नई दिल्ली: पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के भारत में जल्द शामिल होने को लेकर केंद्रीय पेट्रोलियम और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी का दृष्टिकोण बेहद आशावादी है। इंडिया टीवी पर शनिवार रात 10 बजे प्रसारित हुए शो 'आप की अदालत' में रजत शर्मा के सवालों का जवाब देते हुए पुरी ने कहा-'पाकिस्तान में आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो गई है कि कुछ समय बाद वहां के कुछ हिस्से भारत में मिल जाएंगे।' रजत शर्मा द्वारा यह पूछे जाने पर कि भारत के लोग पाक के कब्जे वाले कश्मीर को देश में कब शामिल होते देखेंगे, पुरी ने जवाब दिया-'जल्दी'। हालांकि उन्होंने इसपर विस्तार से कुछ नहीं बताया।
यह पीएम मोदी के कारण संभव हुआ
करीब 39 वर्षों तक डिप्लोमैट रहे हरदीप पुरी ने कहा, 'पिछले नौ वर्षों में भारत-पाकिस्तान संबंधों में बड़ा बदलाव आया है। अब भारत को पाकिस्तान के साथ टैग नहीं किया जाता है। यह पीएम मोदी के कारण संभव हुआ है। नरेंद्र मोदी की तीन खासियत है, पहला यह कि वे जो वादा करते हैं उसे पूरा भी करते हैं। दूसरा यह कि 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का उनका सपना सच हो जाएगा। तीसरा, बिल्कुल बंटी हुई दुनिया में नरेंद्र मोदी सबको एक करने की भूमिका निभा रहे हैं। यह हाल में भारत में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन में स्पष्ट हो गया है।'
उन्हें कनाडा में खालिस्तान बनाने दीजिए
कनाडा में रह रहे अलगाववादियों द्वारा खालिस्तान की मांग पर हरदीप सिंह पुरी ने कहा, 'उन्हें कनाडा में खालिस्तान बनाने दीजिए, क्योंकि ज्यादातर खालिस्तानी वहीं रहते हैं। मैं इसे cuckooland मानता हूं। हमारे 10वें गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा का गठन किया था। आज सिख भारत की आबादी का दो प्रतिशत से भी कम हैं, फिर भी कृषि, परिवहन, चिकित्सा, कानून और अन्य क्षेत्रों में पंजाब का दबदबा है। ...भारत दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में तेजी से उभर रहा है , बहुत जल्द हम यह देखेंगे कि अमेरिका और कनाडा में रहने वाले भारतीय भी बेहतर आर्थिक अवसरों के कारण देश वापस लौट रहे हैं।'
कनाडा में हिंसा, उग्रवाद और ड्रग्स क्यों है?
फाइनेंशियल टाइम्स, लंदन की एक हालिया रिपोर्ट में अलगाववादी खालिस्तानी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू को मारने की भारतीय एजेंसियों की योजना को अमेरिका द्वारा विफल करने से जुड़े सवाल पर , हरदीप पुरी ने कहा, 'फाइनेंशियल टाइम्स के बारे में मेरी एक अलग राय है। यह रोजाना तेल के बारे में समाचार रिपोर्ट प्रकाशित करता है, जिस पर मैं भरोसा नहीं करता। विदेशी धरती पर आतंकवादियों को खत्म करना भारत की नीति नहीं है।'रजत शर्मा द्वारा यह पूछे जाने पर कि पन्नू जैसे भारत के दुश्मनों को खत्म क्यों नहीं किया जाना चाहिए, पुरी ने केवल इतना कहा, 'मुझे अपनी भावनाओं को अपने दिल में ही रखने दीजिए। मुझे इससे ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहिए। लेकिन मैं आपको बता दूं, यह हमारी नीति नहीं है, हमारा सिस्टम ऐसा नहीं है।...क्या वे कहेंगे कि 1985 में एयर इंडिया कनिष्क बम विस्फोट को भारतीय एजेंसियों ने अंजाम दिया था? कनाडा में हिंसा, उग्रवाद और ड्रग्स क्यों है? मारे गए आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर को कनाडाई अधिकारियों ने कई बार वीजा देने से इनकार कर दिया था।'
खालिस्तान अलगाववादियों के मुद्दे पर ट्र्डो का व्यवहार चिड़चिड़ा
पुरी ने कहा, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो लंबे समय से अलगाववादियों का समर्थन कर रहे हैं। 'जब वह अमृतसर आए तो मैंने और पंजाब के तत्कालीन मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने उनका स्वागत किया और उन्हें दरबार साहिब ले गए। ट्रूडो खालिस्तान अलगाववादियों के मुद्दे पर लंबे समय से भारत के आलोचक रहे हैं। इस मुद्दे पर उनका व्यवहार 'चिड़चिड़ा'था। पुरी ने खुलासा किया कि कैसे नरेंद्र मोदी द्वारा कनाडा के पीएम के लिए आयोजित लंच में कनाडाई मंत्रियों में से एक नवदीप सिंह बैंस ने खुले तौर पर कहा, 'मैं कनाडा गया और मंत्री बन गया'। पुरी ने कहा, 'मैंने उन्हें जवाब दिया-देखिए, मैं भारत में रहा और मंत्री बन गया।'
पीएम मोदी ने ऑफर दिया तो मैं आश्चर्यचकित रह गया
हरदीप पुरी ने खुलासा किया कि कैसे 2017 में उन्हें अचानक प्रधानमंत्री कार्यालय से फोन आया कि वह आएं और नरेंद्र मोदी से मिलें। पुरी ने कहा 'मैं उस समय हिंद महासागर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए कोलंबो में था। मैं 7, लोक कल्याण मार्ग पर प्रधानमंत्री से मिला। उन्होंने मुझे नाश्ते के लिए आमंत्रित किया, और मुझे मंत्री पद की शपथ लेने के लिए राष्ट्रपति भवन जाने के लिए कहा। जब उन्होंने यह कहा तो मैं आश्चर्यचकित रह गया । बाद में मुझे राज्यसभा का टिकट मिल गया।'
राहुल को कभी 'गधा' नहीं कहा
हरदीप सिंह पुरी ने इस बात से इनकार किया कि उन्होंने कभी राहुल गांधी को 'गधा' कहा था। उन्होंने कहा 'वह एक कहावत थी जिसे मैं उद्धृत कर रहा था। मुझे 'घोड़ों की दौड़ के लिए एक गधा मिल रहा। मैंने कभी नहीं कहा, वो गधा हैं। लेकिन मूर्खता पर मैंने कहा था, दुनिया में तीन तरह के मूर्ख होते हैं - एक साधारण, एक असाधारण और तीसरे को मैं चक्रवर्ती कहता हूं।'
जब जाफना के जंगल से होकर गुजरना पड़ा
हरदीप पुरी ने खुलासा किया कि कैसे सरकार के एक विशेष दूत के रूप में उन्हें 1987 में भारत-श्रीलंका शांति समझौते की मंजूरी लेने के लिए लिट्टे प्रमुख वी. प्रभाकरन से मिलने जाफना के जंगल से होकर गुजरना पड़ा था। पुरी ने कहा,'रास्ते में बारूदी सुरंगें थीं और हमलों से बचने के लिए हमें रात में यात्रा करनी पड़ी। हमारे सैन्य सलाहकार भारतीय नौसेना के एक अधिकारी थे। यह एक गुप्त मिशन था। यह मेरे लिए पेशेवर तौर पर बड़ा काम था।'