नई दिल्ली: AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि अगर भारत के 17 करोड़ मुसलमानों को तरक्की करनी है तो उनके पास अपना सियासी नेतृत्व होना चाहिए। इंडिया टीवी पर आज रात प्रसारित होने वाले रजत शर्मा के प्रतिष्ठित शो 'आप की अदालत' में सवालों का जवाब देते हुए ओवैसी ने कहा: ‘अगर जाटों, ठाकुरों, ब्राह्मणों, यादवों, कुर्मियों, कुशवाहों, मराठों, दलितों और ओबीसी के नेता हो सकते हैं तो मुस्लिमों के क्यों नहीं? प्रधानमंत्री मोदी भी लोकसभा में दावा कर चुके हैं कि वह सबसे बड़े ओबीसी हैं। मुसलमानों की आबादी 17 करोड़ है और अगर उनका कोई नेता नहीं होगा तो क्या यह लोकतंत्र के लिए सही होगा?’
जब रजत शर्मा ने AIMIM नेता से कहा कि वह 28 साल से राजनीति में हैं और फिर भी मुसलमानों के लिए नेतृत्व विकसित क्यों नहीं कर सके, तो ओवैसी ने जवाब दिया: ‘जो मर्ज 75 साल से कैंसर की तरह फैल गया हो,वो 28 साल में खत्म हो जाएगा? सबसे बड़ी गलती जो मुसलमानों ने की, आजादी के बाद लखनऊ के उस मैदान में खड़े होकर कहना कि हम सियासत में हिस्सा नहीं लेंगे, हम पॉलिटिकल लीडरशिप से हट जाएंगे और हम इस पार्टी पर भरोसा करेंगे। जिस पार्टी पर आपने भरोसा किया, उसी पार्टी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत के जमाने में बाबरी मस्जिद में मूर्तियां रखवा दी। उसी पार्टी के शासनकाल में मलियाना, हाशिमपुरा, नेल्ली का फसाद हुआ। बताइए, आज भारत की पार्लियामेंट में कितने मुस्लिम सांसद हैं?’
ओवैसी ने कहा: ‘सिखों ने भी अपनी लीडरशिप बना ली। हर बिरादरी की लीडरशिप है, और इसे कोई नकार नहीं सकता। मगर जहां पर मुसलमानों की पोलिटिकल एंपावरमेंट की बात आएगी, तो जिन्ना की याद ताजा हो जाती है। जिन्ना को हमने ठुकराया, हमने रिजेक्ट किया जिन्ना को इसलिए तो आज यहां पर हैं और रहेंगे सुबहे कयामत तक। पॉलिटिकल लीडरशिप नहीं होगी तो इसी तरह हम लोगों को घसीटा जाएगा, इस्तेमाल किया जाएगा और इंसाफ नहीं होगा।’
AIMIM सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी के साथ 'आप की अदालत' शो को आज सुबह 10 बजे और रात को 10 बजे इंडिया टीवी पर प्रसारित किया जाएगा।
I.N.D.I.A. गठबंधन
AIMIM सुप्रीमो ने कहा, ‘जब I.N.D.I.A. गठबंधन बन रहा था तब पहले ही फरमान जारी हो चुका था कि ओवैसी को अलाउ नहीं किया जाएगा। ये एलीट क्लब है भारत के सेक्युलर चौधरियों का तो मैं क्या करूं? मैं तो ट्विंकल, ट्विंकल, लिटिल स्टार हूं, मैं कहां जाऊं वहां पर। तो मैंने जिंदगी में यही सीखा है कि आपको दरवाजा तोड़कर घुसना पड़ेगा। मगर एक बात सुनिए। यूपीए की सरकार में 2004 से 2014 में जब कम्युनिस्ट पार्टी छोड़कर चली गई थी, तब कम्युनिस्ट पार्टी ने आडवाणी साहब के साथ वोट किया था मनमोहन सिंह की सरकार के खिलाफ। असदुद्दीन ओवैसी ने मनमोहन सिंह के लिए वोट किया। तब मैं दूध का धुला था, अब अचानक कितना बदल गया माहौल।’
रजत शर्मा: इसीलिए ‘मोहब्बत की दुकान’ के दरवाजे ओवैसी के लिए बंद हैं?
