Sunday, December 15, 2024
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Aap Ki Adalat: मोटिवेशनल स्पीकर गौर गोपाल दास ने रील बनाने वालों को सफलता के 4 गोल्डन टिप्स दिए, डिप्रेशन से बचने को कहा

‘आप की अदालत’ में इस्कॉन के संन्यासी गौर गोपाल दास ने अपनी जिंदगी से जुड़े कई पहलुओं पर खुलकर बात की। साथ ही उन्होंने सोशल मीडिया पर हिट होने का फॉर्मूला ढूंढ़ रहे लोगों को भी कई काम की बातें बताईं।

Edited By: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Published : Dec 14, 2024 22:05 IST, Updated : Dec 15, 2024 0:03 IST
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Image Source : INDIA TV ‘आप की अदालत’ में गौर गोपाल दास।

Gaur Gopal Das in Aap Ki Adalat: इस्कॉन के संन्यासी एवं मोटिवेशनल स्पीकर गौर गोपाल दास ने रजत शर्मा के शो 'आप की अदालत' में अपने निजी जीवन के कई पहलुओं पर खुलकर बात की। उन्होंने सोशल मीडिया रील बनाने वालों को सलाह दी कि ‘सफलता की तलाश में शांति और जान न गंवाएं।’ इस शो के दौरान गौर गोपाल दास ने अपनी जिंदगी से जुड़े कई अनछुए पहलुओं के बारे में भी बात की। उन्होंने बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों को लेकर एक अपील भी की। 'आपकी अदालत' में गौर गोपाल दास शो का पुनर्प्रसारण आज सुबह 10 बजे और रात 10 बजे किया जाएगा।

सोशल मीडिया पर हिट होने का फॉर्मूला

जब रजत शर्मा ने पूछा कि वह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इतने हिट कैसे हैं क्योंकि लोगों को सालों साल लग जाते हैं रील्स बनाते-बनाते और इतनी सफलता नहीं मिलती है, गौर गोपाल दास ने कहा, ‘फर्स्ट थिंग, बी राइट प्लेस, राइट टाइम। हमने जब सोशल मीडिया जर्नी शुरू की थी, तब सोशल मीडिया इतना बड़ा नहीं था। तब सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर इतने ज्यादा नहीं हुआ करते थे और इसलिए तब सोशल मीडिया की ग्रोथ होना बड़ा आसान था आज की तुलना में। तो इसलिए यह कहना कि हमने कोई बहुत बड़े तीर मारे हैं, यह बहुत गलत होगा जी। राइट प्लेस, राइट टाइम।’

‘दूसरी चीज कंसिस्टेंसी। कंसिस्टेंसी, जो अपना पैशन है, उसको करते रहना। कंसिस्टेंसी आपने देखा होगा हमने सोशल मीडिया पर कंटेंट डाला है, लगातार डालते रहते हैं और यह नहीं सोचते कि यह विषय नहीं चल रहा तो दूसरा विषय ले लेते हैं। यह नहीं चल रहा तो तीसरा विषय ले लेते हैं। यह नहीं चल रहा तो चौथा विषय ले लेते हैं। तो प्रवीण कैसे बनेंगे? एक्सीलेंस कहां से आएगी?’

‘तीसरी चीज, ऑथेंटिसिटी। दूसरा कोई कुछ कर रहा है उसको देखकर अगर हम वही करने लगे तो कैसे होगा? हममें कंपैरिजन का कीड़ा घुस गया है दिमाग में। दूसरों के पास देखते रहना और उनके जैसा जीवन जीने की कोशिश करना। ऑथेंटिसिटी नहीं बनी। भई, मैं ओरिजनल हूं। कोई जेरॉक्स कॉपी, फोटोकॉपी नहीं। खुदा ने, भगवान ने मुझे बनाया ओरिजिनल बनने के लिए। किसी और के जैसे बनाने के लिए बनाया होता तो बोलकर भेजा होता, उसके जैसा बन। आपकी जो फिंगर प्रिंट है, सबसे यूनिक है। किसी एक इंसान की फिंगरप्रिंट दूसरे से नहीं मिलती। तो अगर फिंगरप्रिंट यूनिक है तो आप भी अपनी इंप्रिंट यूनिक बनाइए। दूसरों के इंप्रिंट्स से कंपैरिजन मुश्किल काम है।’

‘चौथी चीज, नंबर्स के पीछे मत भागिए। सोशल मीडिया की दुनिया ने हमको बस नंबर्स के पीछे भागने के लिए मजबूर कर दिया है। आप इम्पैक्ट के पीछे भागिए, इम्पैक्ट होगा तो नंबर आएंगे। नहीं भी आए तो किसी का दिल छुआ है आपने, किसी की जिंदगी बदल डाली। मिसाल के तौर पर अगर आप मेकअप आर्टिस्ट हैं और किसी को बहुत तकलीफ हो रही है अपने लुक से, उसे कहीं जाना है, और आपकी एक रील से उनको एक टिप मिल गया और उनका सिलेक्शन हो गया तो आपने किसी की जिंदगी बदल दी।’

