्थान के चिकित्सकों ने भी बीमारी के कारण की पहचान करने का प्रयास किया था, लेकिन पता नहीं चल पाया। जानवरों को बुखार के लक्षण मिलते हैं, खाना बंद कर देते हैं और जल्द ही मर जाते हैं। ऐसे में पशु फार्म के कर्मचारियों को सुअरों की देखभाल करते समय सभी एहतियाती उपाय करने के लिए कहा गया है। उनके अनुसार, इस बीमारी का मनुष्यों पर कोई प्रभाव नहीं देखा गया है। उनके अनुसार, जब तक भोपाल से प्रयोगशाला की जांच रिपोर्ट नहीं मिल जाती तब तक बीमारी की पुष्टि नहीं हो सकती।

ग्रामीणों को सूअरों के लिए दी जा रही दवा

डॉक्टर के मुताबिक सूअरों में स्वाइन फ्लू जैसे लक्षण देखे जा रहे हैं लेकिन जब तक इसकी रिपोर्ट नहीं आ जाती तब तक यह बताना मुश्किल होगा कि सूअरों के मरने का कारण क्या है। ग्रामीणों को अपने सूअरों की देख-भाल करने की जरूरत है। रोज सूअरों की मरने की खबर आ रही है। सूअरों में वैक्सीनेशन होना चाहिए था लेकिन स्वाइन फ्लू की वैक्सीन पुणे में बनती है। जिन ग्रामीणों ने अपने सुअरों की तबीयत खराब बताई उन्हें दवा दी गई है। दवा के असर से अब सुअरों का मरना कम हुआ है।

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