मुंबई: महाराष्ट्र के रत्नागिरी रिफायनरी प्रोजेक्ट पर घमासान जारी है। प्रदशर्नकारियों पर हुए लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़ने की घटना सामने आने के बाद ठाकरे सेना आक्रामक हो गई है। दरअसल ये रिफायनरी प्रोजेक्ट शिंदे सरकार के गले की फांस बनता नजर आ रहा है। एक तरफ प्रोजेक्ट स्थल पर स्थानीय जनता सरकार के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन कर रही है, वहीं सियासी मैदान में मुख्यमंत्री शिंदे पर ठाकरे सेना टूट पड़ी है।
महाराष्ट्र में लोकतंत्र निशाने पर है: आदित्य ठाकरे
रिफायनरी मुद्दे पर सरकार को आड़े हाथों लेते हुए आदित्य ठाकरे ने कहा है, 'महाराष्ट्र में लोकतंत्र निशाने पर है। युद्ध का नया मैदान? बारसू। विरोधी? असंवैधानिक सरकार। दांव पर क्या है? न केवल एक रिफाइनरी परियोजना बल्कि राज्य की आत्मा और लोकतंत्र का सार। इस विवाद की जड़ सीधी है, लोग विकास चाहते हैं, विनाश नहीं। वे प्रगति चाहते हैं, प्रदूषण नहीं। और सबसे बढ़कर, वे स्पष्टता चाहते हैं।'
इस प्रोजेक्ट को सरकार ने अहंकार का मुद्दा बनाया है: ठाकरे
आदित्य ठाकरे ने कहा, 'महाराष्ट्र के रत्नागिरी में रिफाइनरी परियोजना एक विवादास्पद मुद्दा रहा है। यह एक ऐसा फ्लैशप्वाइंट है, जिस पर दोनों बीजेपी सरकारों ने लचीलेपन की जगह कठोरता और सहानुभूति की जगह अहंकार को चुना। पिछली भाजपा सरकार (2014-2019) को इसी परियोजना के लिए नाणार में कड़े विरोध का सामना करना पड़ा था, और इसके जवाब में, हमने लोगों के अपील पर ध्यान में रखकर नाणार को रद्द कर इस परियोजना को तेजी से स्थानांतरित करने का प्रस्ताव रखा।'
ठाकरे ने कहा, 'परियोजना को खोने से बचाने के लिए, हमने प्रस्ताव दिया कि परियोजना को अपेक्षाकृत कम घनी आबादी वाले बारसू क्षेत्र में ले जाया जाए। इसीलिए महाराष्ट्र उद्योग विकास निगम (एमआईडीसी) और परियोजना प्रस्तावक को हमारा स्पष्ट निर्देश था कि पहले लोगों को वह स्पष्टता दें जो वे चाहते हैं। अगर उन्हें प्रोजेक्ट चाहिए तो उन्हें चुनने दें। ऐसा लगता है कि बातचीत के इरादे को बगल में रखकर मौजूदा शिंदे- बीजेपी सरकार ने इस मुद्दे को अपने अहंकार का मुद्दा बना लिया है और अपने अधिपतियों के आदेश पर लोगों की भावनाओं के विरुद्ध इस परियोजना को लागू करना चाहते हैं।'
बारसू पर लगता है कि बातचीत के दरवाजे बंद हो गए: आदित्य
आदित्य ने आरोप लगाया कि हाल के दिनों में बारसू पुलिस राज्य में तब्दील हो गया। स्थानीय सांसद विनायक राउत को उनके क्षेत्र के लोगों से मिलने से रोक दिया गया और बाद में हिरासत में लिया गया। महिलाओं को पुलिस द्वारा आक्रामक तरीके से पीटा गया। कुछ लोगों के अहंकार को शांत करने के लिए गांव वालों को पीटा गया। आदित्य ने आगे कहा कि कल्पना कीजिए कि इस तानाशाही के बजाय अगर इस असंवैधानिक शासन ने हमारा दृष्टिकोण अपनाया होता तो शांतिपूर्ण बैठक हो सकती थी, शंकाओं और चिंताओं को दूर किया जा सकता था, समझ को बढ़ावा दिया जा सकता था। लेकिन इसके बजाय, लोगों की स्पष्टता की मांग को अनसुना कर दिया गया।
आदित्य ने कहा कि महिला प्रदर्शनकारियों के साथ मारपीट, शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़े जाने से लगता है कि बातचीत के दरवाजे बंद हो गए हैं। कोंकण से प्रकृति की संपदा को लूटने की चाहत रखने वाली सरकार आक्रमणकारियों की तरह व्यवहार बंद करना बंद करें।
जब बारसू में हालात बेकाबू हो रहे थे तब मुख्यमंत्री अनुपस्थित थे: आदित्य
आदित्य ने आरोप लगाया कि एक ओर हम उन कंपनियों और परियोजनाओं को देखते हैं, जिनका महाराष्ट्र ने खुले हाथों से स्वागत किया। वेदांता-फॉक्सकॉन, एयरबस-टाटा, बल्क ड्रग पार्क, मेडिकल डिवाइस पार्क, सोलर एनर्जी इक्विपमेंट पार्क, पुओ चेन प्राइवेट लिमिटेड, ये सभी दूसरे राज्यों में स्थानांतरित हो गए। जबकि दूसरी ओर पुलिस की ताकत से गांववालों पर नाणार/बारसू जैसे प्रोजेक्ट थोपे जा रहें है। जब बारसू में हालात बेकाबू हो रहे थे तब मुख्यमंत्री अनुपस्थित थे, इस मुद्दे पर शिंदे पूरी तरह विफल रहे हैं। मुख्यमंत्री को समझना चाहिए कि जनता की इच्छा ही लोकतंत्र का आधार होता है। शिंदे सरकार को लगता है कि वह लोगों से श्रेष्ठ हैं।
महाराष्ट्र को प्यार से जीत सकते हैं नफरत से नहीं: आदित्य
आदित्य ने सरकार को नसीहत दी कि विश्वास बनाया जाता है, न कि खरीदा और थोपा जाता है। सबसे अहम महाराष्ट्र को प्रेम और विश्वास से जीत सकते हैं, न कि नफरत, बल या विश्वासघात से। जबकि महाराष्ट्र सरकार का दावा है कि बारसू में लाठीचार्ज नहीं किया गया। लोगों की सहमति से ही इस प्रोजेक्ट पर विचार किया जाएगा। फिलहाल बारसू में मिट्टी का परीक्षण किया जा रहा है, परीक्षण का जो भी नतीजा आएगा उसके बाद इस प्रोजेक्ट पर फैसला लिया जाएगा।
ये भी पढ़ें: