नई दिल्ली: चंद्रयान-3 मिशन की सफलता से उत्साहित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अब अपने सोलर मिशन के तरह पहला यान आदित्य एल-1 को अंतरिक्ष में भेजने के लिए तैयार है। इसकी काउंटडाउन आज से शुरू होगा। इसरो आदित्य एल-1 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से 2 सितंबर सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर लॉन्च करेगा।
2 सितंबर को लॉन्च होगा आदित्य एल-1
इसरो के इस अहम मिशन को पीएसएलवी-एक्सएल रॉकेट की मदद से 2 सितंबर को लॉन्च किया जाएगा। लॉन्चिंग के ठीक 127 दिन बाद यह अपने प्वाइंट एल-1 तक पहुंचेगा और इसरो को अपना डेटा भेजना शुरू कर देगा। चंद्रयान-3 की तरह यह भी अलग-अलग कक्षा से गुजरते हुए सूर्य के अध्ययन के लिए अपने निश्चित बिंदु तक पहुंचेगा।
आज से शुरू होगा काउंटडाउन
इसरो चीफ सोमनाथ ने बृहस्पतिवार को कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी देश के महत्वाकांक्षी सौर मिशन ‘आदित्य-एल1’ का दो सितंबर होने वाले प्रक्षेपण के लिए तैयारी कर रही है और इसके प्रक्षेपण की उलटी गिनती शुक्रवार से शुरू होगी।
सूर्य के अध्ययन के लिए भारत का पहला मिशन
आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान को सूर्य के परिमंडल के दूरस्थ अवलोकन और एल1 (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा का वास्तविक अध्ययन करने के लिए डिजाइन किया गया है, जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है। यह सूर्य के अध्ययन के लिए भारत का पहला समर्पित मिशन है। इस मिशन को इसरो ऐसे समय अंजाम देने जा रहा है जब हाल में इसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कराकर देश को गौरवान्वित करने वाला इतिहास रच दिया है।
कुल सात पेलोड लेकर अंतरिक्ष में रवाना होगा आदित्य एल-1
इसरो से मिली जानकारी के मुताबिक सूर्य की विभिन परतों का अध्ययन करने के लिए यह यान अपने साथ कुल सात पेलोड ले जाएगा। आदित्य एल-1 में लगे ये पेलोड इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पार्टिकल और मैगनेटिक फील्ड डिटेक्टर्स की मदद से फोटोस्फीयर, क्रोमस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परत कोरोना का अध्ययन करेंगे।
इसरो की ओर से यह बताया गया कि सात में से चार पेलोड सीधे सूर्य की स्टडी करेंगे और बाकी तीन एल-1 पर पार्टिकल्स और फिल्ड्स का अध्ययन करेंगे। इससे इंटरप्लेनेटरी माध्यम में सकोर गतिकी के प्रसार प्रभाव का महत्वपूर्ण वैज्ञानिक अध्ययन हो सकेगा।
कोरोना की बनावट समेत इन बातों का अध्ययन करेगा आदित्य एल-1
इसरो के मुताबिक इस मिशन के जरिए आदित्य एल-1 सौर कोरोना की बनावट और इसके तपने की प्रक्रिया, सौर विस्फोट और सौर तूफान आने के कारण, उनकी उत्पत्ति, कोरोना और कोरोनल लूप प्लाजमा की बनावट, कोरोना के चुंबकीय क्षेत्र की माप, वेग और घनत्व, सौर हवाएं औऐर अंतरिक्ष के मौसम को प्रभावित करने वाले कारकों का अध्ययन करेगा।