असदुद्दीन ओवैसी: ‘बहुत अच्छा है। मैं तो कह रहा हूं कि वह दरवाजा बंद ही रहे हमेशा के लिए। गरीब का दरवाजा तो मेरे लिए खुला है। जो इंसाफ पसंद है उसका दरवाजा मेरे लिए खुला है। जब दिलों में हम आ चुके हैं तो ये अब उसका क्या करना है।’
ओवैसी के खुलासे
जब रजत शर्मा ने कहा कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने कहा है कि ओवेसी के होने से चुनावों का ध्रुवीकरण होता है और इससे मोदी को फायदा होता है, तो AIMIM सुप्रीमो ने जवाब दिया: ‘मैं आपको बता रहा हूं जब आपने बात छेड़ दी है। मैं पहले कभी नहीं कहा था, यह बात आज कह रहा हूं कि मेरे पास हैदराबाद में यूपी के चुनाव से पहले दो बड़े-बड़े मुफ्ती आए थे। वे आकर बोले कि हम एक बड़े मौलाना का पैगाम आप तक लाए हैं और उनका यह बोलना है कि आप इलेक्शन से किनारे हो जाइए। तो मैंने कहा देखिए भाई, मैं तो बीच समंदर में तैर रहा हूं, अब तो मैं किनारा कर ही नहीं सकता। मैंने कहा कि हम समाजवादी पार्टी को सपोर्ट करेंगे, मुझसे उनका अलायंस करा लीजिए। मैंने उन 10 सीटों की डिमांड की जहां समाजवादी पार्टी का कोई विधायक न हो। दोनों बड़े खुश हो गए। मुफ्ती बोले, अरे वाह साहब! अल्लाह अच्छा रखे आपको, बिस्मिल्लाह करिए। वे मुझे दुआ देकर चले गए और बोले कि मौलाना बड़े खुश हुए हैं और कहा है कि कोशिश करेंगे। वह कोशिश चल रही है अभी तक।’
बिहार चुनावों पर बात करते हुए ओवैसी ने कहा, ‘मैं बिहार के चुनाव में भी तैयार था। मैं RJD के दो राज्यसभा सांसदों से पुरानी पार्लियामेंट बिल्डिंग के सेंट्रल हॉल में जाकर मिला। मैंने उनसे कहा कि सर देखिए, हम लोकसभा का चुनाव लड़े और हमें 3 लाख वोट मिले। आप सीमांचल में 5 सीट दे दीजिए। सिर्फ 5। एक तो मुस्कुराते रहे। एक बड़े पढ़े-लिखे आदमी हैं, उन्होंने कहा चाय पीजिए, कॉफी पीजिए। दूसरे ने कहा कि आपको क्या शौक है हैदराबाद से आकर बिहार लड़ने का। मैंने कहा कि मुझे जम्हूरियत पर भरोसा है, और हैदराबाद भारत का हिस्सा है। मैंने तो बिहार में अपनी पार्टी के चीफ अख्तरुल ईमान को पटना जाकर उनके नेताओं से मिलने को कहा, लेकिन कोई तैयार नहीं था। तो इसमें मेरी गलती कहां पर है? अगर ओवैसी से हो रहा है तो क्या मोदी 306 सीट मेरी जीत रहे हैं?’
मैं अखंड भारत का समर्थन करता हूं
अखंड भारत पर एक सवाल का जवाब देते हुए ओवैसी ने कहा, वह 'अखंड भारत' का समर्थन करते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी को पहले पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को वापस लेना होगा।
ओवैसी ने कहा: 'मैं अखंड भारत के पक्ष में हूं। इसे हासिल करने के लिए आपको पूरे पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, बर्मा के कुछ हिस्सों, अफगानिस्तान और भूटान के आधे हिस्से को वापस लेना होगा, लेकिन मोदी को पहले पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को वापस लें और चीनियों को उनके कब्जे वाले इलाकों से पीछे धकेलें।'
काशी, मथुरा पर इनकार
विश्व हिंदू परिषद के प्रेसिडेंट आलोक कुमार के बयान कि वह मुसलमानों से हाथ जोड़कर कहते हैं कि अब अयोध्या के बाद में मथुरा और काशी दे दें, ओवैसी ने कहा: ‘ये सब बकवास है। ये तीन, ये सब झूठ है। आप क्यों देंगे? मस्जिद मेरे बाप की थोड़ी है, मस्जिद मेरी मां की थोड़ी है। मस्जिद तो अल्लाह की होती है। मस्जिद का कागज है, एक डॉक्यूमेंट है। आप कब तक बोलेंगे? वह उस जमाने में मुगल बादशाह था। तो फिर पुष्यमित्र शुंग से कौन इंसाफ करेगा? बताओ मेरे को। पुष्यमित्र शुंग ने बौद्ध धर्म के कई स्तूपों को तोड़ दिया। उसका इंसाफ करिए। चलिए आप जब मुगल बादशाह को बोलते हैं तो पुष्यमित्र शुंग क्या करेगा? पुष्यमित्र शुंग के बारे में कोई नहीं बात करता। जिस जमानें में मुगल और पुष्यमित्र शुंग थे तब क्या संविधान था? राजा रजवाड़ों में ‘राइट टू इक्वेलिटी’ थी? नहीं थी। हमारे पास एक कॉन्स्टिट्यूशन है और उस कॉन्स्टिट्यूशन के लिहाज से काम करना पड़ेगा। पंडित मदन मोहन मालवीय ने साइन किया उस एग्रीमेंट पर। आज आप बोलते हैं नहीं मानेंगे उसको।’
रजत शर्मा: इसलिए आप कहते हैं बाबरी मस्जिद जिंदाबाद, और वे कहते हैं बाबर की औलाद?
ओवैसी: ‘नहीं। देखिए यही तो मैं बता रहा हूं। मैं चाहता हूं कि मेरा डीएनए करा लीजिए, और नरेंद्र मोदी जी का भी करा लीजिए। RSS के लोगों का करा लीजिए। कौन आर्यन है और कौन इस देश का है, मालूम हो जाएगा आपको। मैं बाबर का स्पोक्सपर्सन थोड़ी हूं। तो क्या नरेंद्र मोदी और बीजेपी नाथूराम गोडसे के स्पोक्सपर्सन हैं? बाबर से मेरा क्या ताल्लुक? औरंगजेब से मेरा क्या ताल्लुक? जिन्ना से मेरा क्या ताल्लुक?’