सोशल मीडिया के स्याह पक्ष पर भी बोले

जब रजत शर्मा ने कहा कि रील बनाने के चक्कर में कई लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी है, तो दास ने जवाब दिया: "बशर नवाज का एक मशहूर शेर है, "ख्वाहिशों के बोझ में बशर ,तू क्या-क्या कर रहा है, इतना तो जीना भी नहीं ,जितना तू मर रहा है"। मैं कह रहा हूं कि कामयाब बनना है, जरूर बनना है। क्यों नहीं बनना है? लेकिन कामयाबी के चक्कर में अपनी शांति और अपनी जान खो दें तो वह कामयाबी किस काम की? इसलिए मुझे लगता है कि जो सक्सेसफुल सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर हैं, जो सक्सेसफुल सेलिब्रिटी हैं, उनको ये बातें बोलनी चाहिए। रील बनाते-बनाते जान गंवाने वालों की संख्या रील बनाने के चक्कर में मेंटल हेल्थ में मारे जा रहे लोगों की तुलना में कम है। उनकी संख्या बहुत ज्यादा है जो डिप्रेशन में चले जाते हैं, जो फ्रस्ट्रेशन में चले जाते हैं कि हमारा कुछ हो ही नहीं रहा। इस क्षेत्र में जो लोग सफल हैं, उनकी जिम्मेदारी है कि वे लोगों को सच्चाई बताएं।"

अपने जीवन से जुड़ी दुखद घटना का किया जिक्र

गौर गोपाल दास ने अपने जीवन की एक दुखद घटना का जिक्र किया जब 2009 में उनके पिता का निधन हो गया था। उन्होंने अपने पिता के निधन से पहले उनसे माफी न मांगने के लिए खेद व्यक्त किया।

‘मेरे पिताजी चेन स्मोकर थे जिसकी वजह से उनकी सेहत बहुत बिगड़ रही थी। हमने बहुत कोशिश की थी कि वह स्मोकिंग छोड दें, लेकिन नहीं हो पा रहा था उनसे। तब मैंने ये वाला पैतरा अपनाया कि बातें करना छोड़ देंगे। बातें करना छोड़ दिया। पिताजी बार-बार आते थे और कहते थे कि बेटा बात करो, बेटा बात करो, लेकिन मैं मुंह फेर लेता था। 2 साल बाद पिताजी मेरे पैरों में गिरे और कहा, बेटा मेरे साथ प्लीज… मेरे साथ रो रहे थे, बहुत। तब मेरी मां ने कहा, बेटा, पापा के साथ ऐसा नहीं करना चाहिए। पापा हैं, गलत भी होते हैं। कौन दूध का धुला है? इंसान हैं हम, बेटा बात करो। तो मैंने उस दिन बात करनी शुरू की, क्योंकि मां ने बोला था इसलिए। और एक हफ्ते के अंदर घर छोड़कर आश्रम चला गया। आश्रम से हर साल मिलने जाता था और हर साल सोचता था कि पिताजी को सॉरी कब बोलूंगा, और कभी नहीं बोल पाया। 2009 में मैं अपने लंदन के लेक्चर टूर से लौटकर आया था और एक दिन मेरी मां ने मुझे 01:30 बजे सुबह फोन किया। मां रो रही थी। कहने की जरूरत ही नहीं कि पिताजी चल बसे थे। लंदन जाने से पहले मैं पिताजी से मिलने गया था और उन्होंने कहा था कि बेटा तुम अपने लंदन वाले लेक्चर लाना मेरे लिए। लेक्चर का पेनड्राइव मैं ले गया। मेरे पिताजी की बॉडी सामने पड़ी थी। मैंने उनके हाथ में पेनड्राइव रखी। मैंने अपना सिर उनके चरणों में रखा और कहा, ‘पापा सॉरी, आपके साथ इस प्रकार का व्यवहार मुझे कभी नहीं करना चाहिए था।’

बांग्लादेश की घटनाओं पर की ये अपील

बांग्लादेश में इस्कॉन भक्तों सहित हिंदुओं पर हो रहे उत्पीड़न पर गौर गोपाल दास ने सभी से वहां हो रही हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने की अपील की।

उन्होंने कहा, ‘कॉनफ्लिक्ट कहां नहीं है। छोटे से छोटे घर से लेकर देशों तक झगड़े चल रहे हैं। और मैं हमेशा कहता हूं, कौन सही है और कौन गलत है, इसके चक्कर में पड़ने से क्या सही है और क्या गलत है, वो देखना ज्यादा जरूरी है। हम कौन के चक्कर में पड़ जाते हैं और क्या को भूल जाते हैं। अन्याय जहां पर भी हो, अन्याय के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। क्या हिंसा सही है? क्या किसी की हत्या करना सही है? क्या लोगों से उनके अधिकारों को छीनना सही है? इसीलिए जब अन्याय हो रहा है, उस पर आवाज उठाना बहुत ज्यादा जरूरी है। मैंने हमेशा कहा है कि दुनिया सिर्फ बुरे लोगों की हिंसा की वजह से ही पीड़ित नहीं है, बल्कि दुनिया अच्छे लोगों की चुप्पी की वजह से ज्यादा पीड़ित है। अच्छे लोग चुप रहते हैं। सही चीज का समर्थन करें और न्याय के लिए लड़ें।’

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